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कलाकारों की आर्थिक सहायता के लिए संस्कार भारती की बड़ी मुहिम

हमें फॉलो करें कलाकारों की आर्थिक सहायता के लिए संस्कार भारती की बड़ी मुहिम
, शनिवार, 17 जुलाई 2021 (14:30 IST)
- दिल्ली से शकील अख़्तर की विशेष रिपोर्ट
 
सुरेश वाडकर ने गुनगुनाया-‘ऐ ज़िदंगी गले लगा ले’। कैलाश खेर ‘तेरी दिवानी’ में डूबे। सोनू निगम ने गाया-‘अभी मुझ में कहीं’। उस्ताद अमजद अली ख़ां ने सरोद पर रघुपति राघव राजा राम की धुन बजाई। उस्ताद वसुफिद्दीन डागर ने अर्चना की-‘ हे गोविंद, हे गोपाल !’ कविता सेठ ने ग़ज़ल को मीठी आवाज़ दी- ‘दिले नादान तुझे हुआ क्या है’। शंकर महादेवन और अनुराधा पौडवाल ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन को अपने सुरों में बांधा- ‘वैष्णव जन तो तैने कहिये पीर पराई जाने रे’!
 
पीर पराई जाने रे
सिनेमा और संगीत के दिग्गज कलाकारों का यह आयोजन था-‘पीर पराई जाने रे’। बीजेपी सांसद और सूफ़ी गायक हंसराज हंस के नेतृत्व में यह वर्चुअल कॉन्सर्ट हाल ही में संस्कार भारती, दिल्ली ने आयोजित किया। आयोजन का उद्देश्य कोरोना की वजह से आर्थिक संकट से घिरे कलाकारों की आर्थिक मदद के लिए कोष जुटाना है। इसमें आम लोगों के साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों से अनुदान, सहायता और राहत की अपील की गई है। देर से ही सही लेकिन उम्मीद बंधी है कि इस अभियान से कलाकारों का कुछ भला होगा। हम सभी जानते हैं कि पिछले डेढ़-दो साल से कलाकारों के मंचीय कार्यक्रम बंद है। अब कोरोना की तीसरी लहर का ख़तरा भी मंडरा रहा है। परफॉरमिंग आयोजनों के बिना विभिन्न कलाओं से जुड़े अधिकतर कलाकारों की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब है।
 
सिनेमा और संगीत के जुटे कलाकार
इस कॉन्सर्ट में सिनेमा, संगीत और नृत्य से जुड़े 30 से अधिक दिग्गज कलाकार जुटे। उन्होंने न सिर्फ कलाकारों की आर्थिक सहायता के लिये विनम्र अपील की, अपितु अपनी कला का प्रदर्शन भी किया। कार्यक्रम का संचालन गीतकार, शायर मनोज मुंतशिर और लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने किया। मनोज मुंतशिर ने इस कार्यक्रम को ‘संवेदना उत्सव’ का नाम दिया, खुले दिल से मदद की विनती की। मालिनी अवस्थी ने कलाकारों का हितभागी बनने की बात कही। उन्होंने दर्शकों से कहा- ‘हालात ये हैं कि कलाकार ना तो अपने घर का किराया दे पा रहे हैं, ना बच्चों की फीस, ना ई एम आई’। उनके लिए घर चलाना भी मुश्किल हो गया है’।

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कला है तो भारत है
सिने स्टार अक्षय कुमार ने कहा-‘ पिछले 2 सालों से कलाकारों के पास काम नहीं है। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनकी सहायता के लिये मैं संस्कार भारती के अभियान का समर्थन करता हूं। सच यही है कि कलाकार हैं तो कला है, कला है तो भारत है’। डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा-‘ हमारे उत्सवों और आयोजनों में साथ खड़े रहने वाले कलाकार आज विकट आर्थिक संकट में है, आज उनके साथ हमें खड़े होने की ज़रूरत है’। गायक कैलाश खेर ने कहा- ‘फंड रेज़िंग में कलाकार ही साथ देते हैं। परंतु आज उनके लिए फंड रेज़ करना ज़रूरी हो गया है’। ख्यात शास्त्रीय नर्तक डॉ.सोनल मानसिंह ने दर्द बयान किया-’कोरोना संकट के दौर में परफॉरमिंग आर्ट्स से जुड़े कलाकारों के कार्यक्रम बंद पड़े हैं। कलाकारों के साथ हमारी कला और संस्कृति मुरझाने लगी है। आज भारतीय संस्कृति को मुरझाने से बचाने का वक्त आ गया है’।
 
सरकार तुरंत प्रभाव से दे मदद
पं.बिरजू महाराज और साजन मिश्र ने अपने संदेशों में प्रधानमंत्री और सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की अपील की। बिरजू महाराज ने कहा- ‘हम अपने स्तर पर मदद करते रहते हैं। परंतु यह बड़ा काम है। इसके लिए मिलकर ही पहल करने की ज़रूरत है’। संस्कार भारती के अध्यक्ष, चित्रकार वासुदेव कामत ने कहा-‘सच्चा कलाकार अपनी कला से समाज को देता ही रहता है, उसका मांगने का स्वभाव ही नहीं है। परंतु कोविड की वजह से आज कलाकार दारूण अवस्था में हैं। हमें उनकी पीर को समझने की ज़रूरत है ताकि वे जीवन यापन के साथ ही अपनी साधना जारी रख सकें’। ‘पीर पराई जाने रे’ अभियान के अध्यक्ष हंसराज हंस बोले- ‘कोविड की वजह से कलाकार क्राइसिस में है। जबकि कलाकार किसी भी देश की तहज़ीब या कल्चर की पहचान है। हमें आज अपनी तहज़ीब बनाने वालों को बचाने की ज़रूरत है’। वहीं बीजेपी सांसद और भोजपुरी कलाकार, मनोज तिवारी और रवि किशन ने भी कलाकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। मनोज तिवारी ने कहा-‘ संकट में खड़े रहना, हम भारतीयों की रीत है। संस्कृति हमारी पहचान है,कलाकार उसका योद्धा है। कलाकार बचेगा तो संस्कृति बचेगी’।

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सिने हस्तियों ने दोहराई विनती 
कॉन्सर्ट में सिने कलाकारों ने भी इस यज्ञ में मुक्त हस्त से हाथ बंटाने की अपील की। फिल्म निर्माता सुभाष घई ने कहा-‘वैष्णव जन का संदेश यही है कि हम हर भारतीय का दु:ख समझें। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम कलाकारों की मदद करें। प्रकाश झा और अनुपम खेर ने यही अपील दोहराई और संस्कार भारती के अभियान की प्रशंसा की। गायक सुरेश वाडकर ने कहा-‘कलाकार इस वक्त मुश्किलों के दौर से गुज़र रहे हैं। उनके स्ट्रगल को कम करने में साथ आने की ज़रूरत है। ग़ज़ल गायक ए हरिहरण ने कहा-‘ कलाकारों की हम मदद नहीं करेंगे तो बड़ा नुकसान हो जायेगा। यही बातें अनूप जलोटा, शंकर महादेवन, सोनू निगम, कपिल शर्मा, दलेर मेहंदी,मीका सिंह,जसवीर जस्सी जैसे सभी फ़नकारों ने कहीं।
 
अच्छी पहल, मुश्किल टास्क
संस्कार भारती की पहल पर एक अच्छी शुरूआत तो हो गई है। परंतु कोष जुटाने और फिर व्यवस्थित रूप से उन्हें कलाकारों तक पहुंचाना एक बड़ी टास्क होगा। विशेषकर हमारे देश में कलाकार गांवों से लेकर शहरों तक हैं। ज़्यादातर असंगठित हैं। उनका व्यवस्थित लेखा-जोखा कम है। कला आलोचक अजित राय की माने तो भारत में गांवों से लेकर महानगरों तक करीब 2 करोड़ कलाकार हैं। इनमें बहुतों की जीविका कला प्रदर्शन पर निर्भर है। परंतु पिछले डेढ़ सालों से उनकी हालत बेहद ख़राब हो चुकी है। सरकारों का ध्यान नहीं है। यहां तक कि दो सालों से कलाकारों को अनुदान नहीं मिला है। कला अकादमियों और संस्कृति मंत्रालयों को जो बजट दिया गया है। कोरोना काल में उनका किस तरह से उपयोग हुआ, इसका कोई हिसाब नहीं है। अनुदान क्यों रुका हुआ है,यह भी एक सवाल है। जबकि जिन बड़े संस्थानों को बजट मिला, उन्होंने कला की कार्यशालाओं,कलाकारों और उनके काम से जुड़े लेखकों के लिये ऑन लाइन ऐसा काम जनरेट नहीं किया, जिससे उन्हें आर्थिक मदद मिल पाती। उम्मीद है संस्कार भारती की इस पहले से कलाकारों के काम के प्रति जागरुकता आएगी। सरकारों में नए सिरे कवायद शुरू होगी। ऐसे संकटों के समय कलाकारों के हित के लिये नई योजनाओं का प्रादुर्भाव होगा।
 
ऐ ज़िदंगी गले लगा ले
वर्चुअल कॉन्सर्ट में संगीत,वादन,गायन के कलाकारों ने अपने कार्यक्रमों की झलक भी पेश की। इनमें सुरेश वाडकर (ऐ ज़िदंगी गले लगा ले), सोनू निगम (अभी मुझमे कहीं), कैलाश खेर (तेरी दिवानी), मधुश्री (कभी नीम-नीम,कभी शहद-शहद), अनूप जलोटा (तेरा जनम मरण मिट जाये), रिचा शर्मा (छाप तिलक सब छीनी रे), कविता सेठ (दिले नांदा तुझे हुआ क्या है), अनुराधा पौडवाल (वैष्णव जन तो तैने कहिये) जैसे गीत-भजन प्रस्तुत किए। कॉन्सर्ट में प.विश्व मोहनभट्ट, उस्ताद अमजद अली ख़ान, उस्ताद वसीदुद्दीन डागर, डॉ.रेखा राजू, डॉ.सरोज वैद्यनाथन, सुमित्रा गुहा, अनवर ख़ान, मुकुंद आनंद, नागराज राव हवलदार, राजेंद्र गंगानी जैसे दिग्गज कलाकार भी नुमाया हुए।

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