बंगाल की मशहूर शास्त्रीय गायिका संध्या मुखर्जी का 15 फरवरी को 90 साल की उम्र में निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थीं। उनका निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ।
संध्या मुखर्जी का अंतिम संस्कार बुधवार शाम को कोलकता के केवड़ातला श्मशान में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में वहां जुटे लोगों की आंखों में आंसू देखने को मिले।
उनकी अंतिम यात्रा बुधवार सुबह पूर्वी कोलकाता के तोपसिया स्थित मोर्चरी पीस वर्ल्ड से शुरू हुई। इसके बाद राज्य संगीत अकादमी से होते हुए उन्हें रवींद्र सदन सांस्कृतिक परिसर में ले जाया गया। यहां उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए कुछ समय तक के लिए रखा गया।
उत्तर बंगाल के अपने दौरे के बीच में से लौटीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस दौरान शाम के लगभग पांच बजे उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की और उनके पार्थिव शरीर के चारों ओर एक शॉल लपेटा। इसके बाद बड़ी संख्या में जुटी भीड़ के साथ संध्या मुखर्जी के पार्थिव शरीर को रवींद्र सदन से तीन किलोमीटर दूर श्मशान घाट तक ले जाया गया।
इस दौरान उनके गाए हुए गीत बजते रहे, जो लोगों को उनकी पुरानी यादें ताजा कराती रहीं। शाम के करीब छह बजे केवड़ातला श्मशान घाट में पुलिस की एक टीम ने धीमी गति से मार्च कर उन्हें तोपों की सलामी दी।
60 और 70 के दशक में प्लेबैक सिंगिंग की सबसे मधुर आवाज़ों में से एक मानी जाने वाली संध्या मुखर्जी ने बंगाली में हजारों गाने गाए और लगभग एक दर्जन अन्य भाषाओं में गाए गाने उनके नाम दर्ज हैं। संध्या मुखर्जी को 2011 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'बंग विभूषण' मिला।