सुनील दर्शन उन फिल्म निर्देशकों से में से हैं जो बदलते दौर के साथ सिनेमा बनाने में संघर्ष कर रहे हैं। अब सिनेमा देखने वालों की पसंद में काफी बदलाव आ गया है। सिनेमा की मेकिंग की स्टाइल बदल चुकी है, लेकिन वक्त के हिसाब से सुनील में बदलाव नहीं आया है। इसीलिए उनकी फिल्में आउटडेटेट लगती है। वर्षों पहले उन्होंने अंदाज नामक फिल्म बनाई थी अब अंदाज 2 लेकर आए है।
बॉलीवुड का ओवरड्रामेटिक रोमांस और क्लासिक लव ट्रायंगल इस फिल्म का आधार है, जो अब पुराना पड़ चुका है। अफसोस इस बात का है कि इस पर भी सुनील देखने लायक फिल्म नहीं बना पाए। समय बदल चुका है, लेकिन उनकी फिल्म बनाने के तरीके में कोई सुधार नहीं।
फिल्म का नायक आरव (आयुष कुमार) उभरता गायक है, जिसकी जिंदगी में म्यूजिक, सपने और प्यार सब कुछ ट्रैक पर है। आरव को अलिशा (आकाइशा) से पहली नजर में प्यार हो जाता है। दोनों की केमिस्ट्री म्यूजिक वीडियो वाली फ्रेशनेस लिए हुए लगती है, लेकिन कहानी यहीं से मोड़ लेती है।
एंट्री होती है प्रियंका (नताशा फर्नांडीज़) की, जो अलिशा की बड़ी बहन है। प्रियंका भी आरव के प्यार में पड़ जाती है। अब शुरू होता है क्लासिक बॉलीवुड लव ट्रायंगल, जहाँ इमोशन्स, गलतफहमियां और बलिदान एक साथ चलते हैं।
इंटरवल तक कहानी प्रेम, वादों और गलतफहमियों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है, लेकिन दूसरे हाफ में फिल्म का टोन अचानक बदल जाता है। एक्शन, ड्रामा और एक-दूसरे को बचाने के सीन्स आते हैं, लेकिन ये सब काफी पुराना और प्रेडिक्टेबल लगता है। कई बार तो ऐसा लगता है कि आप किसी नब्बे के दशक के टीवी सीरियल का लम्बा एपिसोड देख रहे हैं।
सब कुछ बहुत ही बोरिंग है। न एक्टर एक्टिंग कर पाए हैं, न लेखक ढंग की स्क्रिप्ट लिख पाए हैं और न ही निर्देशक दर्शकों को बांध पाए हैं। दर्शक यही सोचता है कि कहां फंस गया। कौन सी घड़ी में इस फिल्म को देखने का फैसला ले लिया। समय और पैसे दोनों के नुकसान के साथ सिरदर्द अलग।
आयुष कुमार एक्टिंग की कोशिश करते हैं, लेकिन रोल उन्हें ज्यादा स्कोप नहीं देता। रोमांटिक और इमोशनल सीन में असर छोड़ने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन स्क्रिप्ट और डायलॉग्स उनके साथ न्याय नहीं करते।
आकांक्षा स्क्रीन पर फ्रेश लगती हैं और उनकी मौजूदगी से सीन्स में थोड़ी चमक आती है। नताशा फर्नांडीज़ ने प्रियंका के किरदार को सॉफ्ट लेकिन थोड़े इंटेंस टच के साथ निभाया है, हालांकि उनका रोल भी सीमित है।
नदीम श्रवण वाले नदीम ने फिल्म का संगीत दिया है। गाने पुराने दौर की याद दिलाते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के साथ मेल खाता है, लेकिन एडिटिंग काफी ढीली है जिससे फिल्म की रफ्तार कई जगह थम जाती है।
सिनेमैटोग्राफी औसत है। कुछ लोकेशन्स खूबसूरत हैं, लेकिन कैमरा वर्क में कोई खास क्रिएटिविटी नहीं है।
सुनील दर्शन का डायरेक्शन वैसा ही है जैसा उन्होंने 20-25 साल पहले किया था। पुरानी स्क्रिप्ट स्ट्रक्चर, लंबे इमोशनल डायलॉग्स और क्लासिक हीरोइन-हीरो फ्रेमिंग आज के दर्शकों के लिए पुरानी पड़ चुकी है। जिस दौर में OTT और रियलिस्टिक कंटेंट का बोलबाला है, वहां अंदाज़ 2 को देखना किसी सजा से कम नहीं है।
रोमांस, लव ट्रायंगल और मेलोड्रामा वाली फिल्म ही देखना हो तो बेहतर है कि कोई पुरानी फिल्म ही देख ली जाए। कई फिल्में ओटीटी और यूट्यूब पर मिल जाएगी। कोई पुराना रोमांटिक गाना ही देख लें तो आनंद मिलेगा। अंदाज 2 आज के दौर के लायक तो है नहीं, 90 के दशक में भी रिलीज होती तो भी फ्लॉप होती।
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निर्देशक: सुनील दर्शन
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फिल्म: ANDAAZ 2 (2025)
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गीत: समीर
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संगीत: नदीम
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कलाकार: आयुष कुमार, आकाइशा, नताशा फर्नांडिज़
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रेटिंग: 0.5/5