Pashmina Roshan: मुझे अपने रोल के लिए बहुत ज्यादा तैयारी करना पसंद है। इसलिए जब भी कोई लाइन हो, मैं उसकी बहुत ज्यादा तैयारियां करती हूं। इस फिल्म के साथ मेरा पहली बार कैमरा से सामना हुआ। लेकिन हम चारों ही लोगों को जब आपस में साथ में एक्टिंग करनी थी, उसके लिए वर्कशॉप करनी थी। और मेरी इस वर्कशॉप से भी पहले एक वर्कशॉप की गई यानी ट्रेनिंग ली गई।
मुझे निर्देशक साहब की एक दोस्त श्रुति जी के साथ काम करना था। वह मुझे संवादों को कैसे बोला जाता है, यह बता रही थी। कितने ठहराव लेना चाहिए या कितने पॉज के साथ एक्टिंग करना चाहिए, यह सब चीजें बता रही थीं। मेरे साथ यह हुआ कि जब हम लोगों ने चारों ने मिलकर वर्कशॉप की तब काम और भी आसान हो गया। जब हम कोई सीन भी करते थे तो बहुत आसानी होती थी। मैं कह रही थी कि चलो मेरे साथ एक रिहर्सल कर लो तो हम आपस में बड़े खुल गए थे और इसका फायदा होता है।
यह कहना है पश्मीना रोशन का जो कि 'इश्क विश्क रिबाउंड' के जरिए फिल्मी दुनिया में अपना कदम रख रही है। हालांकि पश्मीना फिल्मी दुनिया के लिए नई नहीं है। उनके पिताजी राजेश रोशन जाने-माने संगीतकार है। चाचा जी राकेश रोशन और चचेरे भाई रितिक रोशन अपनी अलग पहचान फिल्म इंडस्ट्री में रखते हैं। मीडिया से बात करते हुए पशमीना ने अपने घर वालों के बारे में कई सारी बातें बताई।
पश्मीना कहती है, आपको बताना चाहूंगी कि बहुत ज्यादा तैयारी की जरूरत में मेंटली नहीं लेकिन हां फिजिकली थोड़ी बहुत मुझे तैयारी करनी पड़ेगी। किस तरीके से रोल निभाना है। मुझे कितना उठना है, बैठना है और फिर कभी कभी नि बड़ा अच्छा जाता तो कभी कोई दिन बड़ा ही भारी जाता था। मुझे आज भी याद है कि हम देहरादून में शूट कर रहे थे। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन इसी बीच मेरे बहुत ही करीबी रिश्तेदार की मौत हो गई और मेरा दिल जैसे टूट ही गया। मुझे लगा कि बस मैं भाग जाऊं। अपने घर वालों के साथ कुछ समय बिता लूं।
लेकिन मैं यह भी जानती थी कि मैं शेड्यूल में हूं और फिल्म शूट कर रही हूं। चाहे मैं कितना भी अपने आपको मना लूं लेकिन सच तो यह है कि मुझे यहां एक टीम की तरह काम करना है। मैं इमोशनली बहुत कमजोर होती जा रही थी और फिर अपने आप को समझाया मैंने सोचा कि शायद बड़ा होना इसी को कहते हैं। आपको कभी-कभी दिल जो चाहे वह करना नहीं मिलता है समय के साथ आपको कुछ निर्णय लेने पड़ते हैं और मैंने वही किया।
आप लोग जब सेट पर काम कर रहे थे तो कितनी मस्ती हुआ करती थी?
