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नादानियां: खुशी कपूर और इब्राहिम अली खान की मूवी दर्शकों को प्रभावित करने में क्यों रही नाकाम

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WD Entertainment Desk

, बुधवार, 12 मार्च 2025 (18:33 IST)
स्टार किड्स खुशी कपूर और इब्राहिम खान फिल्म नादानियां का ऐलान हुआ, तो लोगों ने इससे काफी उम्मीदें लगा लीं। लेकिन जब फिल्म रिलीज़ हुई, तो दर्शकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई यह मूवी न तो आम दर्शकों को अच्‍छी लगी और न ही इसे आलोचकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली। तो आखिर नादानियां में ऐसा क्या था जो लोगों को पसंद नहीं आया? आइए जानते हैं 4 बड़े कारण।
 
1. कमज़ोर और घिसी-पिटी कहानी
हर फिल्म की रीढ़ उसकी कहानी होती है, लेकिन नादानियां इस मामले में बिल्कुल नाकाम रही। फिल्म की स्क्रिप्ट न केवल कमजोर थी, कहानी इस तरह की थी कि आगे क्या होने वाला है इसका अंदाजा कोई भी लगा ले। यह वही पुराना बॉलीवुड फॉर्मूला था, एक प्रेम कहानी जिसमें कोई नयापन नहीं था। दर्शकों को उम्मीद थी कि ख़ुशी कपूर की पहली बड़ी फिल्म कुछ नया और दिलचस्प पेश करेगी, लेकिन मूवी में कोई ऐसा ट्विस्ट या सस्पेंस नहीं था जो उन्हें सिनेमाघरों की सीटों से बांधकर रख सके। इस वजह से नादानियां दर्शकों को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं कर सकी।
 
2. नए कलाकारों का फीका परफॉर्मेंस
नई कलाकारों से लोगों को हमेशा ताज़गी और नयापन देखने की उम्मीद होती है। खुशी कपूर, जो पहले से ही एक स्टार किड हैं, उनके लिए यह फिल्म एक सुनहरा मौका था खुद को साबित करने का। लेकिन अफ़सोस, उनकी एक्टिंग लोगों को प्रभावित नहीं कर पाई। दर्शकों और समीक्षकों का मानना है कि ख़ुशी की डायलॉग डिलीवरी में जान नहीं थी और उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति भी कमजोर थी। उनकी एक्टिंग कई जगहों पर बनावटी लगी, जिससे दर्शकों को किरदार से जुड़ने में मुश्किल हुई। दूसरी ओर इब्राहिम अली खान जो अपने पिता सैफ अली खान की तरह नजर आते हैं, प्रभावित नहीं कर पाए। उनके चेहरे पर ज्यादा भाव नहीं आते, हालांकि खुशी के मुकाबले उनका अभिनय बेहतर है। फिल्म में सुनील शेट्टी, महिमा चौधरी, जुगल हंसराज, दीया मिर्जा जैसे कलाकार भी हैं, लेकिन उनके लिए ऐसे सीन नहीं लिखे गए जहां वे अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। 

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3. निर्देशन में कमी
कई बार एक कमजोर कहानी भी अच्छे निर्देशन से बचाई जा सकती है, लेकिन नादानियां को इस मामले में भी झटका लगा। फिल्म की पटकथा कमजोर थी, लेकिन शाउना गौतम के निर्देशन ने इसे और भी उबाऊ बना दिया। मूवी की गति असमान थी। कई दृश्यों को ज़रूरत से ज्यादा लंबा खींच दिया गया, जबकि कुछ महत्वपूर्ण सीन्स बहुत जल्दी ख़त्म कर दिए गए। इमोशनल सीन भी उस स्तर तक नहीं पहुंचे कि दर्शकों की आंखें नम कर सकें या उन्हें फिल्म से जोड़ सकें। कुल मिलाकर, निर्देशक की पकड़ फिल्म पर ढीली रही, और इसका खामियाजा मूवी को भुगतना पड़ा।

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4. कमजोर म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर
बॉलीवुड फिल्मों में संगीत बहुत अहम भूमिका निभाता है, खासकर रोमांटिक ड्रामा में। नादानियां की एक और बड़ी कमजोरी इसका औसत दर्जे का संगीत था। फिल्म का कोई भी गाना ऐसा नहीं था जो लोगों की जुबां पर चढ़ सके। बॉलीवुड में कई फिल्में सिर्फ अपने गानों की वजह से सफल हो जाती हैं, लेकिन नादानियां के गाने न सिर्फ फीके थे, बल्कि उनमें कोई खास इमोशनल कनेक्ट भी नहीं था। बैकग्राउंड स्कोर भी फिल्म की कहानी और दृश्यों के साथ मेल नहीं खाता था, जिससे दर्शकों को फिल्म का अनुभव और भी ठंडा लगा।
 
कुल मिलाकर, नादानियां एक बड़ी असफलता साबित हुई। इसकी कमजोर कहानी, फीकी अदाकारी, खराब निर्देशन, औसत संगीत ने इसे डूबा दिया।

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