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केजीएफ : चैप्टर 1 की रिलीज को 6 साल पूरे, यश ने बताया कैसे बना फिल्म का मां वाला इमोशनल सीन

हमें फॉलो करें केजीएफ : चैप्टर 1 की रिलीज को 6 साल पूरे, यश ने बताया कैसे बना फिल्म का मां वाला इमोशनल सीन

WD Entertainment Desk

, शनिवार, 21 दिसंबर 2024 (14:34 IST)
आज से ठीक छह साल पहले भारतीय दर्शकों ने यश को 'केजीएफ : चैप्टर 1' के जरिए पैन-इंडिया सुपरस्टार बनते देखा। रॉकी का किरदार, जिसे यश ने निभाया, सिर्फ बगावत और ताकत का प्रतीक नहीं था, बल्कि उसकी भावनाएं भी हर किसी के दिल को छू गईं।
 
फिल्म का एक सीन जो हमेशा याद रहता है, वो है जब रॉकी एक परेशान मां की मदद करता है और कहता है, 'दुनिया की सबसे बड़ी योद्धा एक मां होती है।' ये सीन इतना इमोशनल था कि रॉकी की असली सोच को इसने दिखा दिया, जो दर्शकों के दिल को छू गया।
 
हाल ही के एक इंटरव्यू में यश ने इस सीन के पीछे की क्रिएटिव प्रोसेस को लेकर दिलचस्प बातें शेयर कीं। उन्होंने बताया कि यह सीन असली स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था। पहले इस सीन में दिखाया गया था कि रॉकी एक बुजुर्ग महिला को सड़क पार करवाता है। लेकिन एडिटिंग सेशन के दौरान एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर रामा राव ने इसमें बड़ा बदलाव करने का सुझाव दिया। 
 
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चूंकि रॉकी की मां उसकी कहानी का अहम हिस्सा थीं, तो इस खास पल में उनकी भावना को जोड़ना सही लगा। जब इंटरव्यू में उनसे पूछा गया, 'अगर कोई क्रिएटिव चर्चा होती है, तो स्टीवन स्पीलबर्ग ने एक बार कहा था कि उनकी समस्या यह थी कि उन्हें कभी 'ना' नहीं कहा गया! क्या आप बराबरी के साथ बातचीत कर सकते हैं?'
 
जिसपर जवाब देते हुए यश ने कहा, मैं हमेशा ऐसा माहौल देता हूं जहां लास्ट असिस्टेंट डायरेक्टर भी आकर मुझसे कह सके कि पिछला टेक अच्छा था, बॉस। मैं ऐसा इसलिए करता हूं क्योंकि जब आप सबको खुलकर बोलने का मौका देते हो, तब कई बार कमाल के आइडियाज सामने आते हैं। KGF में भी ऐसा ही हुआ। 
 
यश ने कहा, मैं और प्रशांत एडिट देख रहे थे और उस सीन पर काम कर रहे थे। जो मशहूर सीन मां के साथ है, वो असल में स्क्रिप्ट में एक बुजुर्ग महिला के सड़क पार करने वाला सीन था। उस सीन में मैं गन निकालता हूं, और इसे गन सीन के तौर पर शूट किया गया था। तो मेरे एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर, श्री रामराव, एडिट देख रहे थे। उन्होंने आकर कहा, 'सारी फिल्म तो मां के बारे में है। इस सीन में मां क्यों नहीं हो सकती?' ये सुनकर मैं और प्रशांत एक-दूसरे को देखने लगे। हमें भी लगा, ये तो गजब का आइडिया है! 
 
फिर मैंने पूछा, 'अब क्या करें?' तो प्रशांत ने कहा, 'चिंता मत करो, हम इस सीन को फिर से शूट करेंगे।' इसके बाद हमने एक महिला को छोटे बच्चे के साथ बुलाया। फिर रॉकी अपनी मां को याद करता है, और मैं बाहर जाकर उस महिला से बात करता हूं। उसी दौरान हमें एक डायलॉग चाहिए था, और डिस्कशन करते-करते वो लाइन बन गई। सब कुछ ऐसे ही अपने आप होता चला गया।
 
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उन्होंने आगे कहा, आपको कभी पता नहीं चलता, हमने उस स्क्रिप्ट पर 4-5 साल काम किया था। 2014 से काम कर रहे थे, पर ये आइडिया कहां से आएगा, ये किसी को नहीं पता। प्रोडक्शन संभालने वाले शख्स ने आकर हमें कुछ कहा, और अगर वो बात सही हो तो उसे मान लेना चाहिए। मेरा मानना है कि यही सोच और माहौल होना चाहिए। वरना कोई भी सबकुछ नहीं जानता। सिनेमा पूरी तरह से एक टीमवर्क है। डायरेक्टर और पूरी टीम को साथ आकर काम करना पड़ता है। तभी वो मैजिक होता है।
 
इस बदलाव ने न सिर्फ फिल्म की इमोशनल गहराई बढ़ाई, बल्कि रॉकी के किरदार को एक ऐसा पहलू दिया जिससे हर कोई जुड़ सके। यश ने KGF की टीम की उस सहयोगी सोच को इसका श्रेय दिया, जिसकी वजह से ऐसे असरदार क्रिएटिव फैसले लिए गए। यही वो चीज़ है जिसने फिल्म को इतनी बड़ी सफलता दिलाई।
 
यश के पैन-इंडिया सुपरस्टार बनने के छह साल पूरे होने का जश्न मनाते हुए, ये कहानी दिखाती है कि कैसे सोच-समझकर लिखी गई कहानी और दिल से की गई परफॉर्मेंस ने KGF को सिनेमा की दुनिया में एक माइल स्टोन बना दिया। काम की बात करें तो यश जल्द ही टॉक्सिक, रामायण और KGF 3 में नजर आएंगे। साथ ही, वो रामायण और टॉक्सिक को को-प्रोड्यूस भी कर रहे हैं।
 

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