kangana ranaut on tiku weds sheru: हमारी सोसाइटी में सफलता को जरूरत से ज्यादा अहमियत दी जाती है, जबकि ऐसा नहीं है। कई ऐसे एक्टर्स होंगे जो सफल एक्ट्रेस से ज्यादा बेहतर होंगे अपनी कला में। लेकिन आज उसके पास काम नहीं है और वह सफल नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि उनके अंदर टैलेंट नहीं है। 'टीकू वेड्स शेरू' में ऐसे ही लोगों की कहानियां है। जो शायद सोसाइटी में कहीं भी मिल सकते हैं। समाज के तौर पर मुझे बहुत बुरा लगता है कि ऐसे लोगों को समाज ने वह मौका ही नहीं दिया जहां पर वह अपने टैलेंट को दिखा सके।
अगर आजकल कि पीढ़ी की में बात करती हूं वो बहुत ज्यादा अधीर है। हर चीज चाहिए होती है और वो जल्दी चाहिए होती है। लेकिन सच तो यह है कि आपको सफल होने के लिए कई सारी असफलताओं का सामना करना पड़ता है। ये कहना है कंगना रनौट का जो 'टीकू वेड्स शेरू' के साथ बतौर प्रोड्यूसर डेब्यू कर रही हैं।
मीडिया से बातचीत करते हुए वेबदुनिया की बात का जवाब देते हुए कंगना ने कहा, आप सच में बहुत ही अच्छा सोच रही है कि आप मुझे इस फिल्म में पर्दे पर देखना चाह रही हैं, लेकिन सच तो यह है कि ये एक सोची-समझी बात थी। इस फिल्म को जब आप देखेंगी तो आप मुझसे सहमति रखेंगे कि इस फिल्म में हमें एकदम नई लड़की चाहिए थीं। जैसे लोगों ने लगभग नहीं देखा हो और ऐसे में हमें अवनीत बहुत अच्छा ऑप्शन लगी। हमारी पहली कास्टिंग जो शेरू की थी, वह तो तय ही थी और वह हो गई थी और फ्रेश फेस के लिए यानी कि टिकू के लिए हम लोग बहुत सारी लड़कियों के ऑडिशंस भी ले रहे थे।
लेकिन कोई भी दिल में उतर नहीं रही थी। फिर मुझे किसी ने अवनीत का फोटो भेजा और मुझे लगा कि बस इसी को कास्ट कर लेना चाहिए। रोल अवनीत का यानी कि टिकू का कुछ इस तरीके से है कि वह अपने दिमाग में कुछ अनोखा सा सोच कर रखती है कि दुनिया ऐसी होती है। वह जिसे कहते हैं कि दुनियादारी की उसे समझ नहीं होती है। बस उसे जैसा दिखा दो उस पर भरोसा कर लेती हैं। यानी कि अल्हड़ है और चीज़ें समझना चाहती है और लगा कि अवनीत से बेहतर अभी तो कोई विकल्प नहीं हो सकता। साथ ही साथ में मैं आपको यह भी बताना चाहूंगी कि फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा नए चेहरों की जगह होती है। बस एक नया चेहरा ले आई मैं।
आप और नवाजुद्दीन एक नया ही कॉम्बिनेशन निकल कर आ रहा है। कैसे इस फिल्म का शुभारंभ हुआ?
मैंने हमेशा से सोच कर रखा था कि जो शेरू का किरदार करेगा वह एक मंझा हुआ कलाकार होना चाहिए जिसे लोग कई बार देख चुके हो और उससे उनका रिश्ता भी हो। नवाजुद्दीन हमेशा से दिल और दिमाग में था और सोच कर रखा था। फिर मैंने नवाजुद्दीन से फोन पर बात की और मिलने के लिए बेंगलुरु पहुंच गई। हमारी एक मुलाकात हुई। और तभी तय हो गया कि नवाज हमारे साथ फिल्म कर रहे हैं।
कंगना इस फिल्म में स्ट्रगलर्स को दिखाया गया है। क्या आप मानती हैं कि आपके पास टैलेंट तो है लेकिन किस्मत भी जरूरी है?
देखिए कठिन परिश्रम से तो कहीं कोई बच नहीं सकता है। वह करना ही पड़ता है। लेकिन हां, मैं यह भी मानती हूं कि कुछ तो होता है जिसे जादू कहा जा सकता है। मैंने मेरी जिंदगी में बहुत बार ऐसे जादू या मैजिक को देखा है और मैं इन पर विश्वास करती हूं तो किस्मत पर विश्वास करती हूं। अब सोचिए ना मेरे साथ साथ पहली बार मैजिक तब हुआ था जब अनुराग बसु ने अपनी फिल्म के लिए हजारों लड़कियों में से सिर्फ मुझे चुना था। फिर वह दौर भी आया जब मैंने थोड़ा स्ट्रगल भी की आठ नौ साल तक मैं काम के लिए इधर उधर बहुत से लोगों से मिलती रही।
वही लोग फिर मुझे बताने लगे कि तुम्हारी प्रॉब्लम पता है क्या है कंगना तुम एक्टिंग बड़ी अच्छी करती हो। अब जरा उस फलाना फलाना हीरोइन को देखो, डांस करना आता है, लेकिन उसे हिंदी बोलना तक नहीं आता। डायलॉग नहीं बोल पाती लेकिन आज टॉप पर। कुछ लोग कहते थे कि तुम्हें क्या अवार्ड और नेशनल अवार्ड जीतने वाली एक्ट्रेस बनना है क्या और फिर कई नामचीन अभिनेत्रियों के नाम लेते थे? फिर मैं कह रही थी कि हां मुझे वह बनना है तो फिर मुझे बोलते ठीक है तो फिर तुम स्मिता पाटिल और शबाना आजमी बनना चाहती हो। क्या फिर वही बन कर रह जाओगी?
