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पूजा हेगड़े ने खोले राज: बॉलीवुड में भेदभाव, नेपोटिज्म और जेंडर इक्वैलिटी पर बेबाक बातें

सफलता का मतलब खुद को बदलना नहीं, बल्कि अपनी पहचान बनाना है: पूजा हेगड़े का बेबाक इंटरव्यू

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हमें फॉलो करें पूजा हेगड़े ने खोले राज: बॉलीवुड में भेदभाव, नेपोटिज्म और जेंडर इक्वैलिटी पर बेबाक बातें

WD Entertainment Desk

, गुरुवार, 27 मार्च 2025 (13:58 IST)
बॉलीवुड और साउथ सिनेमा की मशहूर अदाकारा पूजा हेगड़े ने अपनी दमदार एक्टिंग और स्क्रीन प्रेजेंस से इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनाई है। हिंदी, तेलुगु और तमिल सिनेमा में अपने टैलेंट के दम पर उन्होंने खुद को साबित किया है। लेकिन इस सफर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हाल ही में, Filmfare के शो ‘In The Ring With Filmfare’ में पूजा ने अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल जर्नी को लेकर कई अहम बातें शेयर कीं। इस शो को Filmfare के एडिटर-इन-चीफ जितेश पिल्लई ने होस्ट किया, जहां पूजा ने इंडस्ट्री में भेदभाव, नेपोटिज्म और महिलाओं की बदलती स्थिति पर अपनी राय रखी।
 
नेपोटिज्म पर पूजा का बड़ा बयान
पूजा हेगड़े ने खुलकर माना कि इंडस्ट्री में अवसर हर किसी के लिए समान नहीं होते। उन्होंने कहा, "कुछ लोगों को करियर की शुरुआत में ही बड़े डायरेक्टर्स के साथ काम करने का मौका मिल जाता है, जबकि हम जैसे आउटसाइडर्स को हर रोल के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आज भी कुछ डायरेक्टर्स मेरे मैसेज का जवाब नहीं देते, लेकिन एक स्टार किड के लिए वही अपॉर्च्युनिटी आसानी से मिल जाती है। फिर भी, मुझे अपने सफर पर गर्व है।"

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जेंडर इक्वैलिटी पर पूजा का नजरिया
फिल्म इंडस्ट्री में जेंडर इक्वैलिटी को लेकर चल रही बहस पर पूजा ने कहा, "बराबरी का मतलब किसी से कुछ छीनना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर किसी को उनका हक और सम्मान मिले। एक फिल्म सिर्फ स्टार्स से नहीं, बल्कि हर एक्टर, टेक्नीशियन और टीम मेंबर के सहयोग से बनती है। जब हम सभी के योगदान को सराहेंगे, तब क्रिएटिविटी और रिस्पेक्ट, दोनों को बढ़ावा मिलेगा।"
 
सफलता का असली मतलब?
पूजा के मुताबिक, "सफलता का मतलब किसी फ्रेम में फिट होना नहीं, बल्कि खुद को एक्सेप्ट करना और अपने टैलेंट को निखारना है। जब आप दुनिया से मान्यता मांगना बंद कर देते हैं और खुद की काबिलियत पर भरोसा करते हैं, तभी असली ग्रोथ होती है। विरासत वे नहीं बनाते जो दूसरों के नक्शे-कदम पर चलते हैं, बल्कि वे बनाते हैं जो अपनी अलग राह बनाते हैं।"

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मेंटल हेल्थ और इमोशन्स को अपनाने की जरूरत
मेंटल हेल्थ पर अपनी राय रखते हुए पूजा ने कहा, "हीलिंग का मतलब दुख या मुश्किल दिनों से बचना नहीं है। इसका मतलब है अपने इमोशन्स को पूरी तरह महसूस करना, रोना जब जरूरत हो, और फिर आगे बढ़ने की ताकत जुटाना। भरोसा रखें—खुद पर, अपने अपनों पर, और उस प्रक्रिया पर जो आपको मजबूत बना रही है। हर आंसू यह याद दिलाता है कि आप इंसान हैं, और हर कदम आपको मजबूत बनाता है।"
 
पूजा हेगड़े का यह इंटरव्यू न केवल उनकी पर्सनल जर्नी को समझने का मौका देता है, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री की हकीकत को भी उजागर करता है। 

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