1) 18 मार्च 1938 को कलकत्ता में जन्मे शशि कपूर का मूल नाम बलबीर राज कपूर है। उन्हें प्यार से शशि भी कहा जाता है इसलिए वे शशि कपूर नाम से फिल्मों में आए।
2) अपने भाइयों में वे सबसे छोटे हैं इसलिए उन्हें शशि बाबा भी कहा जाता है। उनके बड़े भाई शम्मी कपूर, शशि को शाशा पुकारते थे।
3) पिता और भाइयों को देखते हुए शशि ने भी अभिनेता बनने की ठानी। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने शशि को खुद अपना सफर तय करने को कहा।
4) बाल कलाकार कलाकार के रूप में शशि ने आग (1948), आवारा (1951) जैसी कुछ फिल्मों में काम किया।
5) 1961 में धर्मपुत्र से शशि ने अपना करियर शुरू किया। यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित यह फिल्म 'आचार्य चतुरसेन' नामक उपन्यास पर आधारित थी। इस फिल्म को 1961 में प्रेसिडेंट सिल्वर मेडल मिला।
6) शशि ने जब बतौर हीरो अपना करियर शुरू किया तब उनके भाई राज कपूर और शम्मी कपूर अपने करियर के शीर्ष पर थे। फिल्म निर्माताओं की तीसरी पसंद हुआ करते थे शशि कपूर। करियर के शुरुआत में उन्हें दोयम दर्जे की भूमिकाएं निभाना पड़ी।
7) अपने भाइयों में शशि कपूर को सबसे हैंडसम माना जाता था। लड़कियां और महिलाएं शशि की दीवानी थी।
8) शशि कपूर को बड़ी सफलता मिली फिल्म 'जब जब फूल खिले' (1965) से। मधुर संगीत, रोमांटिक कहानी और शशि कपूर -नंदा की जोड़ी ने सभी का मन मोह लिया।
9) जब जब फूल खिले में अपनी भूमिका की तैयारी के लिए शशि ने कश्मीर में कुछ दिन नाविकों के साथ बिताए ताकि उनकी जीवनशैली से परिचित हो सके। कई बार उनके साथ खाना भी खाया।
10) शशि कपूर की पसंदीदा अभिनेत्री नंदा थी।
11) नंदा ने शशि के साथ काम करना तब स्वीकार किया जब वे बड़ी स्टार थीं। इसलिए शशि हमेशा नंदा के अहसानमंद रहे।
12) नंदा और शशि कपूर की जोड़ी को खासा पसंद भी किया गया। दोनों ने चार दीवारी (1961), मेहंदी लगी मेरे हाथ (1962), मोहब्बत इसको कहते हैं (1965), जब जब फूल खिले (1965), नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे (1966, राजा साब (1969) तथा रूठा ना करो (1970) जैसी फिल्मों में काम किया।
13) शशि कपूर ने नंदा के अलावा राखी, जीनत अमान और शर्मिला टैगोर के साथ भी कई फिल्में की।
14) शशि कपूर कभी टॉप के स्टार नहीं बन पाए, लेकिन राज कपूर, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे सुपरसितारों के बीच भी उन्होंने अपनी जगह बनाए रखी।
15) शशि कपूर इतने व्यस्त अभिनेता बन गए थे कि दिन में तीन से चार फिल्मों की शूटिंग करते थे। अपने भाई राज कपूर को 'सत्यम शिवम सुन्दरम' के लिए वक्त नहीं दे पाते थे। राज साहब ने नाराज होकर उन्हें 'टैक्सी' कह दिया था क्योंकि शशि का मीटर हमेशा डाउन रहता था।
16) मल्टीस्टारर फिल्मों से शशि कपूर को कभी परहेज नहीं रहा। अपने दौर के सारे समकालीन अभिनेताओं के साथ उन्होंने काम किया।
17) अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। दीवार, सुहाग, कभी कभी, सिलसिला, नमक हलाल जैसी सफल फिल्में दोनों ने मिलकर दी।
18) कमर्शियल फिल्मों से कमाया पैसा शशि कपूर ने फिल्मों में ही लगाया। उन्होंने पृथ्वी थिएटर स्थापित किया जिसके जरिये कई प्रतिभाएं सामने आईं।
19) शशि कपूर ने सार्थक फिल्में बनाईं। उनके बैनर तले बनी जुनून (1978), कलयुग (1980), 36 चौरंगी लेन (1981), विजेता (1982), उत्सव (1984) आज भी याद की जाती हैं। हालांकि इन फिल्मों के निर्माण में उन्हें तगड़ा घाटा उठाना पड़ा।
20) घाटे से उबरने के लिए शशि ने कमर्शियल फिल्म बनाने का निश्चय किया। अपने दोस्त अमिताभ बच्चन को लेकर उन्होंने 'अजूबा' (1991) फिल्म निर्देशित की, लेकिन इस फिल्म की असफलता ने उनका घाटा और बढ़ा दिया। बाद में कुछ संपत्ति बेचकर उन्होंने अपना कर्ज चुकता किया।
21) कैंडल ग्रुप अपने नाटकों के सिलसिले में मुंबई आया हुआ था। इस दौरान कलकत्ता में जेनिफर कैंडल से शशि कपूर की मुलाकात हुई जो जल्दी ही मोहब्बत में बदल गई। दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन कैंडल परिवार इसके खिलाफ था। शम्मी कपूर की पत्नी गीता बाली ने शशि का पुरजोर समर्थन किया और उनके प्रयासों से यह शादी संभव हुई।
22) शशि कपूर उन शुरुआती भारतीय अभिनेताओं में से हैं जिन्होंने ब्रिटिश और अमेरिकन फिल्मों में काम किया। द हाउसहोल्डर (1963), शेक्सपीअर वाला (1965), बॉम्बे टॉकीज (1970), हीट एंड डस्ट (1982), जैसी उनकी फिल्में काफी चर्चित रहीं।
23) सिद्धार्थ (1972) नामक फिल्म के कारण शशि कपूर सुर्खियों में रहे। इस फिल्म में वे न्यूड सिमी ग्रेवाल के सामने खड़े नजर आए जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ।
24) शशि कपूर को तीन बार नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है। 1979 में शशि द्वारा निर्मित फिल्म जुनून को बेस्ट फीचर फिल्म अवॉर्ड मिला। 1986 में फिल्म न्यू देल्ही टाइम्स के लिए बेस्टर एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला। 1994 में फिल्म 'मुहाफिज' के लिए स्पेशल ज्युरी अवॉर्ड। साथ ही उन्हें 2014 का दादासाहेब फालके अवॉर्ड मिला।
25) पत्नी जेनिफर कैंडल की 1984 में कैंसर के कारण मृत्यु हो गई। इसका शशि को बेहद सदमा पहुंचा। उन्होंने अपने करियर पर ध्यान देना बंद कर दिया और एकाकी जीवन जीने लगे थे। ।