मेरा स्ट्रगल जारी रहा, फिर एक दिन क्वीन बनी और लोगों के सामने आ गई। यह वह समय था जब कमर्शियल फिल्में और ऑफबीट फिल्मों का मेल हुआ था। वह भी तो एक मैजिक था और वह सिर्फ मेरे लिए नहीं। बहुत सारे लोगों के लिए मैजिक था। वरना सोचे नवाजुद्दीन सिद्दीकी या मैं या इरफान जी हमेशा ऑफबीट फिल्मों में ही रहे हैं। और अगर टीकू वेड्स शेरू की बात करूं तो यह एक पूरी तरह से कमर्शियल फिल्म है।
आप और नवाजुद्दीन क्या कभी किसी फिल्म में साथ में नजर आएंगे और यदि हां तो किस तरीके की फिल्म होगी।
मुझे तो नवाज सर की हर फिल्म पसंद आती है। जितना भी देखती हूं उनको बहुत बेहतरीन ही पाती हूं। वैसे तो सब रोल में पसंद आए हैं, लेकिन खासतौर पर से वह गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में जिस तरीके के रोल निभाते हैं, मुझे वह खास तौर पर पसंद आते हैं। उनके जो डायलॉग भी हैं कि अपुन को लगता है अपुन हीच भगवान है। यह तो हमारे फैमिली व्हाट्सएप ग्रुप का फेवरेट डायलॉग है। कभी हम किसी होटल की रिजर्वेशन अगर कर लेते हैं या किसी को कपड़े अपने साइज के मिल जाते हैं या कोई भी छोटी बड़ी सफलता मिल जाती है तो यह वाला डायलॉग हमारे यहां व्हाट्सएप पर हम लोग डाल देते हैं। लेकिन हां मुझे नवाज़ुद्दीन सर के साथ उन्हें एक लव स्टोरी में देखने की बड़ी इच्छा है।
कंगना आपको इस फिल्म में शादी पर बात हो रही है तो क्या कहीं आपने कोई सोसाइटल प्रेशर महसूस किया है कि आप शादी कर लो।
मैंने तो बचपन से महसूस किया है। मेरी मां तो हर वक्त मुझ पर डांटा करती थी कि अगर तुमने ऐसे काम किए तो आगे चलकर कोई लड़का मिलने नहीं वाला है तो मैं तो बचपन से ही सोसाइटल प्रेशर का शिकार रही हूं। शायद मेरी मां को पहले ही समझ में आ गया कि इस लड़की का तो कुछ नहीं हो सकता है। लेकिन हां, यह सोसाइटी का प्रश्न होता है लड़कियों के ऊपर ये प्रेशर होता है कि शादी कर लो। लेकिन सच तो यह है कि शादी उसी से करनी चाहिए जो आप की खूबियों को महसूस करें और उसे बढ़ावा दे उसकी प्रशंसा करें।
यह नहीं कि वह आपको दबा कर रख दे और आपकी जो जिंदगी थी उसे भी खराब कर के रख दे। मैं अपने कई दोस्तों में कई बार कहती हूं कि शादी की जब बात आती है तो मेरी जिंदगी 100% में से 95 प्रतिशत बहुत अच्छी है। बहुत सुखी है और बहुत सुकून से गुजर रही है तो अगर कोई मुझसे शादी करना चाहता है तो उस 5% को आकर खुशी को 100% बना सके तो बिल्कुल आए वरना ऐसा ना हो कि शादी के नाम पर आ जाओ और मेरी जिंदगी को 95% से 60% से 10% पर ले तो ऐसे को तो मैं हाथ जोड़कर कहती हूं कि वही नहीं चाहिए। कोई शादी और ऐसे ही होना चाहिए ना जिंदगी में उसके साथ रहो जिसके साथ अच्छा लग रहा है जो आपको पाकर खुश हो रहा हो, वह नहीं जो आपको और आपकी जिंदगी को ख़राब करके रख दे।
सलमान खान और आप से दोनों से एक ही सवाल पूछा जाता है कि आप शादी कब कर रहे हैं।
अरे भाई मुझे सलमान खान के कैटेगरी में मत लेकर आओ जहां तक मेरी शादी का सवाल है। जब होनी है, सही लड़का मिलना है वह समय आएगा तब हो जाएगी।