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बात तब बनती है, जब लोग तुम्हें मुड़-मुड़कर देखें : सलमान खान

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रूना आशीष

'मैं जब बहुत नया था तो मेरे पापा ने कहा था कि बात तब बनती है, जब तुम किसी जगह से गुजर रहे हो और लोग तुम्हें मुड़-मुड़कर देखें। फिर बाद में कभी ये बात हो कि तुम किसके बेटे हो। पहले तो लोग मुझे बिलकुल मुड़कर नहीं देखते थे। उस वक्त समझ में आ गया कि मैं क्या हूं। फिर धीरे-धीरे लोगों की निगाहें मेरी ओर उठने लगीं।
 
ठीक वैसे ही जब मैंने प्रवर्तन और जहीर को देखा तो मुझे लगा कि मैं इनको मुड़कर देखूं। बस ये ही बात होती है कि मैं इन दोनों को लॉन्च कर रहा हूं। मैंने प्रनूतन की ऑडिशन को देखा था, वो भी कहीं और किसी और प्रोजेक्ट के लिए। मैंने मोहनीश को फोन पर पूछा। तब मोहनीश बोला कि जब दादी या मम्मी को काम करते देखा है, ऐसे में अगर प्रनूतन को भी एक्टिंग करना हो तो मैं कैसे मना कर दूं?
 
'नोटबुक' के जरिए एक बार फिर नए चेहरों को मौका देने वाले सलमान का कुछ यूं कहना था प्रनूतन और जहीर को लेकर। फिल्म प्रमोशन के दौरान बहुत ही चुनिंदा पत्रकारों से बात करते हुए सलमान ने 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष से बातचीत की।
 
स्क्रिप्टिंग में आप कितना इनपुट देते हैं?
पिता से कुछ चीजें मुझे विरासत में मिली हैं। आपको हैरानी होगी कि अगर मैं कहूं कि ये स्क्रिप्ट मेरे लिए आई थी। मैंने जब स्क्रिप्ट पढ़ी थी तभी मैं समझ गया था कि ये अच्छी फिल्म होगी। थोड़े साल पहले की बात है, जब सुभाष घईजी मेरे लिए 'युवराज' की स्क्रिप्ट लाए थे तो मैंने उनसे कहा कि 'युवराज' नहीं, मुझे 'हीरो' की स्क्रिप्ट दे दो। खैर, बाद में हमने सूरज पंचोली को वो स्क्रिप्ट दे दी। मेरी इमेज अब बदल गई है, तो मैं 'हीरो' या 'नोटबुक' नहीं कर सकता लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं इन लोगों को ये स्क्रिप्ट न दूं।
 
कहानी दो शिक्षकों की है। आपके किन शिक्षकों से आप आज भी जुड़े हुए हैं?
मैं अपने शिक्षकों (सेंट स्टैनिस्लॉस हाईस्कूल, बांद्रा) में से फादर हैनरी हैं जिनसे मैं मिलता-जुलता रहता हूं। वो मझगांव में रहते हैं। उनकी आंखों ने जवाब दे दिया है। वो प्रीस्ट हैं। एक टीचर डिसूजा थीं। मैं उनसे मिलता हूं। इसके अलावा भी कई टीचर्स हैं। एक हमारे पीटी टीचर रहे हैं पांडे सर। मैं लगभग सभी के टच में रहता हूं। मेरे फेवरेट टीचर्स वो हैं, जो मेरी बहुत पिटाई लगाते थे।
 
आपकी पिटाई हुई है?
हां, हमारी कक्षा 4थी से पिटाई शुरू हो गई थी, जो कॉलेज तक चलती रही। हमारी स्कूल के प्रिंसीपल थे फादर ऐलियो। वे स्पैनिश थे। स्कूल खत्म होने के समय में उन्होंने पूछा, सलमान, माई सन, आप आगे क्या करेंगे? मैंने जवाब दिया कि मैं जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में जाऊंगा। वो बोले, हां, मुझे बहुत फख्र है तुम पर, जरूर जाना। 
अब जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में जब एडमिशन के लिए पहुंचा तो पास में बने जेवियर्स कॉलेज पर भी नजर पड़ी। मुझे जेवियर्स का क्राउड ज्यादा अच्छा लगा। उस कॉलेज में साइंस और आर्ट्स दोनों थे। अब आर्ट्स लेता तो सबको समझ आ जाता कि मैं वहां पढ़ने नहीं चिल करने गया हूं। फिर मैंने साइंस ले लिया। घर आकर बताया तो सभी बड़े खुश हुए कि सलमान अब डॉक्टर बनेगा। लेकिन पापा ने बोल ही दिया कि 2 महीने भी कॉलेज चला गया तो मेरा नाम बदल देना।
 
एक दिन फिर फादर ऐलियो ने मुझसे मिलकर पूछा कि क्या कर रहे हो? मैंने कह दिया साइंस। एक हफ्ते बाद वो मेरी क्लास के बाहर एक स्टिक लिए खड़े थे और फिर मेरी कॉलेज में ही पिटाई हो गई।
 
इसके आगे सलमान ने बताया कि एक बार उन्हें कैंसर डिटेक्ट हुआ था और वे विदेश में इलाज के लिए गए थे। वहां उनका कैंसर ठीक भी हो गया। उन दिनों मैं वहीं शो के लिए गया था तो सोचा फादर को कुछ घुमा-फिरा दूं। अलवीरा गई भी थीं उनका नंबर लेने लेकिन नंबर नहीं मिला। कुछ दिन बाद जब मैं भारत लौटा तो मेरे एक दोस्त ने फादर की चिट्ठी मुझे दी और कहा कि ये चिट्ठी वो छोड़कर गए तेरे लिए। उनकी बीती रात ही मौत हो गई।
 
आपने कभी नोटबुक नहीं लिखी?
मैंने लिखी थी। लेकिन सच लिखा तो दूसरे लोग मुसीबत में पड़ जाएंगे और झूठ लिखा तो मैं मुसीबत में आ जाऊंगा!

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