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बचपन में इस चीज से डरते थे गुरमीत चौधरी, बोले- रात को सोने के पहले मैं...

हमें फॉलो करें बचपन में इस चीज से डरते थे गुरमीत चौधरी, बोले- रात को सोने के पहले मैं...

रूना आशीष

, शुक्रवार, 26 मार्च 2021 (15:28 IST)
डरावनी फिल्मों में काम करना या शूट करना डरावना नहीं होता बल्कि इस? फिल्म में काम करने के लिए आपको जो रोल की तैयारी करनी होती है, उसमें बहुत मेहनत लगती है और कई बार आप मानसिक रूप से थक जाते हैं। मैं अपनी फिल्म 'द वाइफ' के बारे में बताता हूं। यह सब हमने लॉकडाउन के दौरान शूट की थी।

 
जब भी मैं फिल्म में किसी किरदार को निभा रहा होता हूं तो मैं उसकी एक लिस्ट बनाता हूं। उस किरदार के बारे में लिखता हूं, डायलॉग्स के बारे में लिखता हूं और उसी सोच में रहता हूं ताकि मेरा परफॉर्मेंस बेहतरीन हो सके। चाहे मैं स्टूडियो में होता हूं, रूम में हूं या फिर अपनी वैनिटी वैन में ही कहीं पर भी हूं मैं अपने डायलॉग से जुड़ी बातें सब लिख कर रखता हूं। चिपका कर रखता हूं और पूरा माहौल तैयार करता हूं इससे मुझे काम करने में मदद होती है। यह कहना है गुरमीत चौधरी का। 
 
गुरमीत चौधरी बताते हैं, यह फिल्म द वाइफ कि मैं शूट कर रहा था। तो हम लोग भी लॉकडाउन के दौरान एक स्टूडियो में ही थे। स्टूडियो में ही हम खाते थे, बैठते थे। शूट खत्म होने के बाद भी हम उसी माहौल में रहते थे क्योंकि कोरोना की वजह से लॉकडाउन का पूरा माहौल ही वैसा था। आमतौर पर होता है कि जब भी कोई फिल्म करता हूं, छूटने के बाद बाहर घूमने निकल जाता हूं लेकिन आसपास के माहौल के चलते बाहर कहीं जा नहीं पाया नहीं, किसी से मिल पाया तो यह किरदार मेरे मन पर बहुत हावी रहा है।
 
गुरमीत आप एक बहुत बेहतरीन पति के रूप में लोगों के बीच में उनके दिल में बसते हैं। ऐसे में द वाइफ से आपकी रियल लाइफ वाइफ को परेशानी तो नहीं हुई?
मैंने इस फिल्म की वजह से अपनी रियल वाइफ को टॉर्चर किया है। होता कुछ यूं है कि मैं और देबीना, हम दोनों को हॉरर फिल्म देखने का बड़ा शौक है। देबीना थोड़ा डरते हुए देखती हैं और जब भी कोई भूत वाला सीन आता है तो वह मुझे देखने लग जाती है। पूछती भूत आया, भूत वाला सीन खत्म हो गया तो मैं वापस देखूं। 
 
लेकिन यहां पर मेरी फिल्म थी और क्योंकि वह मेरी सबसे बड़ी क्रिटिक है इसलिए मैं उसे परेशान करता रहा और बोलता रहा कि तुम स्क्रीन पर से अपनी नजर मत हटाना। फिल्म रिलीज होने के पहले मैंने उससे यह प्रीव्यू दिखाया था तो जरूरी था कि वह हर एक सीन देखें और मुझे मेरे काम के बारे में बताएं। बेचारी डरती रही और मुझे मुझ पर गुस्सा होती रही। लेकिन हां इस पूरे समय में मुझे यह समझ में आ गया कि लोगों को फिल्म पसंद आएगी।
 
बचपन में आप भूत से डरते थे।
मैंने बचपन में डायन की कहानी बहुत सुनी है। वह कहानी सुनने में मुझे मजा भी आता था और डर भी उतना ही लगता था। लेकिन अगर मुझे किस चीज से सच में बचपन में किसी डर लगा है तो वो किसी अंजान बूढ़ी औरत को देखना। मुझे लगता था की जरूर इसमें से कोई डायन बाहर निकल आएगी और मैं डर के इधर उधर भाग जाया करता था। रात को सोने के पहले मैं किसी अंजान बूढ़ी औरत को देखना पसंद नहीं करता था और बहुत ज्यादा हालत खराब हो जाया करती थी मेरी लेकिन धीरे-धीरे जब बड़े हो तब समझ में आया, भाई वह कहानियां है, सच्चाई नहीं।
 
