करण जौहर ने 1998 से फिल्म बनाने की शुरुआत की थी और उसके बाद से वे ऊपर और ऊपर ही जाते रहे। सफलता के नए आयाम रचते चले गए और पीछे देखने की जरूरत ही नहीं महसूस हुई। अपने पिता यश जौहर के बैनर धर्मा प्रोडक्शन को वे ऊंचाइयों पर ले गए। यश जौहर तमाम उम्र संघर्ष करते रहे। उन्होंने कई सितारों और नामी निर्देशकों के साथ काम किया, लेकिन ज्यादातर असफलता ही उनके हिस्से में आई। बेटे करण ने जो सफलता पाई शायद उसका सपना भी यश जौहर ने नहीं देखा होगा।
25 मई को करण जौहर का जन्मदिन है। हर साल उनके जन्मदिन पर जम कर हंगामा होता है। शोर-शराबे के साथ जश्न मनाया जाता है। तमाम सितारे इस पार्टी में शामिल होना चाहते हैं। करण को शुभकामनाएं देना चाहते हैं। इस पार्टी में शामिल होकर सितारे ये भी जताना चाहते हैं कि करण के वे कितने नजदीक हैं। करण भी इस बात का मजा लेते हैं और शानदार दावत देते हैं। हर साल उनके पास जश्न मनाने का नया कारण भी होता है।
कुछ कुछ होता है से उन्होंने शुरुआत की थी और हर साल उनके खाते में बहुत कुछ जमा होता गया। निर्माता के रूप में उन्होंने कई भव्य फिल्में बनाईं। नए कलाकारों को मौका देकर उन्होंने सितारा बना दिया और गॉडफादर बन गए। शादी किए बिना ही दो बच्चों के रियल लाइफ में फादर बन गए। बेटे के रूप में उन्होंने अपनी मां को हर खुशियां दी। बड़े सितारे उनके इर्दगिर्द मंडराते हैं। टीवी शो पर वे डांस जज करते हैं। चैट शो पर चटर-पटर कर वे सितारों के जीवन में भूचाल ला देते हैं। अवॉर्ड शो में भी उनका ही दबदबा नजर आता है। मंच पर वे ऐसा कुछ बोल जाते हैं जिसकी गूंज महीनों तक सुनाई देती है। उनकी फिल्में पुरस्कार भी प्राप्त करती हैं।
लेकिन पिछले जन्मदिन और इस जन्मदिन में बहुत फर्क आ गया है। अब करण को शोर-शराबा पसंद नहीं रहा। कैमरे की चमक आंखों को चुभने लगी है। भीड़ से वे बचने लगे हैं। लो-प्रोफाइल जिंदगी उन्हें पसंद आने लगी है। आखिर ऐसा क्या हो गया एक साल में?
फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की अकस्मात मृत्यु के बाद उन लोगों को करण पर हमला करने का अवसर मिल गया जो मौके की तलाश में थे। करण के दबदबे से परेशान थे। करण की वाचालता से उनके कान पकते थे। हर जगह करण की मौजूदगी उन्हें खटकती थी। करण की मीठी-मीठी बातें उन्हें बेस्वाद लगती थी। इन लोगों ने करण को कटघरे में खड़ा कर दिया। कहा गया कि करण ने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी हैं कि उनकी मर्जी के बिना युवा कलाकार आगे नहीं बढ़ पाते। सवाल-जवाब भी करण से हुए। उनकी पार्टियों के वीडियो भी सामने आए और इसको लेकर भी तरह-तरह बातें की गईं।
इन सब बातों से करण बेहद आहत हुए हैं। जिन बातों का वे पहले मजा लेते थे वो अब उन्हें खलने लगी। शायद उन्होंने सोचा नहीं होगा कि लोगों में उनकी इतनी नकारात्मक छवि बन रही है। उनके प्रति गुस्सा बढ़ रहा है। उनकी सारी चटपटी बातें लोगों में खीज पैदा कर रही है। उन्होंने जरूरत से ज्यादा गैर जरूरी चीजों में पैर दिया और नतीजा सामने आया।
करण ने अपने गुरु आदित्य चोपड़ा से कई बातें सीखीं, लेकिन वे यह बात पर गौर नहीं कर पाए कि आदित्य का सदैव फोकस अपने काम पर रहा। वे कभी अपने लक्ष्य से नहीं भटके। कभी मीडिया के सामने आने, इंटरव्यू देने, फोटो खींचाने, अवॉर्ड शो का हिस्सा बनना उन्होंने पसंद नहीं किया।
करण जौहर भले ही महान फिल्मकार नहीं हो, लेकिन दर्शकों की पसंद का सिनेमा बनाना उन्हें आता है। उनके पास सितारे हैं। संसाधन है। इस जन्मदिन पर उन्हें आत्ममंथन करना चाहिए कि कैसे ऊर्जा को सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए।