शशि कपूर की पत्नी का नाम था जेनिफर केंडल, जो कि अंग्रेज थी। दोनों की पहली मुलाकात 1956 में कलकत्ता में हुई थी। शशि अपने पिता के पृथ्वी थिएटर की ओर से नाटक कर रहे थे। वे अभिनय के साथ-साथ स्टेज मैनेजर की भूमिका भी निभा रहे थे।
जॉफरी कैंडल का शेक्सपियरन ग्रुप भी उस समय कलकत्ता में आया हुआ था। जॉफरी की बेटी जेनिफर और शशि मुलाकात हुई और एक-दूजे को वे पसंद करने लगे। जब दोनों ने अपने-अपने माता-पिता को बताया कि वे शादी करना चाहते हैं तो विरोध दोनों ओर से हुआ।
कपूर्स के साथ-साथ कैंडल परिवार भी इसके खिलाफ था। दो देश, दो भाषाएं, दो संस्कृति में बहुत ज्यादा अंतर था और यह माना जा रहा था कि यह शादी ज्यादा दिनों तक नहीं टिकेगी।
शशि कपूर उदास हो गए। ऐसे समय उनकी भाभी उनकी मसीहा बन कर उभरी। शम्मी कपूर की पहली पत्नी गीता बाली इस विवाह के समर्थन में आ खड़ी हुईं। गीता बाली ने अपने परिवार के साथ-साथ कैंडल्स को भी मनाया और इस तरह से जुलाई 1958 में दोनों की शादी हुई।
जेनिफर और शशि ने शादी के बाद एक वादा एक-दूजे से किया। उन्होंने माना कि पति-पत्नी में नोकझोक तो होगी ही। कभी भी और कैसा भी विवाद हो वे रात में एक-दूसरे के सामने मुंह कर के ही सोएंगे। इससे उनके बीच संबंध तुरंत सामान्य हो जाएंगे। ये वादे पर वे हमेशा कायम रहे।
कपूर परिवार में शशि कपूर सबसे ज्यादा हैंडसम थे। बॉलीवुड की कई हीरोइन उन पर फिदा थीं। कुछ ने शशि पर डोरे भी डाले, लेकिन शशि के पैर कभी नहीं फिसले। उनके लिए जेनिफर ही सब कुछ थी। सुंदरियों से घिरे रहने के बावजूद उनके अफेयर के किस्से कभी नहीं सुनाई दिए।
जेनिफर जब तक शशि के साथ रहीं उन्होंने शशि का पूरा ध्यान रखा। शशि लगातार फिल्मों में दिन-रात काम करते रहे और जेनिफर ने भारतीय स्त्री की तरह कुशलता से घर संभाला।
शशि को तब करारा झटका लगा जब पता चला कि जेनिफर को कैंसर हो गया। जेनिफर को बचाया नहीं जा सका और 1984 में उनकी मृत्यु हो गई। जेनिफर की मृत्यु ने शशि कपूर को हिला दिया।
शशि एकदम तन्हा हो गए। खाने-पीने और करियर से उनका नियंत्रण छूट गया। वे मोटे हो गए और हीरो के रूप में उनका करियर खत्म हो गया।
जेनिफर की मृत्यु के बाद शशि के चेहरे पर स्थायी उदासी का भाव रहने लगा। वे फिल्मी पार्टिेयों और यार-दोस्तों से दूर हो गए। सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचने लगे। जेनिफर की कमी वे हरदम महसूस करने लगे।
धीरे-धीरे उनका वजन इतना बढ़ गया कि वे घर में ही कैद हो गए। यदाकदा ही उन्हें घर से बाहर देखा जाने लगा। जेनिफर के जाने के बाद से शशि के अंतिम समय तक उनके चेहरे पर वो मुस्कान नजर नहीं आई जिसके लिए वे जाने जाते थे। ऐसा प्यार था शशि-जेनिफर का।