Manmohan Desai Death Anniversary: बॉलीवुड में मनमोहन देसाई का नाम एक ऐसे फिल्मकार के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी निर्मित फिल्मों के जरिए इंटरटेनर नंबर वन के रूप में दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाई। फिल्म इंडस्ट्री में 'मनजी' के नाम से मशहूर मनमोहन देसाई का जन्म 26 फरवरी 1937 को हुआ था। 
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	मनमोहन देसाई के पिता किक्कू देसाई फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे और उन्होंने वर्ष 1930 में एक फिल्म का निर्देशन भी किया था। वह पारामाउंट स्टूडियो के मालिक भी थे। घर में फिल्मी माहौल रहने के कारण उनका रुझान बचपन से ही फिल्मों की ओर हो गया था। वर्ष 1960 में जब मनमोहन देसाई जब महज 24 वर्ष के थे तो उन्हें अपने भाई सुभाष देसाई द्वारा निर्मित फिल्म 'छलिया' को निर्देशित करने का मौका मिला।
 
									
										
								
																	
	 
	राज कपूर और नूतन जैसे दिग्गज कलाकारों की उपस्थिति में भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से इंकार दी गई। हालांकि संगीतकार कल्याणजी-आंनद जी के संगीतबद्ध गीत 'छलिया मेरा नाम' और 'डम-डम डिगा डिगा' उन दिनों काफी लोकप्रिय हुए थे। वर्ष 1964 में मनमोहन देसाई को फिल्म 'राजकुमार' को निर्देशित करने का मौका मिला। 
	 
 
									
											
									
			        							
								
																	
	इस बार भी फिल्म में उनके चहेते अभिनेता और मित्र शम्मी कपूर थे। इस बार मनमोहन देसाई की मेहनत रंग लाई और फिल्म के सफल होने के साथ ही वह फिल्म इंडस्ट्री में बतौर निर्देशक अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। वर्ष 1970 में प्रदर्शित 'सच्चा झूठा' मनमोहन देसाई के सिने करियर की अहम फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में उन्हें उस जमाने के सुपर स्टार राजेश खन्ना को निर्देशित करने का मौका मिला। फिल्म में राजेश खन्ना दोहरी भूमिका में थे। 
 
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	खोया पाया फार्मूले पर बनी इस फिल्म में मनमोहन देसाई ने अपनी निर्देशन प्रतिभा का लोहा मनवा लिया। फिल्म सच्चा-झूठा बॉक्स आफिस पर सुपरहिट साबित हुई। इस बीच मनमोहन देसाई ने भाई हो तो ऐसा, रामपुर का लक्ष्मण, आ गले लग जा, रोटी जैसी फिल्मों का निर्देशन किया, जो दर्शकों को काफी पसंद आई।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	वर्ष 1977 मनमोहन देसाई के लिए सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी परवरिश, धरमवीर, चाचा भतीजा, अमर अकबर एंथनी जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुई। इन सभी फिल्मों में उन्होंने अपने खोया-पाया फार्मूले का सफल प्रयोग किया। वह अक्सर यह सपना देखा करते थे कि वह दर्शकों के लिए भव्य पैमाने पर मनोरंजक फिल्म का निर्माण करेंगे। अपने इसी ख्वाब को पूरा करने के लिए उन्होंने फिल्म अमर अकबर एंथनी के जरिये फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रख दिया और एमकेडी बैनर की स्थापना की।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	अमर अकबर एंथनी उनके सिने करियर की सबसे सफल फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में यूं तो सभी गाने सुपरहिट हुए लेकिन फिल्म का हमको तुमसे हो गया है प्यार गीत संगीत जगत की अमूल्य धरोहर के रूप में आज भी याद किया जाता है। इस गीत में पहली और अंतिम बार लता मंगेशकर, मुकेश, मोहमद रफी और किशोर कुमार जैसे नामचीन पार्श्वगायकों ने अपनी आवाज दी थी।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	अमर अकबर एंथनी की सफलता के बाद मनमोहन देसाई ने निश्चय किया कि आगे जब कभी वह फिल्म का निर्देशन करेंगे तो उसमें अमिताभ बच्चन को काम करने का मौका अवश्य देंगे। हमेशा अपने दर्शकों को कुछ नया देने वाले मनमोहन देसाई ने वर्ष 1981 में फिल्म नसीब का निर्माण किया। इस फिल्म के एक गाने जॉन जॉनी जर्नादन में उन्होंने सितारों की पूरी फौज ही खड़ी कर दी। 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	यह फिल्म जगत के इतिहास में यह पहला मौका था, जब एक गाने में फिल्म जगत के कई दिग्गज कलाकारों की उपस्थिति थी। इसी गाने से प्रेरित होकर शाहरुख खान अभिनीत फिल्म ओम शांति ओम के एक गाने में कई सितारों को दिखाया गया है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	वर्ष 1983 में मनमोहन देसाई की एक और फिल्म कुली प्रदर्शित हुई, जो हिंदी सिनेमा जगत के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा गई। इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को पेट में गंभीर चोट लग गई और वह लगभग मौत के मुंह में चले गए थे। फिल्म कुली बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। वर्ष 1985 में मनमोहन देसाई की फिल्म मर्द प्रदर्शित हुई, जो उनके सिने करियर की अंतिम हिट फिल्म थी। 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	वर्ष 1988 में मनमोहन देसाई ने फिल्म गंगा जमुना सरस्वती का निर्देशन किया लेकिन कमजोर पटकथा के कारण फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिट गई। इसके बाद उन्होंने अपने चहेते अभिनेता अमिताभ बच्चन को लेकर फिल्म तूफान का निर्माण किया लेकिन यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर कोई तूफान नहीं ला सकी। इसके बाद उन्होंने निर्णय लिया कि भविष्य में वह किसी भी फिल्म का निर्माण और निर्देशन नहीं करेंगे।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	बहुमखी प्रतिभा के धनी मनमोहन देसाई ने राजकुमार और किस्मत फिल्म की कहानी भी लिखी। इसके अलावा वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म ब्लफ मास्टर का स्क्रीनप्ले भी उन्होंने ही लिखा था। मनमोहन देसाई ने अपने तीन दशक से भी ज्यादा लंबे सिने करियर में लगभग बीस फिल्मों का निर्देशन किया। अपनी फिल्मों के जरिए दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाले मनमोहन देसाई 1 मार्च 1994 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी मौत बालकनी से गिरने से हुई थी।