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इस वजह से विद्या बालन होने लगी थीं डिप्रेशन का शिकार

हमें फॉलो करें इस वजह से विद्या बालन होने लगी थीं डिप्रेशन का शिकार

रूना आशीष

, बुधवार, 29 जुलाई 2020 (15:21 IST)
देश की ह्यूमन कंप्यूटर कही जाने वाली और गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने वाली महिला शकुंतला देवी पर एक बायोपिक फिल्म रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म 31 जुलाई को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होगी। फिल्म में शकुंतला देवी‍ का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस विद्या बालन ने वेबदुनिया से खास बातचीत की।

 
विद्या बालन ने कहा, इस समय जब करोना काल चल रहा है और लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसे में अगर कोई फिल्म हॉल में रिलीज ना होकर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है तो यह एक अच्छी बात है। मैं इसे बहुत सकारात्मक रूप से देखती हूं ताकि लोगों को मनोरंजन चाहिए। तो घर में बैठे अपने लोगों के साथ बैठे परिवार के साथ बैठे और फिल्में देखें। एक तरीके से यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आई है इस समय में यह संयोग ही सही, लेकिन अच्छा संयोग है।

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वेबदुनिया की बातों का जवाब देते हुए विद्या बालन ने कहा, इस फिल्म में मैं एक ऐसी मां का किरदार निभा रही हूं जो आम माओं जैसे नहीं बल्कि अमेजिंग मां बनना चाहती है। मेरे परिवार ने हमेशा मेरी हर कदम का साथ दिया है। हमेशा मेरे पीछे मेरा सहारा बनकर चले हैं। लेकिन जहां तक मैं अपनी मां की बात कहूं मेरी मां ने मुझे कदम-कदम पर नई चीजें सिखाई है।
 
मुझे याद है 2008 के दौरान जब मेरे वजन को लेकर या फिर मेरे कद को लेकर कई सारी बातें उठने लगी थी तो मैं डिप्रेशन में जा रही थी। मुझे ऐसा लगता था कि क्या मेरा फिल्मी सफर यहीं तक का है? क्या मुझे यहीं रुक जाना चाहिए, मैं अपनी मां से भी कहती थी, क्या मम्मी मेरा यही तक का रोल है, मुझे कुछ और देखना चाहिए? फिल्म छोड़ देनी चाहिए? तब मेरी मां ने यह कहा कि लोग क्या कह रहे हैं, कैसे कह रहे हैं, क्यों कह रहे हैं उन्हें कहने दो। लेकिन वह जो कह रहे हैं और वह जो सोच रहे हैं, अगर उन को केंद्र में रखकर अपने सपनों को छोड़ने जा रही हो तो यह सबसे बड़ी गलत बात होगी। सपनों को कभी हाथ से छूटने मत दो। उनका पीछा करो और उन पर जीत पाओ। मेरी मां की इस बात ने मुझे बहुत प्रभावित किया और उसके बाद मुझे कभी नहीं लगा कि कोई कोई मेरे बारे में क्या कहता है।

इसमें आप मैथमेटिशियन या गणितज्ञ के रूप में दिखाई दी हैं। आपका गणित से कितना राब्ता है?
मैं बचपन में गणित से अच्छी रही हूं। मेरा फेवरेट सब्जेक्ट हुआ करता था अच्छे खासे नंबर से आ जाया करते थे। लेकिन खास बात यह होती थी कि मैं जब भी मैथ करती थी तो मुझे नंबर या संख्याएं बहुत याद आती थी। मैं कहीं चली गई तो कोई गाड़ी का प्लेट नंबर देख लिया तो वह याद कर लिया। समय देखा तो वह याद कर लिया। कोई संख्या देखी तो वह याद कर ली। कई बार तो यूं ही हुआ, मैं अपने दोस्तों के बीच में बैठे और मैं उसे बोल रही हूं कि देखो हम इस तारीख को इतनी बजे वहां पर गए थे तो तुमने मुझसे यह बात कही थी और सभी लोगों को लगता था कि मैं पागल ना हो जाऊं, लेकिन यह सब चीजें तो बहुत इंटरेस्टिंग लगती थी। इसलिए गणित मेरा हमेशा से फेवरेट रहा।

आप हर किरदार के साथ कुछ ना कुछ सीखते हैं। इस किरदार के साथ क्या अनलर्न किया या कौन सी बात अपने में से हटानी पड़ी?
मुझे लगता है जो इस किरदार के साथ मुझे भूलना पड़ा तो वह था मेरा एक्सेंट यानी बात करने का लहजा। मैं अलग-अलग भाषाओं को बोलना पसंद करती हूं और उस भाषा को उसी के तरीके से उसी के लहजे में बोलना पसंद करती हूं। यानी जब बंगाली बोले तो पक्की बंगालन लगूं। मैं एक साउथ इंडियन फैमिली से हूं तो मेरे बोलने में मुझे हमेशा एक सोच के साथ बोलना पड़ता था। अपने दिमाग में यह बात रख कर बोलना पड़ता था कि कहीं भी किसी भी रोल को निभाते हुए मेरा वह साउथ इंडियन एक्सेंट नहीं आना चाहिए या लहजा नहीं आना चाहिए। नहीं तो जो रोल में दिखा रही हूं, हो सकता है उसकी विश्वसनीयता कहीं चूक जाए, लेकिन इस बार जब मैं शकुंतला देवी का रोल निभा रही थी। 
 
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मुझे बड़ी खुशी के साथ अपनी यह ऐक्सेस वाली आदत को छोड़ना पड़ा और मैंने ध्यान देकर बात की कि मैं जब भी बोलूं तो ऐसा लगे कि कोई साउथ इंडियन महिला बोल रही है और मुझे इतना मजा आया इस लहजे में बोलने में। क्योंकि मेरी मां या मेरे पिता मेरे फैमिली या मेरे चाचा चाची सब इसी लहजे में बोलते हैं। यह करना पड़ा लेकिन मजे के साथ।

इस किरदार से आपने कुछ सीखा?
गणित मेरा हमेशा से अच्छा था, लेकिन हां मुझे इस किरदार में कई बार वेदिक मैथ्स से जुड़ी हुई संख्याएं थी या फार्मूला थे। वह याद रखने पड़ते तो बहुत मुंह जबानी याद करने पड़ते थे तो आज जब मुझे वह वैदिक मैथ के शॉर्टकट समझ में आ गए हैं और मुझे याद रहने लगे। अब लगता है कि काश यह सब मैंने अपने स्कूल समय में सीख लिया होता तो शायद मैथ में जितने नंबर आ रहे थे उससे कुछ और नंबर बढ़ जाते।
 
 
आपने सानिया के साथ पहली बार काम किया है। कैसी लगी वह आपको?
बहुत अच्छी एक्ट्रेस है, बोलती जरा कम है और जब जरूरत हो, तभी बोलती हैं। लेकिन मैं कहां कम थी। मैंने वैसे तो उनकी कई फिल्म देख रखी थी जैसे फोटोग्राफ देख रखी थी। बधाई हो में तो बहुत ही अलग और बहुत ही नए रूप में दिखीं जो देखकर मुझे अच्छा भी लग रहा था तो जब वह मेरे साथ शूट करती थी तो कम बोलती थी लेकिन मैं पहुंच जाती थी और हम इतनी मस्ती करते थे।

आप में और आपके ऑनस्क्रीन किरदार शकुंतला देवी में क्या कोई समानता है?
है ना शकुंतला देवी और मैं दोनों ही बड़े खुलकर हंसने वालों में से हैं।

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