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कान फिल्म समारोह: 'किलर्स ऑफ द फ्लावर मून': अमेरिका के महाशक्ति बनने की कहानी

हमें फॉलो करें कान फिल्म समारोह: 'किलर्स ऑफ द फ्लावर मून': अमेरिका के महाशक्ति बनने की कहानी

अजित राय

, मंगलवार, 23 मई 2023 (18:33 IST)
Photo: Social Media
हॉलीवुड के दिग्गज फिल्मकार मार्टिन स्कारसेसे की नई फिल्म 'किलर्स ऑफ द फ्लावर मून' महाकाव्यात्मक अंदाज और सिनेमा की वेस्टर्न शैली में महाशक्ति के रूप में अमेरिका के खूनी इतिहास को दोबारा देखने समझने की कोशिश है। राबी राबर्टसन का संगीत, पटकथा की करूणा को बहुत ऊंचाई पर ले जाता है, तो रोड्रिगो पिएत्रो की सिनेमैटोग्राफी दृश्यों को एपिक जैसा बनाती है। 
 
एरिक रोथ के साथ फिल्म की पटकथा मार्टिन स्कारसेसे ने खुद लिखी है जो कई बार चकित करती है। लियोनार्दो डीकैप्रियो, राबर्ट डी नीरो और लिली ग्लैडस्टोन के जबरदस्त अभिनय से सजी यह फिल्म पश्चिमी अमेरिका के ओक्लाहोमा प्रांत के उन ओसेज इंडियन ट्राइव्स के सैकड़ों स्त्री-पुरुषों के प्रति सिनेमाई श्रद्धांजलि है जिन्हें 1918-1931 के दौरान पैसा, पॉवर और संसाधनों पर कब्जा करने के लिए मार डाला गया था। 
 
ओसेज इंडियन जनजाति के इलाके में यह सारी लड़ाई तब शुरू होती है जब अचानक बंजर पथरीली धरती पर पेट्रोलियम के असीमित भंडार का पता चलता है और यहां के मूल बाशिंदे अमीर हो जाते हैं। यह फिल्म डेविड ग्रान के इसी नाम से प्रकाशित बेस्ट सेलर किताब पर आधारित है।
 
एक रहस्यमय इंसान अर्नेस्ट (लियोनार्दो डीकैप्रियो) प्रथम विश्व युद्ध से लौटकर अपने चाचा विलियम हेल (राबर्ट डी नीरो) के यहां आता है। वह लालची, अति महत्वाकांक्षी, शराबी और झक्की किस्म का है। वह आसानी से अपने चाचा की अपराधिक साजिश का कमांडर बन जाता है। यहीं उसकी मुलाकात ओसेज इंडियन ट्राइव्स की सबसे आकर्षक महिला मौली बर्खर्ट से होती है जो अपनी मां लिजी क्यू की बीमारी से परेशान है। कुछ ही मुलाकातों में दोनों में प्रेम परवान चढ़ता है और वे शादी कर लेते हैं। 
 
बाहर से आया दबंग व्यापारी, माफिया की तरह पेट्रोलियम के सारे संसाधनों पर कब्जा करना चाहता है जिन पर मालिकाना हक ओसेज इंडियन ट्राईव्स के लोगों का है। अचानक इस ट्राइव्स के लोगों की हत्याएं होने लगती है। मौली चकित हैं कि आखिर उसके लोग एक-एक कर क्यों मरते जा रहे हैं और जब वह अपनी सगी बहन अन्ना की क्षत-विक्षत लाश देखती है तो भीतर से टूट जाती है। वह अपनी मां को खो चुकी है और उसे डर है कि कोई उसे भी खत्म कर देगा। 
 
स्थानीय प्रशासन हत्यारे का पता नहीं लगा पाता। करीब साठ से भी अधिक लोगों की हत्या के बाद जांच के लिए वाशिंगटन डीसी से ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के एक काबिल अफसर टाम ह्वाइट को भेजा जाता है। यहीं एजेंसी आज फेडरल ब्यूरो आफ इंवेस्टिगेशन (एफबीआई) के नाम से जानी जाती हैं। 
 
जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, विलियम हेल और एर्नेस्ट के अपराधों से पर्दा उठना शुरू होता है। पता चलता है कि मौली ने जिस एर्नेस्ट से बेइंतहा प्यार किया, अपना सब कुछ सौंप दिया, वहीं अपने शातिर चाचा के कहने पर उसे डायबिटीज की दवा में धीमा जहर देकर मार रहा है। यह एक झूठी जहरीली प्रेम कथा है जो बाद में कई नाटकीय घटनाओं के बाद अंजाम पाती है। मुकदमा चलता है और सबको सजा होती है।
 
मार्टिन स्कारसेसे ने पूरी ईमानदारी से इतिहास की विलक्षण कहानी कही है। उनके गोरे अभिनेताओं ने ओसेज इंडियन ट्राइव्स चरित्रों को बखूबी निभाया है। खुद लिली ग्लैडस्टोन पूरी फिल्म में अपने स्वभाव और शांत अभिव्यक्तियों से मन मोह लेती है। 
 
एर्नेस्ट हालांकि मौली के प्रति भावुक और अपनी तरह से ईमानदार दिखने की कोशिश करता है पर अविश्वास, लालच और हिंसा की राजनीति सबकुछ नष्ट करती चलती है। विलियम हेल की भूमिका में राबर्ट डि नीरो इतने वास्तविक लगते हैं कि विस्मय होता है। 
 
यह एक ऐसी फिल्म है जो हमें बताती है कि आज जो अमेरिका हमारे सामने है वह कैसे वहां के स्थानीय नेटिव लोगों की लाश पर बना है। अंतिम दृश्य में एक आर्केस्ट्रा के जरिए फिल्म के निष्कर्ष बताए गए हैं और हम मार्टिन स्कारसेसे को प्रकट होते हुए देखते हैं और वे बताते हैं कि मौली ने एर्नेस्ट से तलाक लेकर दूसरी शादी की ओर 1937 में वह मर गई। 
 
एर्नेस्ट से मौली की आखिरी मुलाकात का दृश्य बहुत ही मार्मिक है जिसमें लिली ग्लैडस्टोन शांत है और पूछती है कि उसने उसे डायबिटीज की दवा में मिलाकर धीमा जहर का इंजेक्शन देने की बात उससे क्यों छुपाई? इसी दृश्य में लियोनार्दो डीकैप्रियो की अभिव्यक्ति देखने लायक है- लाचार, पछताता हुआ, बेचैन और गहरे अवसाद में नि:शब्द। 
 
मार्टिन स्कारसेसे ने चरित्र चित्रण में कमाल की सावधानी बरती है और एक एक चरित्र वास्तविक लगते हैं। उन्होंने अमेरिकी सत्ता के पीछे के हिंसा, शोषण और लूट के छुपे हुए इतिहास को आज के संदर्भ में देखने की कोशिश की है।  
 
लियोनार्दो डीकैप्रियो का लिली ग्लैडस्टोन और राबर्ट डी नीरो के साथ की केमिस्ट्री गजब की है और पता ही नहीं चलता कि कब साढ़े तीन घंटे की फिल्म खत्म हो गई। 76 वें कान फिल्म समारोह में मार्टिन स्कारसेसे की यह फिल्म 'किलर्स आफ द फ्लावर मून' मानवता के लिए एक एक्ट्रावगांजा है जिसका बड़े पैमाने पर स्वागत हो रहा है।

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