रोहित पहले भी काम कर चुका है, लेकिन फिर भी हम को चारों को लगा ही नहीं कि हम में से कोई भी पहले भी काम कर चुका है। फिल्म शुरू करने के पहले हमें वर्कशॉप में एक टास्क दिया गया था जिसमें हम चारों को अपने जिंदगी का एक ऐसा पहलू बताना था जो हमने जिंदगी में कभी किसी से नहीं कहा है। यह एक खास कारण बन गया कि हम आपस में जुड़ते चले गए क्योंकि जब मुझे मालूम है कि सामने वाले के साथ यह हुआ है या उसी चीज अच्छी नहीं लगी है तो हम जाने-अनजाने उसके लिए बड़े प्रोटेक्टिव हो जाते हैं।
उसके लिए बहुत सुरक्षा की भावना महसूस करने लग जाते हैं। और जहां तक मस्ती मजाक की बात है, मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है कि नाइला मेरे साथ में थी वरना रोहित और जिबरान जैसे बदमाश तो हम दोनों को खा ही जाते थे। वे हम दोनों को बोलने तथा मौका नहीं देते थे। ऐसा कितनी बार हुआ कि हम लोग प्रमोशन इंटरव्यूज में साथ में बैठे हैं। हमें गेम खिलाया जाता है और अगर कभी लड़का वर्सेस लड़की वाली बात हो जाती है और वह जीत जाते हैं। फिर तो हमारी जो लड़ाइयां शुरू हो जाती है कि अगले दो-तीन और इंटरव्यू तक हम लड़ते ही रहते हैं। अच्छा है हम लड़कों से अलग इंटरव्यू दे रहे हैं।
आप फिल्म इंडस्ट्री में ही बड़ी हुई हैं आप पर किस तरीके का प्रेशर था?
मैं इसे प्रेशर नहीं मानती। मुझे लगता है मैं बहुत लकी रही हूं कि मुझे फिल्म इंडस्ट्री का बचपन से हिस्सा बनने का मौका मिलता रहा है। मैं सारे तौर-तरीके बचपन से ही देखती आ रही हूं। मेरे घरवालों ने फिल्मों को लेकर ऐसे अच्छे अच्छे काम किए हैं कि मुझे लगता है कि एक दिन मुझे भी ऐसे काम करना हैं ताकि लोग मुझे याद रखें। मैं मेरे घरवालों की ही तरह मैं अपनी छाप छोड़ सकूं। उसके लिए तुम्हें जी जान से मेहनत करने के लिए भी तैयार रहती हूं।
यहां मैं प्रेशर तुम्हें महसूस नहीं करती, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि मैं खुशकिस्मत हूं। जब भी मैं टिप्स मांगने जाऊंगी तो हजारों की संख्या में मुझे मेरे घर वाले टिप्स देते हैं। फिर मैं क्या करती हूं। मैं एक छोटा सा रोल प्ले करती हूं। उनको दिखाती हूं और कहती हूं कि आप मुझे बताओ कहां मुझे अपने आप पर काम करने की और अपने आप को तराशने की जरूरत है। सबसे अच्छी बात मेरे घर वाले भी इसी तरीके से मेरे उस बात को देखते हैं और बताते हैं कि मुझे कहां पर अपने आप को और बेहतर बनाना है।
पश्मीना आप तीसरी पीढ़ी है जो फिल्म इंडस्ट्री से ताल्लुक रखने जा रही है। ऐसे में आपको संगीत कितना पसंद है? और दादा जी के फेवरेट गाने भी बताएं?