बचपन में कोई डरावनी फिल्म पसंद आती थी। 
मुझे याद है मेरे पिताजी की पोस्टिंग उसमें जबलपुर में थी और मैं कुछ कक्षा 9 में पढ़ा करता था। तब मैं अपने दोस्तों के साथ मिलकर पास के सिनेमा हॉल में गया था। खूब लाइन में लगा, टिकट खरीदी टिकट लेकर हॉल के अंदर गया तो सबसे पहले वाली पंक्ति में दरियां बिछाई गईं वहां हमको बैठा दिया गया। मुझे फिल्म भी पसंद आई यह बात मैंने महेश भट्ट साहब को भी बताई थी जब हम एक फिल्म साथ में कर रहे थे।
 
आप की फिल्म डरावनी फिल्म है लेकिन हाल ही में जो पिछले कुछ समय से माहौल चल रहा है, वह भी किसी डर से कम नहीं है। बहुत ज्यादा भय है किस तरह से देखते हैं 
मेरी बहुत अलग अलग तरीके की भावना एक उभरती हैं। मैंने हमेशा से सोचा है कि चाहे कुछ भी हो जाए, साल भर में एक बार तो एक फिल्म होनी ही चाहिए ताकि लोग आपको देखते रहे हो आपको भूले नहीं। समय देखे कुछ ऐसा रहा कि द वाइफ का कुछ हिस्सा शूट हुआ और तुरंत लॉकडाउन लग गया तो मेरे पास दिमाग में कहीं न कहीं बैठा था कि देखो मैं खाली तो नहीं हूं। 
 
बड़े स्टूडियो की फिल्म है, फिल्म बनेगी भी पूरी भी होगी और रिलीज भी होगी तो मेरे हाथ में एक फिल्म है, जैसे यह सब खत्म होगा अपना काम शुरू कर दूंगा। मेरी काम करते रहना बहुत जरूरी है। इसलिए एक उम्मीद थी मेरे पीछे। अगर कभी ऐसा होता कि मेरे हाथ में कोई फिल्म नहीं होती और लॉकडाउन लग जाता। इतना लंबा चलता तो सच मानिए मैं बहुत बुरे अवसाद से घिर चुका होता। अब इस दौरान एक चीज अच्छी भी हुई। 
 
मैंने और देबिना ने बहुत सारा समय एक दूसरे के साथ बिताया। मैंने और देबीना ने मिलकर बहुत सारे टिकटॉक जो उस समय भारत में बैन नहीं था। हमने उसमें टिक टॉक के बहुत सारे वीडियो बनाए और बहुत ही फेमस हुए। एक बार तो कुछ ऐसा हुआ कि मैं किसी काम से कुछ सामान लेने के लिए मार्केट में गया। हमने मास्क भी लगाए हुए थे। एक पुलिस वाला आया और बोला आपने अच्छे वाला टिक टॉक वीडियो बनाएं। वीडियो मुझे बहुत पसंद है। हम दोनों हैरान रह गए। क्या मैंने दिल से कहा कि हमें इतने सारे सीरियल मेंर फिल्म काम किया तब लोगों ने नहीं पहचाना टिकटॉक की वजह से हर कोई मिलने आ रहा है।
 
गुरमीत ने बातें जारी रखते हुए बताया कि, इस दौरान मैंने बहुत सारा मेडिटेशन करना सीखा। मैंने क्रिया योगा सीखा यह एक अलग तरीके का योगा होता है जिसे रजनीकांत स्टीव जॉब्स और विराट कोहली करते हैं। यह करने से मुझ में बहुत अंतर आया। ऐसे माहौल में भी मैं अपने आप को बहुत शांत बनाकर रखा।
 
इस दौरान मेरा और देबिना के साथ को 10 साल हो गए शादी की 10वी सालगिरह थी तो हमने सोचा कि रामायण के शो के दौरान हम लोग मिले थे तो क्यों ना अयोध्या के दर्शन करके आए तो हम दोनों ही वहां पर गए थे। बहुत अलग तरीके का अनुभव मिला। वहां हमने देखा कि सभी के घर में एक मंदिर जरूर होता है और रहेंगे भले एक छोटे से कमरे में। लेकिन अपने घर में एक राम मंदिर जरूर रखते हैं और उसके अच्छे से देखभाल भी करते हैं। हमने अयोध्या में भगवान राम के भी दर्शन किए और सरयू नदी के भी दर्शन किए और क्या होता है जब आप किसी किरदार को जीत चुके हो तो आपको उस जगह से अपनापन जो मिलता है, उसकी बात ही कुछ अलग होती है। 
 

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