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वेब सीरीज दोपहिया एक्टर गजराज राव ने बताया क्यों नहीं चलाते बाइक?

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रूना आशीष

, गुरुवार, 6 मार्च 2025 (15:25 IST)
सोनम नायर जो की फिल्म 'दोपहिया' की निर्देशिका है उनका काम मुझे बहुत पसंद आया है। उनकी मसाबा मसाबा भी मुझे पसंद थी और मसाबा मसाबा पार्ट 2 में मैने एक कैमियो भी निभाया था। हमेशा से उनका बड़ा प्रशंसक रहा हूं। उनके एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी मैने देखी हुई है। मैं सोनम से बहुत ज्यादा बातचीत करता रहता था। कुछ ना कुछ हमारी वार्ता हुआ करती थी। मैंने उनसे कहा भी था की कोई बहुत अच्छी रोचक स्क्रिप्ट हो कोई रोल हो तो मुझे जरुर याद रखें। 
 
अभी क्या है ना इतने सारे एक्टर एक्ट्रेसेस हैं। इतने सारे लोग हैं आसपास कि अगर आप संपर्क में नहीं रहेंगे तो आप एक अच्छी चीज मिस कर जाएंगे। उसके अलावा सलोना हैं जो कि इस वेब सीरीज की निर्माता है उनसे भी मैं संपर्क में था और उनसे भी कहा था की आपके साथ कम करने की इच्छा रखता हूं। अभी ऐसे में एक बार सलोना का ही मुझे मैसेज आया की एक वेब सीरीज है जिसे कि सोनम निर्देशित करने वाले हैं, एक रोल है जिसके लिए हम चाहते हैं की आप आकर मिले। मैं जब जाकर उनसे मिला तो स्क्रिप्ट पढ़ते पढ़ते ही मुझे बड़ा मजा आने लग गया। 
 
यह मैं उस समय की बात बता रहा हूं आपको जब एक्शन थ्रिलर डार्क विषय इस तरीके की वेब सीरीज बहुत चल रही थी। इन सबके बीच आपके पास एक ऐसी स्क्रिप्ट आती है जीसे पढ़ के ही आपको मजा आ जाए और सिर्फ मेरा ही रोल नहीं हर एक का रोल इतना सुंदर तरीके से लिखा गया था की मेरी इच्छा हो जाती थी की अपना रोल भी करो और बाकियों के रोल को भी मैं कर लेता हूं और ऐसे जाके हम लोगों की डेट्स को हमने ब्लॉक किया और मेरा वेब सीरीज से जुड़ना हो गया।
 
यह कहना है गजराज राव का जो अपने बेहतरीन अभिनय से लोगों के बीच में एक आम नाम होते जा रहे हैं, उन्हें हर फिल्म और हर सीरीज में पसंद किया जा रहा है। अभी अमेजन प्राइम पे दोपहिया नाम की एक हल्की फुल्की स्लाइस ऑफ लाइफ तरीके की वेब सीरीज जल्दी लोगों के सामने आने वाली है। वेब सीरीज के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान गजराज राव ने बहुत सारी बातें पत्रकारों से साझा की।
 
आप एक बेहतरीन एक्टर हैं तो जब यह रोल आप कर रहे थे अपनी तरफ से कुछ बातें भी जोड़ी आपने। 
देखिए एक्शन थ्रिलर जैसी जो फिल्में होती है ना वो अलाकार्ट मेनू होती है जितना दिया है उतना ही मिलेगा और वैसे ही उस खाना होगा लेकिन जो कॉमेडी होती है वह होता है ओपन बूफे। आपको जितना मिर्च मसाला या मीठा तीखा डालना है डालिए और कॉमेडी को और बेहतरीन बनाइए। लेकिन साथ ही यह भी कहूंगा की इसके लिए बहुत जरूरी है कि आपके पास कहानी बहुत दमदार हो कॉमेडी लिखी बहुत अच्छी गई हो। 
 
एक कॉमेडी है जो पंचायत जैसी या दोपहिया जैसी कॉमेडी है। वहीं दूसरी कॉमेडी आजकल लोगों के बीच में वो भी प्रचालित होती जा रही है जो चर्चाओं का विषय ज्यादा हो जाती है। कॉमेडी के दोनों ही पहलूओं को आपके तरीके से देखते हैं। 
मेरे लिए तो महत्वपूर्ण बात यह है की मैं अपने परिवार के साथ बैठकर कोई फिल्म या सीरीज देख सकूं। मिसाल के तौर पर पंचायत की ही बात कर लेते हैं। मुझे यह सीरीज देखने में अच्छी लगेगी और अगर फिल्म की बात करुं तो ऋषि दा का नाम हो या बासु दा का सिनेमा हो या फिर सही परांजपे जैसे निर्देशिका का सिनेमा हो मुझे यह सब देखने में मजा आएगा। तीस चालीस साल गुजार जाने के बाद भी मैं जब ऐसी फिल्मों को देखता हूं तो मुझे उसमें वही आनंद आता है। 
 
मैं ऐसी फिल्मों से आज भी प्रभावित होता हूं। मैं कई बार यूट्यूब पर जाकर देखता हूं की देशपांडे जी हाथ में एक परचा लिए हुए हैं स्टेज पर बैठे हैं और सामने कुछ एक से डेढ़ हजार लोग बैठे हैं और हंस रहे हैं उनकी जो कहानी कहने की अदायगी है वह इतनी प्रभावित करती हैं मुझको जिसे कहते हैं स्लाइस ऑफ लाइफ शायद यह वैसी स्टोरी टेलिंग हो जाती है और लोग कितना ठहाके मार कर हंसते हैं। मुझे यह बहुत अच्छा लगता है। लेकिन कई बार फिर यह भी लगता है की हर तरीके के चीजें होनी चाहिए एक्शन थ्रिलर भी हो ऐसे स्लाइस आफ लाइफ कॉमेडी भी हो, हर एक का अपना महत्व होता है। 
 
आप लोगों को बहुत पसंद आते हैं लेकिन इस बात का आपको प्रेशर होता है? 
देखिए मैं एक बहुत बड़े कारखाने में एक छोटा सा पुर्जा हूं। मैं इतनी बड़ी जिम्मेदारी तो अपने कंधे पर ले ही नहीं सकता। मुझे लगता है कोई भी अभिनेता इतनी बड़ी जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले ही नहीं पाएगा। क्योंकि आपके बस में कुछ नहीं है, लेकिन ऐसी सारी बातों का मैं आनंद बहुत लेता हूं। 
 
कई बर मॉल्स में सिनेमा हॉल में या फिर रेस्टोरेंट्स में अलग-अलग तरीके के लोग आते हैं। कोई 12-15 साल का आता है। कोई 70 साल का व्यक्ति आता है और कहता है। आपका काम करना अच्छा लगता है तो मैं उस चीज पर आनंदित हो जाता हूं। अभी हल ही में मैं लंदन गया था। वहां पर एक भारतीय परिवार था। मेरे पास आए मिलने और उन्होंने मुझसे कहा कि जब भी किसी फिल्म या सीरीज में आपका नाम देखते हैं तो हम निश्चित हो जाते हैं की बहुत अच्छी कोई चीज होगी जो हमें देखना मिलने वाली है। मैं तो इस बात पर बहुत खुश हो गया था। 
 
आप अपने किसी दोपहिया वाहन की बातें शेयर करें 
बाइक की बातें तो क्या ही शेयर करुं। मैं तो उस समय से नाता रखता हूं जब हम लोगों ने बच्चन साहब को बाइक चलाते हुए देखा। ऐसे हवा में उड़ते हुए बाल ऐसे बड़े फर्र्टे से निकलते हुए बाइक चलाना और स्कूल में हम सब वही चीजें देखकर प्रभावित हुआ करते थे। थोड़े बड़े होने पर मेरे एक दोस्त ने बाइक ले ली और उसने मुझे भी थोड़ी बहुत सिखा दी तो वह मेन रोड पर तो वो चलता था। आसपास गलियों में मैं चला लिए करता था।
 
एक बार कुछ ऐसा हुआ की मुझे समझ में आ गया की मेन रोड पर चलाने वाली आदत और गलियों में चलाने वाली आदत इन सबसे कहीं बड़ी बात होती है हाईवे पर बाइक चलाने वाली आदत। हम लोग हाईवे पर थे थिएटर के दिन थे। ढाबे पर कुछ खाया और उसके बाद मैने अपने दोस्त से कहा चलो अभी मैं चलता हूं, उसने भी हां काह दिया। अभी हाईवे पे बड़े-बड़े ट्रक आपके आसपास से गुजार रहे होते हैं और ऐसे मैं आपको एंकदम संतुलन खोए बिना गाड़ी को चलाना होता है। अभी मैं चला रहा हूं एक तरफ से एक बड़ा ट्रक, दूसरी तरफ से दुसरा बड़ा ट्रक और इन दोनों ट्रकओं के बीच में मैं फंस कर गाड़ी चला रहा हूं। 
 
उस दिन मुझे समझ में आ गया की भाई गाड़ी तो नहीं चलानी है। बाइक से कोसों दूर रहना है। वह समय कैसे मैने निकला है और मेरे दोस्त ने निकला है। मैं आपको बता नहीं सकता। हम थरथर कांप रहे थे और जैसे ही ट्रक वालों को समझ में आया वहां थोड़ा उन्होंने संभाल लिया बात को लेकिन दोनों ट्रक वालों ने हमें इतनी गलियां दी और बोलकर गए अबे मरना है क्या।  उस दिन के बाद से मेरा गांठ बांध कर रख ली कि मैं तो कभी भी बाइक नहीं चलाने वाला हूं। अगर शूटिंग में भी बाइक होगी तो बाइक किसी ट्रॉली पर लेकर जाएंगे और मैं उस पर बैठूंगा लेकिन मैं खुद कभी बाइक ड्राइव करने वाला नहीं हूं। 

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