सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के विघ्नहर्ता गणेश में देवी पार्वती का रोल निभा रहीं मदिराक्षी मुंडले के साथ एक खास चर्चा।
आप विघ्नहर्ता गणेश में कैसे आईं?
पिछले साल जब लॉकडाउन खत्म हुआ था, तो मैंने 2020 के अंत में एक प्रोजेक्ट पर काम खत्म ही किया था और तभी मुझे कॉन्टिलो पिक्चर्स की कास्टिंग टीम से कॉल आया। विघ्नहर्ता गणेश के मेकर्स यह जानना चाहते थे कि क्या मैं देवी पार्वती का रोल निभाना चाहूंगी।
मैंने इसके लिए स्क्रीन टेस्ट दिया और सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन एवं कॉन्टिलो पिक्चर्स के अभिमन्यु सर और रूपाली मैम ने मुझे इस शो में देवी पार्वती के रोल में चुन लिया। यह बड़े सौभाग्य की बात है, क्योंकि भगवान गणेश मेरे प्रिय देव हैं! मेरा यह भी मानना है कि ऐसे किरदार आपको चुनते हैं, ना कि आप किरदार को! इसलिए मैं देवी पार्वती के रोल को आशीर्वाद मानती हूं। इसके बाद केवल 2 दिनों के अंदर मेरी यूनिट मुंबई से कुछ ही घंटों की दूरी पर सभी जरूरी सावधानियों के साथ फ्लोर पर थी। मैं इन सभी की आभारी हूं, जिन्होंने मुझे काम करने के लिए इतना सुरक्षित माहौल दिया।
आपने सीता, लक्ष्मी का रोल निभाया और अब पार्वती का रोल निभा रही हैं। ऐसे दमदार किरदार निभाते हुए क्या आपने कोई खास बात सीखी?
सबसे पहले तो मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं कि मुझे टीवी स्क्रीन पर इन देवियों का रोल निभाने का मौका मिला। सीता, लक्ष्मी और पार्वती सभी हमारे ग्रंथों की देवियां हैं, जिनके सद्गुणों, उदारता और आंतरिक शक्ति की कथाएं सुनकर हम सभी बड़े हुए हैं और हम सभी उन्हें बहुत मानते हैं। मैं यह बात पहले भी कह चुकी हूं कि लोग उनमें गहरी श्रद्धा रखते हैं और वे हमारी संस्कृति और पुराणों में गहरे तक समाए हुए हैं। ऐसे में उनके प्रति दर्शकों की श्रद्धा बहुत मायने रखती है। इसके अलावा लोगों ने भी अपने दिमाग में ऐसे किरदारों की एक विशेष छवि बना रखी है।
क्या एक पौराणिक किरदार निभाना बहुत मुश्किल है, जिसमें आप पर बहुत जिम्मेदारियां होती हैं, क्योंकि इस तरह के किरदारों से लोगों की भावनाएं जुड़ी होती हैं?
जी हां। एक पौराणिक किरदार निभाते हुए आपके सामने उस छवि को प्रस्तुत करने की बड़ी चुनौती होती है, जो दर्शकों के दिलो-दिमाग में बनी हुई है। दर्शक जानते और समझते हैं और इसलिए पौराणिक किरदारों के मामले में वो स्वयं अपनी कल्पना करते हैं। जब अपने प्रिय देवी-देवताओं की बात आती है, तो वे उनसे भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। इसमें कॉस्ट्यूम्स, सेट्स, लाइटिंग और बैकड्राॅप बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इस तरह के जाॅनर में भव्यता दिखानी होती है।
मुझे यह भी लगता है कि इसके डायलॉग्स सबसे मुश्किल होते हैं, क्योंकि यह शुद्ध हिंदी में होते हैं। ऐसे में इसे उस लुक और फील के साथ प्रस्तुत करना आसान नहीं है, जिससे दर्शक जुड़ सकें। हालांकि जब दर्शक हमारे इन प्रयासों पर पूरे दिल से अपना प्यार और आशीर्वाद देते हैं, तो हमें लगता है हमारी मेहनत सफल हो गई।
इस तरह के किरदारों को निभाने की क्या चुनौतियां हैं?
तैयारी की बात की जाए तो मैंने बताए गए क्रिएटिव विजन को हमेशा अपनी तरफ से समझने की कोशिश की है, और कथाओं के इन किरदारों को उसी तरह से ढाला है, जिस तरह से मैं इन्हें सुनते हुए बड़ी हुई हूं। इसमें तैयारियां बहुत काम आती हैं और जब भी समय मिलता है, तो मैं इसके बारे में पढ़कर या सुनकर अपनी तरफ से और प्रयास करती हूं। मैं उन गुणों को प्रस्तुत करने की कोशिश करती हूं, जिनसे दर्शक इन देवियों को पहचानते हैं। दर्शकों का प्यार और आशीर्वाद मेरे और हम सभी के लिए बड़े हौसले का काम करता है।
आप एक्टिंग में कैसे आईं?
बड़े इत्तेफाक से! मैंने कई सालों तक कमर्शियल और रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स में प्रोफेशनल इंटीरियर डिजाइनर के रूप में काम किया है। सच कहूं तो मैं एक्टिंग में आने का प्रयास नहीं कर रही थी, बल्कि मैंने इंटीरियर डिजाइनर के अपने काम के साथ- साथ ज्वेलरी और ट्रेडिशनल वियर के विज्ञापन भी किए थे। मजेदार बात यह है कि मैं टीवी पर अपने डेब्यू शो के लिए 6 महीनों से ज्यादा समय तक स्क्रीन टेस्ट के लिए भी नहीं गई थी! जब मैं अंततः स्क्रीन टेस्ट के लिए गई, तब चीजें वहां से आगे बढ़ीं! अपने स्क्रीन टेस्ट के महज़ एक हफ्ते बाद हम लोग रामोजी फिल्म सिटी में मेरे पहले टीवी शो की शूटिंग कर रहे थे।
क्या आपके कोई दूसरे प्रोजेक्ट्स भी आने वाले हैं?
मुझे प्रोजेक्ट्स के लिए कॉल आते रहते हैं और टीवी के साथ-साथ ओटीटी प्रोजेक्ट्स के लिए भी बात चल रही है। कोविड की पाबंदियों के चलते शूटिंग लोकेशन्स देश के बाहर ले जाई जा रही हैं और इसलिए मुझे चीजों को फाइनल करने में वक्त लग रहा है। मैं उम्मीद करती हूं कि इस मुश्किल घड़ी में सभी लोग अपने घरों पर अपने चाहने वालों के साथ सुरक्षित रहें। मैं वाकई यह चाहती हूं कि हम जल्द से जल्द इस महामारी से बाहर निकल आएं।