Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मरने के पहले एक फिल्म निर्देशित करना चाहता था, सो 'खजूर पे अटके' बनाई: हर्ष छाया

हमें फॉलो करें मरने के पहले एक फिल्म निर्देशित करना चाहता था, सो 'खजूर पे अटके' बनाई: हर्ष छाया

रूना आशीष

"मैं मरने के पहले कम से कम एक कोई फिल्म बना लेना चाहता था। वैसे भी मैंने पहले कभी कैमरा ऑपरेट किया तो कभी प्रोडक्शन असिस्टेंट बन गया। कैमरे के पीछे 5-6 साल तक काम किया। फिर एक्टिंग का कीड़ा था जो बड़ा दमदार और पक्का निकला। एक्टिंग की दुकान चल निकली, लेकिन हमेशा से चाहा कि पर्दे के पीछे भी अच्छा खासा काम कर सकूं तो 'खजूर पे अटके' फिल्म बनाने और निर्देशित करने का मौका मिल गया"
 
टीवी विज्ञापन में कभी इन साहब की दमदार आवाज़ गूंजी तो कभी किसी सारियल में इनका सशक्त अभिनय देखने को मिला, लेकिन हर्ष छाया का निर्देशन लोगों को पहली बार देखना मिलेगा। 'खजूर पे अटके' के प्रमोशनल इंटर्व्यूज के दौरान हर्ष से बात की वेबदुनिया संवाददाता रूना आशीष ने। 
 
इसमें सारे मंझे हुए कलाकार हैं। कभी किसी बड़े स्टार की ख्वाहिश नहीं हुई? 
पहले तो कहानी सामने आई, फिर अभिनेता ढूंढे गए। मैंने और निर्माता ने माना कि इसमें कोई किरदार बड़ा या छोटा नहीं है। सबकी अपनी अहमियत है। ऐसा नहीं कि हमने किसी बड़े स्टार के बारे में नहीं सोचा या उन्हें स्क्रिप्ट नहीं दिखाई, लेकिन उनकी इच्छा का भी ध्यान रखना पड़ता है। कोई बोला सब अच्छा है, बस यहां से ये चीज़ों में बदलाव हो जाए तो चलेगा। कहानी में बदलाव की बात हुई। इस पर मेरे निर्माता ने कहा कि फिल्म तो वही बनेगी जो आपने स्क्रिप्ट में सुनाई है, भले ही दूसरा कलाकार लेना पड़े। 
 
आपने मधुर भंडारकर और अजय सिन्हा जैसे निर्देशकों के साथ काम किया है। उनकी कोई झलक आपके निर्देशन में देखना मिलेगी? 
आप जब ऐसे लोगों के साथ काम करते हैं तो आप जाने अनजाने कई बातें सीखते हैं, लेकिन मैं हमेशा से ऋषिकेश मुखर्जी जैसे निर्देशकों से प्रभावित रहा हूं। जब १५ साल का था तब भी मुझे 'आनंद', 'मिली' और 'खट्टा मीठा' जैसी फिल्में पसंद आती थीं। मुझे वैसी फिल्में देखना और बनाना पसंद है। 
 
आपका एक सीरियल 'हसरतें' उस समय बहुत बोल्ड हुआ करता था। 
हां, अगर आज के दौर की कहानी को 20 साल पहले ही दिखा दिया गया था, हो सकता है कि बोल्ड रहा हो, लेकिन हमें कभी ऐसी कोई परेशानी से नज़रें नहीं मिलानी पड़ी। उस समय हमने एक इंसान के प्यार की कहानी बताई और दर्शकों ने इसे एक कहानी समझा और कहानी मान कर देखा। आज उसी प्लॉट को उठा कर दिखाया जहां भाभी को देवर से प्यार हो जाता है तो दर्शकों की तरफ से आपत्ति आ गई और शो को बंद करना पड़ा। आप बताइए ज़्यादा बोल्ड दर्शक कब के थे? पुराने या आज के? 
 
आगे की क्या योजना है? 
मैं जून में बंगाली फिल्म कर रहा हूं। 'ब्योमकेश बक्षी' फिल्म का सीक्वल जैसा है। वैसे भी बंगाल में डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्षी को बहुत पसंद किया जाता है। हर साल वहां ब्योमकेश बक्षी पर फिल्म बन जाती है। बात रही निर्देशन की तो मेरे पास कुछ कहानियां हैं जिन पर मैं काम करना चाहता हूं। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बलात्कार वाले जोक पर हंस कर फंसी कंगना रनौट