बिहार की स्वर कोकिला लोकिन गायिका छठ के तीसरे दिन पंचतत्व में विलीन हो गई हैं। छठ जैसे महापर्व की पर्याय मानी जानेवालीं सिंगर शारदा सिन्हा को उनके बेटे अंशुमन ने मुखाग्नि दी। शारदा सिन्हा को गार्ड ऑफ ऑनर के सम्मान के साथ विदाई दी गई।
राजकीय सम्मान के साथ शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर किया गया। शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा थी कि जहां उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा का क्रिया कर्म हुआ था, वहीं उनको भी मुक्ति दी जाए। शारदा सिन्हा की अंतिम यात्रा पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से निकली, जिमें सैकड़ों लोग शामिल हुए।
बता दें कि 72 वर्षीय शारदा सिन्हा ने 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली थी। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रही थीं। शारदा सिन्हा ने अस्पताल से ही अपना आखिरी छठ गीत 'दुखवा मिटाई छठी मइया' भी रिलीज किया था।
संगीत की दुनिया में उनके अहम योगदान के लिए शारदा सिन्हा को साल 1991 में 'पद्मश्री' और साल 2018 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का संगीत छठ पूजा के गीतों में विशेष रूप से अनोखा महत्व रखता है। शारदा सिन्हा कई बॉलीवुड गानों को भी अपनी आवाज दे चुकी थीं।