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'पंच बीट सीजन 2' के कलाकारों को याद आए अपने स्कूल के दिन, शेयर की पुरानी यादें

हमें फॉलो करें 'पंच बीट सीजन 2' के कलाकारों को याद आए अपने स्कूल के दिन, शेयर की पुरानी यादें

रूना आशीष

, शनिवार, 3 जुलाई 2021 (18:51 IST)
'पंच बीट सीजन 2' दर्शकों के सामने आ चुका है। कॉलेज की जिंदगी में कैसे उतार-चढ़ाव आते हैं, फिर चाहे वो छात्रों की, उनसे जुड़े शिक्षकों और प्रिंसिपल की भी जिंदगी से जुड़े हो सकते हैं। इस शो में यह सब दिखाने की कोशिश की गई है। इस शो को अल्ट बालाजी और जी5 पर रिलीज किया गया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वेबदुनिया ने इस शो के सितारों से खास बातचीत की।

 
अपने करियर और अपने रोल के बारे में बात करते हुए रूशाद राणा कहते हैं, मेरे करियर की शुरुआत स्टूडेंट के तौर पर जी टीवी के ही एक शो से हुई है। तब मैंने कभी नहीं सोचा था कि 20 साल बाद मैं इस इंडस्ट्री में टिका रहूंगा और 20 साल बाद भी मेरे पास ऐसे रोल आते रहेंगे। उस समय में स्टूडेंट हुआ करता था और आज मैं एक कोच की तरह लोगों के सामने आ रहा हूं जो बच्चों को स्पोर्ट्स के लिए तैयार कर रहा है। 
 
हम लोगों का आज भी है एक व्हाट्सएप ग्रुप है। हम व्हाट्सएप पर कई अलग अलग तरीके की बातें करते रहते हैं। हाल ही में हम लोग बातें करते करते यह सोचने लगे थे कि 20 साल पहले काश हमारे पास सोशल मीडिया जैसी कोई चीज होती। तो हम कितने सारे लोगों से जुड़ पाते। मैं कहता हूं आज की यह जो पीढ़ी है, बहुत ही लकी है। और मैं अपने आप को लकी इसलिए भी मानता हूं क्योंकि मुझे पंच बीट 2 के साथ कई जाने-माने और दिग्गज और हुनरमंद लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। चाहे निकी का नाम ले लो या फिर समीर का नाम ले लो या फिर आज की पीढ़ी के प्रियंक और निखिल का नाम ले लो।
 
वेबदुनिया की बातों का जवाब देते हुए निक्की ने बताया कि मुझे माया का जो रोल मिला है, जो रोजवुड स्कूल की प्रिंसिपल है। यह रोल निभाते समय एक सैडिस्टिक प्लेजर मिलता है। बड़ा ही अनोखा आनंद होता है। अब इसके पीछे भी एक कारण है जब मैं छोटी थी तब मैं शैतान की मां हुआ करती थी। बोरियां भर भर के मैंने मस्ती की है और हर दूसरे दिन में अपने प्रिंसिपल ऑफिस के रूम में खड़ी रहा करती थी और मेरी प्रिंसिपल देखा करती थी कि मेरे कमरे में जो सिर झुकाए जो निक्की खड़ी है वह आज किस शैतानी की वजह से और किस सजा के तहत यहां पर आकर खड़ी हुई है। 
 
मैंने इतनी मस्ती की है कि यह बच्चे सोच भी नहीं सकते और अगर मैंने उसके बारे में बताया भी तो शायद इन बच्चों के सामने मेरी इमेज खराब हो जाएगी, इसलिए वह बात रहने देते हैं। लेकिन हां इतना बोल सकती हूं कि आज की पीढ़ी के जो बच्चे हैं या रोजवुड के जो बच्चे हैं, उन्हें कई साहूलियतें मिली हैं तो कुछ अलग तरह की मस्तियां भी चलती है। मेरे समय में ऐसी मस्ती नहीं कर सकते थे। जब मैं यह माया प्रिंसिपल का रोल करती हूं तब जाकर मुझे समझ में आता है कि उस समय मेरी जिंदगी में माया यानी कि उस समय कि मेरी प्रिंसिपल के दिल पर क्या गुजरती होगी?
 
इस बीच पूरी मस्ती में आते हुए समीर सोनी ने जवाब दिया कि मुझे तो रोजवुड के इन सारे ही छात्रों से बड़ी जलन महसूस होती है। यह लोग कितने मस्ती से जिंदगी जी रहे हैं मतलब कोई टेंशन ही नहीं होता है। आपस में मिल रहे हैं, खेल रहे हैं। रात में पार्टी चल रही है, लड़कियां घुमा रहे हैं। वरना एक हमारा समय हुआ करता था मैं कितना बदकिस्मत रहा हूं कि हमेशा ऑल बॉयज स्कूल में पढ़ा हूं तो ऐसे में अगर कहीं किसी लड़की को हाय भी बोल दिया तो अगले दिन आप पूरे कैंपस के स्टड बन जाया करते थे। 
 
अगर ऐसे में कोई लड़की कैंपस से गुजर जाए तो हर लड़के का हाथ उसके सिर पर बाल संवारने के लिए काम करने लग जाता था। अगर कोई लड़की देख भी जाए या हाय हेलो भी हो जाए तो बहुत बड़े गर्व की बात हुआ करती थी और आजकल के रोजवुड के लड़कों को देखो एक के बाद एक लड़कियां ही मिलती चली जाती हैं तो मुझे सच में बड़ी जलन मुझे महसूस होती है। एक और दुखी कर देने वाली बात बताता हूं। मैं अपने समय में कक्षा दसवीं में पहली बार किसी लड़की को डेट पर लेकर गया था। वहां भी उसकी बहन के साथ हम लोगों को डेट करनी पड़ी, क्योंकि लड़की अकेले आने को तैयार ही नहीं थी।
 
समीर आगे बताते हैं कि जहां तक निक्की कि मैं बात करूं तो जब भी शूटिंग हुआ करती थी, हम आपस में बैठकर बात किया करते थे। सब के सब मिल बैठकर मस्ती किया करते थे। सब काम होते थे बस एक काम नहीं होता था और वह था कैमरा पर शूट करना हमारे निर्देशक साहब हाथ जोड़-जोड़ कर आगे आते थे लेकिन निक्की है कि हमारे निर्देशक को बोलने तक का मौका दे सारा समय बातचीत और सिर्फ मस्ती और सिर्फ जोक्स। 
 
बेचारा निर्देशक परेशान होकर हमारे आसपास घूमा करते थे और बोलते थे कि भाई एक कोई तो शॉट शूट हो जाए तो काम आगे बढ़े। लेकिन निक्की को मैं आज भी बहुत पसंद करता हूं। मेरे साथ से जिंदगी की बेहतरीन को स्टार में से एक मैं निक्की को गिनना चाहूंगा। जहां तक बात रही निखिल और प्रियांक की तो यह लोग बहुत ही मेहनती स्टार हैं। हर काम को इतने पैशन के साथ और इतने अच्छे से करते हैं कि पीढ़ी को देखकर और इनकी एक्टिंग को देखकर मजा आ जाता है। मैं इन दोनों के लिए यही दुआएं करता हूं कि यह दोनों आगे बढ़े और। हर प्रोजेक्ट जिसमें यह काम करें, उसमें इन दोनों को सफलता मिलती जाए।
 
अपने किरदार के बारे में बात करते हुए प्रियंक ने बताया कि मेरा रोल राहत का है जहां पिछले वाले सीजन में आपने मेरी और माया के रिश्तो के बारे में जाना कि वह दोनों एक दूसरे को कितने अच्छे से समझते हैं। कितने एक दूसरे की कद्र करते हैं और देखभाल करते हैं। 
 
इस बार मेरा रोल थोड़ा सा उससे आगे बढ़ गया है। वह अपनी मां को खो चुका है। वहीं उसे एक मां के तौर पर माया जो अपने स्कूल की प्रिंसिपल है, उससे वह प्यार मिलता है और फिर उसे लगने लगता है कि मां और बेटे का रिश्ता ऐसा तो होना ही चाहिए। वहीं पर मुझे अभी मालूम पड़ता है कि राजवीर मेरा पिता है। लेकिन उन्हें मुझसे बिल्कुल भी प्यार नहीं है। मुझे यह अपने आपको मनवाना पड़ता है कि राजवीर जिसे मैं अपना आइडल मानता था वह असल में बहुत ही दुष्ट किस्म का इंसान है वह अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है तो मुझे इस बात का भी ट्रॉमा होता है। 
 
ऐसे में मुझे रोजवुड जैसे स्कूल में पढ़ने का मौका मिलता है जो मेरी मेरी सोच से बिल्कुल अलग स्कूल है। बहुत ज्यादा इसके लिए होमवर्क करूं। ऐसी बात तो नहीं थी लेकिन हां इस बार मुझे अपने आप को कुछ अलग पोर्टरे करना था। वहां जरूर मैंने थोड़ी मेहनत की है कि मैं कह सकता हूं।
 

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