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स्मार्ट वर्क में यकीन करते हैं अक्षय कुमार: तापसी पन्नू

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रूना आशीष

मैं बिलकुल शबाना जैसी नहीं हूं। मेरा इस कैरेक्टर से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। जबसे फिल्म मैं करने वाली हूं ये बात मालूम पड़ी है तब से लेकर अब तक जबकि मैं फिल्मों के प्रमोशन में लगी हूं, यहां तक मेरा कठिन परिश्रम चल ही रहा है। मैं जासूसों के बारे में बहुत कुछ पढ़ रही हूं। अब जब मैं बिलकुल जासूसों जैसी नहीं हूं तो मुझे इतनी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी है।
 
'नाम शबाना' जो कि 'बेबी' के पहले की कहानी है, उसमें शबाना का रोल करने वाली तापसी पन्नू इन दिनों अपनी फिल्म को प्रमोट कर रही हैं। दिल्ली की इस कुड़ी का कहना है कि मैंने मार्शल आर्ट भी बहुत सीखा है लेकिन मेंटल तरीके से सीखना और भी बड़ा टास्क था, क्योंकि शबाना बिलकुल एक्सप्रेस नहीं करती और हर वक्त कुछ न कुछ मेरा चलता ही रहता है। शबाना जिसकी आंखें बहुत बोलती हैं और वह बहुत कुछ पहले से ही समझ-बूझ लेती है, वो पहले से ही जान जाती है कि आगे क्या हो सकता है।
 
आपको निर्देशक नीरज पांडे ने क्या कहा था रोल को लेकर? उनसे आपने क्या सीखा?
मेरे हिसाब से तो नीरज इस दुनिया के सबसे मुश्किल इंसान हैं। वो मुझे समझ में ही नहीं आते हैं। वो बहुत कम बोलते हैं लेकिन जब बोलते हैं तो बहुत सही बातें करते हैं। तो मैं तो उनसे बात करते हुए थोड़ा डर ही जाती थी। मैंने उन्हें ये बात बताई भी है। वो मुझे 'ड्रामा क्वीन' बुलाते हैं। पता नहीं कैसे उन्होंने 'नाम शबाना' मेरे लिए लिख दिया। क्या पता शायद उन्होंने मुझे 'बेबी' में काम करते हुए ऑब्जर्व कर लिया हो। ये तो बड़ा साहसभरा काम किया है नीरज ने। और उनसे मैंने क्या सीखा? बोलो कम, ये आपको सोचने का समय देता है।
 
आप अक्षय के बारे में क्या जान पाईं?
वो बहुत सोचते हैं। उनके लिए हर दिन वर्किंग डे होता है। इतने साल हो जाने के बाद और इतनी फिल्में कर लेने के बाद भी वो अपनी फिल्मों को लेकर कितने पैशनेट हैं। वो सिर्फ कठिन परिश्रम ही नहीं, बल्कि स्मार्ट वर्क में यकीन रखते हैं। सब लोग कहते हैं कि अक्षय से सीखो कि कैसे पैसों को इन्वेस्ट करना है। उनके अंदर एक खूबी ये भी है कि वो समय आने पर लोगों को सपोर्ट करते हैं, चाहे वो अपनी टीम के लोगों का साथ देना हो या फिर देश के सैनिकों का साथ देना हो। वो एक ऐसे शख्स बन गए हैं जिनसे आप बहुत कुछ सीखते हैं।
 
आप 'ए' लिस्टर स्टार बन गई हैं तो स्टारडम ने कितना बदला है आपको?
नहीं हूं, मैं 'ए' ग्रेड की बिलकुल नहीं हूं। मुझे अभी भी लटकाया जाता है फिल्मों के लिए और कहा जाता है कि 'अभी रुको, हम देखते हैं कि आपकी फिल्म 'नाम शबाना' कैसे बिजनेस करेगी, फिर हम आपके बारे में कोई निर्णय लेंगे कि वो मुझे अपने बिग बजट प्रोजेक्ट में लेंगे या नहीं?' अगर कल की तारीख में मैं कोई 'ए' ग्रेड स्टार बन भी गई तो मुझे तब भी मालूम नहीं होगा कि मैं कैसे बन गई। हां, अंतर सिर्फ इतना है कि अब लोग मेरी बातें सुनने लग गए हैं और अब मुझे कोई चुप रहने को बोल नहीं देता।
 
आपकी फिल्म 'पिंक' को देश के राष्ट्रपति को दिखाया गया है, कैसा था वो समय?
फिल्म दिखाने से ज्यादा मुझे तो उनके साथ बैठकर खाना खाने में मजा आया। हम एक ही मेज पर बैठे थे और मैं तो ये ही देखे जा रही थी कि मैं देश के राष्ट्रपति के साथ खाना खा रही हूं। वो मेरे दाहिने तरफ बैठे थे और मैं उनसे उनकी डाइट के बारे में बातें कर रही थी। ये बात तो मैं जिंदगी में कभी नहीं भूल सकूंगी। मुझे तो उनका खाना देखकर ही बड़ा अचरज हुआ, जैसे कि कुछ सब्जियों को उबालकर मिलाकर रख दिया हो। बस कुछ रंग-बिरंगा था। मैंने तो पूछ लिया कि आप ये जिंदगीभर तक खा सकेंगे? तो उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को खान-पान से कम किया। फिर उन्होंने भारत-पाक सीमा के बनने की कहानी बताई। इतना तो मैंने कभी अपनी इतिहास की कक्षा में भी नहीं पढ़ा था। मेरे पापा कहते हैं कि वो बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हैं। उन्होंने पूरी फिल्म बिना किसी ब्रेक के देखी। उन्होंने कहा कि हमने अच्छा काम किया है। अब जब हम सब लोग उनके सामने हो तो वो तो बुरा नहीं बोल सकते ना।
 
आपकी क्या वेशभूषा थी उस दिन?
मैंने तो साड़ी ही पहनी थी। मैं सोचकर गई थी कि मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार मिले या न मिले, लेकिन मैं तैयार तो वैसे ही होकर जाऊंगी।
 
आगे और कौन सी फिल्म आप कर रही हैं? 
अभी तो मैं 'जुड़वां' कर रही हूं। शायद 11 या 12 अप्रैल से शूटिंग शुरू हो जाए। वैसे भी इस फिल्म के लिए मुझे कोई तैयारी तो करनी नहीं है। मुझसे डेविड धवनजी ने कहा कि मैंने तुम्हारी दक्षिण की फिल्में देखी हुई हैं, तो तुम इस रोल में फिट हो ही जाओगी।

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