"मेरे सेंस ऑफ ह्यूमर की बात करूं तो यह मुझे अपने पिता से विरासत में मिला है। मेरे पिता जब जिंदा थे तो वह हर पार्टी में जान हुआ करते थे। हंसते रहते थे, बोलते रहते थे, मजाक करते रहते थे। कहीं ना कहीं कोई जोक बोल दिया करते थे। बड़े ही जिंदादिल थे। मुझे ऐसा लगता है कि हमेशा हंसते मुस्कुराते रहना चाहिए। यह आपकी जिंदगी में रस बनाए रखता है। और फिर कहीं कुछ हो जाए, कोई फलाना शख्स आपकी हंसी उड़ा दे उससे अच्छा आप अपनी खुद की हंसी उड़ा लो और शांत हो जाओ, बात खत्म हो जाती है।" यह कहना है शिल्पा शेट्टी का जो रियलिटी शोज में तो खूब दिखाई देती हैं, पसंद की जाती हैं, योगा की भी खूब बातें करती हैं, लेकिन लगभग 14 साल बाद एक बार फिर से बड़े पर्दे पर फिल्म निकम्मा के जरिये दिखाई दे रही हैं जो 14 जून को रिलीज हुई है।
मुझे लगता है कि मैं जिंदगी में बहुत ही निकम्मी किस्म के इंसान हूं। मेरे पास इतने सारे काम करने के लिए होते हैं। मैं हर काम को बड़ी शिद्दत से करना चाहती हूं और जब घर पहुंचती हूं तब मैं आराम से बैठ जाती हूं और दूसरों को बोलती हूं कि मेरे लिए यह काम कर दो। खासतौर पर से मैं अपनी बहन को बोलती हूं। कभी शॉपिंग भी करनी होती है तो उसी को बोल देती हूं कि ऑनलाइन शॉपिंग तुम कर दो मेरे लिए या यह फलाना काम तुम कर दो। गृहिणी के रोल में मेरी हालत और ज्यादा खराब हो जाती है। काम करते-करते में इतना थक जाती हूं कि मुझे लगता है मैं सच में अब निकम्मी ही बन जाऊं पूरी तरह से।
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मम्मी को लगता था मैं निकम्मी हूं
मैं पढ़ाई में अच्छी थी, लेकिन एक बात आज भी मुझे याद है। मेरी मां को लगा था कि मैं निकम्मी हूं जब उन्होंने मेरे परीक्षा के नंबर देखे थे। बहुत ही बुरे नंबर आए थे मेरे और उसका कारण यह था मैं वॉलीबॉल खेला करती थी। अपने इस गेम में मैं बहुत अच्छा प्रदर्शन भी कर रही थी। मुंबई लेवल पर मेरा सिलेक्शन हो गया था और हो सकता था कि मुझे स्टेट लेवल पर भी सिलेक्ट कर लिया जाए। उस समय मैं सोचती थी कि देखो मुझे तो वॉलीबॉल कोच बनना है तो यही रास्ता है। इसी रास्ते पर चलते जाओ। लाइफ बिल्कुल सेट है, लेकिन फिर देखा मम्मी बड़ी दुखी हो गई थी। उन्होंने कहा कि तुम कुछ नहीं कर पाओगे। ऐसे ही रह जाओगी। तब जाकर कहीं लगा कि खेलना थोड़ा साइड में रखते हैं। मैंने 10 दिन तक खूब पढ़ाई की और 75% अंक लाई तब मम्मी खुश हुईं।
मैं मासी हीरोइन हूं। आम लोगों के लिए जो काम करती है, वैसी वाली एक्ट्रेस हूं। रोहित शेट्टी भी बिल्कुल वैसे ही निर्देशक हैं। आम जनता को एंटरटेन करने वाले और मेरा काम है लोगों को मनोरंजन देना। ऐसे में अगर वेब सीरीज के जरिए मैं लोगों का मनोरंजन करती हूं तो मेरे लिए बड़ी अच्छी बात होगी। वेब सीरीज के लिए मैं तैयार हूं लेकिन रोल बड़ा और अच्छा होना चाहिए, फिर ऐसा निर्देशक हो जिसके साथ मैं काम करना चाहूंगी। मेरी फिल्म हंगामा भी सीधे ओटीटी पर रिलीज हुई थी। मेरे रतन जी और निर्देशक प्रियदर्शन के साथ बड़े अच्छे ताल्लुकात हैं, इसलिए मैंने वह फिल्म की थी।
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अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है
अगले साल फिल्म इंडस्ट्री में मुझे 30 साल हो जाएंगे लेकिन अभी भी लगता है कि मुझे बहुत करना बाकी है। अगर मैं एक बार यह सोच लूं कि मैंने सब कुछ कर लिया है तो फिर तो कुछ बचेगा ही नहीं। फिर पत्रकार मेरे पास क्यों आएंगे? आप और मैं क्यों यहां पर बैठकर इंटरव्यू कर रहे होंगे। एक बात बताती हूं। मुझे एक महीने के लिए विदेश जाना था तो मैंने अपने निर्देशक से कहा कि 'निकम्मा' की स्क्रीनिंग होने वाली है।
जब फिल्म शुरू होने वाली थी तो मेरी जान गले में आ चुकी थी। मुझे लग रहा था कि बाप रे मेरा रोल अब आने वाला है। मेरी फिल्म अब शुरू होने वाली है। वह डर मुझे आज भी लगता है। बार-बार यही सोच रही थी कि क्या मैंने फिल्म ढंग से की? क्या मैंने उसको ढंग से समझा। क्या अवनी का जो किरदार मैं अच्छे तरीके से निभा पाई या मेरे निर्देशक ने जो अवनी के बारे में सोचा है क्या मैं वैसी अवनी बनने के काबिल हूं? यह तमाम बातें मेरे दिमाग में आज भी चलती हैं। जब पूरी फिल्म देख ली, फिर राहत की सांस ली और मैंने मन में सोचा कि अब जो होना है वही होगा। इस बात की तसल्ली है कि मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ किया है।