बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को हाल ही में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड देने की घोषणा की गई है। मिथुन ने यह अवॉर्ड अपने फैंस और परिवार को डेडिकेट किया है। मिथुन ने हाल ही में इंडस्ट्री में अपने सफर पर खुलकर बात की। उन्होंने मुंबई के फुटपाथ पर सोने से लेकर नेशनल अवॉर्ड मिलने पर घमंडी हो जाने तक के बारे में बताया है।
मिथुन चक्रवर्ती को साल 1976 में अपनी पहली ही फिल्म 'मृगया' के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। उन्होंने बताया कि नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद उनके अंदर अहंकार आ गया था। हालांकि बाद के अनुभवों ने उन्हें जमीन से जुड़ा रहना सिखाया।
मिथुन चक्रवर्ती ने कहा, सफर काफी मुश्किलभरा था। कई लोगों ने मुझसे कहा कि आप बायोग्राफी क्यों नहीं लिखते। मैं कहता हूं कि क्योंकि मेरी स्टोरी लोगों को इंस्पायर नहीं करेगी, उनको मोरली डाउन कर देगी। जो यंग लड़के स्ट्रगल करते हैं, उनकी हिम्मत तोड़ देगी। काफी मुश्किलभरी और दर्दभरी थी।
उन्होंने कहा, मैं कोलकाता की एक अंधी गली से आया हूं और बॉम्बे भी बहुत कठिन था। किसी दिन मुझे खाना नहीं मिलता था और मैं कभी-कभी फुटपाथ पर सोता था। उस लड़के को भारत का सबसे बड़ा फिल्म पुरस्कार मिलना, मैं अभी भी इसे पचा नहीं पा रहा हूं। अभी तक मैं सन्न हूं। इतना बड़ा पुरस्कार। मैं खुशी से परेशान भी नहीं हो सकता, खुशी से रो भी नहीं सकता।
मिथुन ने कहा अपने करियर की शुरुआत में नेशनल अवॉर्ड जीतने से उनमें अहंकार आ गया था। उन्होंने कहा, मृगया के बाद मुझे पहला नेशनल अवॉर्ड मिला। जो होता है, मैं अल पचिनो की तरह एक्टिंग करने लगा। ऐसा लग रहा था कि मैं सबसे महान अभिनेता हूं। मेरा एटीट्यूड चेंज हो गया तो प्रोड्यूसर ने देख के बोला 'गेट आउट'। तब मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ।
बता दें कि मिथुन चक्रवर्ती को 8 अक्टूबर 2024 को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। 74 साल की उम्र में भी मिथुन चक्रवर्ती फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय बने हुए हैं।