शिल्पा शेट्टी की पहली फिल्म बाजीगर मानी जाती है जो 12 नवम्बर 1993 को रिलीज हुई थी। लेकिन इस फिल्म के पहले उन्होंने गाता रहे मेरा दिल नामक फिल्म की थी जिसमें उनके हीरो रोनित रॉय और रोहित रॉय थे। इसे दिलीप नाईक ने निर्देशित किया था, लेकिन यह फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हो पाई। यह प्रेम-त्रिकोण पर आधारित थी जिसमें एक लड़की को दो लड़के चाहने लगते हैं।
बहरहाल, जब बाजीगर को बनाने की प्लानिंग हो रही थी तो यह फिल्म पहले सलमान खान को ऑफर हुई। उन्होंने ठुकरा दी तो अनिल कपूर और अक्षय कुमार को यह ऑफर की गई, लेकिन उन्होंने भी इस मूवी को करने से इंकार कर दिया। कारण यह था कि वे ऐसे किरदार को नहीं निभाना चाहते थे जो फिल्म की हीरोइन का मर्डर कर देता है। शाहरुख खान यह जोखिम उठाने के लिए तैयार हो गए और यह बात उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई क्योंकि सफलता की सीढ़ी उन्होंने इसी फिल्म के जरिये चढ़ी थी।
जिस तरह हीरो पहले चॉइस नहीं थे उसी तरह हीरोइन के रूप में काजोल और शिल्पा शेट्टी भी पहली पसंद नहीं थीं। यह फिल्म श्रीदेवी को सबसे पहले ऑफर की गई थी। श्रीदेवी को काजोल वाला रोल ऑफर किया गया था। श्रीदेवी ने निर्देशक अब्बास-मुस्तान के आगे शर्त रख दी कि वे यह फिल्म तभी करेंगी जब दोनों बहनों के (काजोल और शिल्पा वाले रोल) उन्हें ही अदा करने दिए जाएंगे।
दरअसल बाजीगर की कहानी 1991 में रिलीज फिल्म ए किस बिफोर डाइंग से प्रेरित थी और उस फिल्म में सीन यंग ने दोहरी भूमिका निभाई थी और श्रीदेवी भी यही करना चाहती थी। अब्बास-मुस्तान को डर था कि फिल्म में श्रीदेवी के किरदार की हत्या दिखा दी तो दर्शक इस बात को हजम नहीं कर पाएंगे क्योंकि श्रीदेवी उस समय बहुत बड़ी स्टार थीं।
श्रीदेवी की शर्त जब नहीं मानी गई तो उन्होंने फिल्म करने से इंकार कर दिया। आखिरकार काजोल और शिल्पा शेट्टी को साइन किया गया। तो, शिल्पा को यह फिल्म मिलने की वजह कहीं ना कहीं श्रीदेवी बनी। फिल्म रिलीज होने के बाद सुपरहिट रही और शिल्पा को भी खूब पसंद किया गया।
शिल्पा एक बात के लिए काजोल से नाराज थीं। वे चाहती थीं कि फिल्म का गाना ये काली-काली आंखें उन पर फिल्माया जाए। पर यह गाना काजोल को मिला। शिल्पा का कहना था कि यह गाना काजोल की आंखों पर फिट ही नहीं होता। बहरहाल यह गाना खूब लोकप्रिय हुआ और शिल्पा के गुस्से का पारा और चढ़ गया।