पूर्व बॉलीवुड एक्ट्रेस सोमी अली, जिन्होंने हिंदी फिल्मों में छोटी पारी खेली, का कहना है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बनना उन्हें अच्छा लगा, लेकिन उनका मानना है कि और भी ऐसी कई जगह हैं जहां पर वे और अच्छा कर सकती हैं। फिलहाल वे एक एनजीओ चला रही हैं जिसका नाम है 'नो मोर टिअर्स'।
अपनी एक्टिंग और फिल्म वाले दिनों को लेकर वे कहती हैं- 'मैं पीछे मुड़ कर देखती हूं तो मेरी फिलिंग्स मिक्स हैं। मुझे कोई अफसोस नहीं है, लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगी कि उस समय मैं बहुत कम उम्र की थी और मुझे गाइड करने वाला कोई नहीं था। मैंने गलत लोगों पर विश्वास किया। मैं जिस शख्स की हर बात मानती थी उस पर तो मुझे विश्वास करना ही नहीं चाहिए था। हां, मुझे अपनी इस यात्रा पर गर्व है। मैं जैसी हूं वैसी पेश आईं और उन बातों के खिलाफ आवाज उठाई जिनसे मैं सहमत नहीं थी।'
एक अभिनेत्री के रूप में उनके पास सुनहरी यादें हैं। इस बारे में सोमी कहती हैं- 'मुझे याद है, बतौर अभिनेत्री, मुझे खूब यात्रा करने को मिलती थी। मुझे यह पसंद था। मुझे सुनील शेट्टी, मिथुन चक्रवर्ती और ओम पुरी के साथ काम करना पसंद रहा। जब मैं एक खराब रिलेशनशिप में थी तब कुछ लोग मेरे साथ खड़े थे। भारत में बतौर एक्टर मेरी यादें खट्टी-मीठी हैं।
बात आगे बढ़ाते हुए सोमी कहती हैं- 'मैं यहां सलमान की माँ का भी उल्लेख करना चाहूंगी। वह मेरे लिए बहुत अद्भुत थीं। मैं वास्तव में किसी और के साथ किसी भी मुलाकात को याद नहीं कर पा रही हूं। मुझे नहीं लगता कि यह उनकी गलती थी, क्योंकि मैं भी बहुत उलझन में थी कि मैं क्या कर रही हूं। मैं बहुत छोटी और भोली थी। मैंने भी बहुत गलतियाँ कीं। लेकिन मैंने उनकी गलतियों से भी बहुत कुछ सीखा। मुझे लगता है कि मैं आज जो कुछ भी हूं उन अनुभवों की बदौलत हूं, जिनसे मैं गुजरी हूं।'
हालांकि, सोमी को लगता है कि फिल्म करियर से दूर चले जाना उनके लिए सबसे अच्छा निर्णय था। “मुझे लगता है कि यह सबसे अच्छी बात थी जो मैंने अपने पूरे जीवन में की है। मैं वास्तव में पीड़ित थी और मुझे पता था कि अगर मैंने जारी रखा, तो यह वास्तव में मेरे भावनात्मक भलाई और स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी” वह कहती हैं।