मैं गा तो बिल्कुल नहीं पाती हूं। हालांकि मेरे पिताजी वह हमेशा समझते हैं कि मैं बहुत अच्छा गा सकती हूं। मैंने थोड़ी बहुत ट्रेनिंग करने की कोशिश की, लेकिन मुझे मालूम था मैं गा नहीं पाऊंगी। हमारे स्कूल में ऐसा होता था कि आपको संगीत भी सीखना है और आपको कोई वाद्य यंत्र भी आना चाहिए तो जैसे ही मुझे मौका मिला, मैं वाद्ययंत्र सीखने के लिए चली गई, क्योंकि मुझे उस में ज्यादा रूचि थी तो मैं की-बोर्ड और पियानो भी बजा सकती हूं और मुझे शहनाई बजाना भी आता है।
जहां तक बात रही दादाजी के फेवरेट गानों की तो बहुत सारे हैं। जिंदगी के अलग अलग समय में मुझे अलग-अलग गानों ने बहुत प्रभावित किया है। जैसे मैं कत्थक सिखती थी तो मुझे लागा चुनरी में दाग यह वाला गाना बहुत अच्छा लगता था। जब मैं बहुत ही छोटी थी तब मुझे जो वादा किया यह वाला गाना बड़ा अच्छा लगता था। फिर एक और गाना जो मुझे पसंद आता था, वह है जो वादा किया वह निभाना पड़ेगा। आजकल तो इतनी अच्छी बात हो गई कि स्पॉटिफाई पर जाओ तो मेरे नाम की एक प्ले लिस्ट भी तैयार करके रखी है।
की रोशन नागरथ के वह गाने जो पश्मीना को पसंद आते हैं तो मैं यह देखकर इतनी खुशी से उछल पड़ी कि मैं आपको बता नहीं सकती। मेरी आंखों में आंसू आ गए ऐसा लगा जैसे मेरे दादू ने मेरे लिए ही गाने बनाए हैं। और अगर आप मुझसे पूछे कि पापा का कौन सा फेवरेट सॉन्ग है तो बहुत सारे हैं लेकिन चलिए एक बात बताती हूं। हम लोग यूं तो देहरादून में शूट कर रहे थे, लेकिन कुछ एक चीज के लिए हम को मसूरी भी जाना पड़ रहा था और जहां हम रहते थे, वहां से मसूरी पहुंचने में दो ढाई घंटे का समय लगता था। पता नहीं ऐसा क्यों हुआ कि मैंने उस समय ट्रैफिक है या सफर के दौरान ना तुम जानो ना हम यह वाला गाना इतनी बार सुना कि यह सिर्फ मेरा नहीं बल्कि हमारे पूरे यूनिट का फेवरेट बन गया। इस गाने के साथ मेरी फिल्म का कुछ वाइब मैच हो गया था।
आप में और रितिक में जो भाई बहन का रिश्ता वह किस तरीके का है थोड़ा बताएं?
मेरा मेरे जितने भी भाई बहन है उनके साथ एक बहुत खास और बहुत ही सुंदर रिश्ता है। जहां तक बात है डुगू भैया की तो हम दोनों के रिश्ते में जो मजबूती है उसके लिए मैं सारा क्रेडिट और सारा श्रेय उनको ही रहना चाहती हूं। मैं कुछ नहीं करती हूं। वह बड़े भाई की तरह बहुत सारी चीजों का ख्याल रखते हैं। कभी ट्रिप प्लान करते हैं। कभी हम लोगों की मूवी नाइट होती है।
कभी हम साथ बैठकर गेम खेलते हैं और कितनी बार ऐसा होता है कि हम लोग अगर कुछ हफ्तों तक मिल नहीं पाते तो मुझे फोन लगा कर बोलते हैं, क्या कर रही हो, चलो घर पर गेम खेलने के लिए आ जाओ। या चलो कुछ खाना खाने के लिए बाहर चलते हैं। एक बार ऐसा हुआ कि हम सारे ही कजिन मिलकर पिकनिक पर गए और वहां रहते रहते हैं मुझे भैया ने कहा कि ऐसे बैठे मत रहो कुछ सीखो।
जिस जगह पर हम थे उन्होंने कहा, यह गोल्फ के लिए बहुत जानी-मानी जगह तो चलो गोल्फ सीखते हैं। हम सारे ही भाई बहनों ने वहां पर गोल्फ सीखा और देखिए यह बात थी जब मैं फिल्मों में आई भी नहीं थी और जब फिल्मों में इश्क विश्क के लिए ऑडिशन दिया तो उसमें जो किरदार मुझे मिला है, वह लड़की भी गोल्फ खेलती है। भैया ने मुझे हमेशा समझाया है कि आप जिंदगी में हर बार कुछ नया नया सीखते रहो। पता नहीं कब कौन सी चीज जो तूने सीखी हुई है, तुम्हारे किसी किरदार में तुम्हारी मदद कर जाए।