Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

स्पेशल ऑप्स 2 का सच: केके मेनन ने फिर जमाई धाक, पर अंत ने किया निराश? जानें पूरा रिव्यू

Advertiesment
हमें फॉलो करें Special Ops 2 review

समय ताम्रकर

, सोमवार, 28 जुलाई 2025 (12:18 IST)
नीरज पांडे की 'स्पेशल ऑप्स 2' एक नई कहानी और एक नए, बड़े खतरे के साथ लौटकर आई है। यह वेब सीरीज़ एक ऐसे ऑपरेशन पर केंद्रित है जहाँ हिम्मत सिंह (केके मेनन) और उनकी टीम को एक बेहद शातिर और खतरनाक दुश्मन का सामना करना है, जो लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल कर अपने नापाक इरादों को अंजाम दे रहा है।
 
सीरीज़ की कहानी एक सप्ताह, यानी शुक्रवार से गुरुवार तक के घटनाक्रमों को सात एपिसोड में समेटती है। यह कॉन्सेप्ट अपने आप में दिलचस्प है और शुरुआत में दर्शकों को बांधे रखता है।
 
समानांतर रूप से कई घटनाक्रम चलते हैं। फारूक (करण टैकर), अब्बास शेख (विनय पाठक) दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मिशन पर हैं और हिम्मत सिंह पीओसी है। मिशन जुड़ते जाते हैं और हिम्मत सिंह का काम आसान हो जाता है। इसके साथ ही प्रकाश राज का अपना अलग ट्रैक है जिस पर न चाहते हुए हिम्मत सिंह को काम करना पड़ रहा है। 
 
इसके अलावा हिम्मत सिंह निजी रूप से भी मिशन लड़ रहा है जब उसकी बेटी को उसके बारे में एक राज पता चलता है। हालांकि यह ट्रैक इतना असरदार नहीं है। 
 
शुरुआती चार एपिसोड तक सीरीज़ का पेस और थ्रिल बढ़िया बना रहता है। कहानी धीरे-धीरे खुलती है और दर्शक हिम्मत सिंह की टीम के साथ दुश्मन को समझने की कोशिश करते हैं। 
 
हालाँकि, इसके बाद ऐसा लगता है जैसे निर्देशक को सीरीज समाप्त करने की बहुत जल्दी थी। कहानी इतनी तेजी से आगे बढ़ती है कि उसके साथ दर्शकों का कदमताल मिलाना मुश्किल होता है और यही जल्दबाजी दर्शक के रोमांच को कम कर देती है। अगर इस सीरीज़ को 10 एपिसोड में फैलाया जाता, तो शायद इसे बेहतर ढंग से विकसित किया जा सकता था और दर्शकों को एक्शन व सस्पेंस का पूरा मजा मिलता।
 
'स्पेशल ऑप्स 2' को कई देशों में शूट किया गया है और यह बात सीरीज के बड़े कैनवास और भव्यता को दर्शाती है। प्रोडक्शन वैल्यू पर खासा पैसा खर्च किया गया है, जो विजुअल्स में साफ झलकता है।
 
सीरिज का अंत निराशाजनक है। जिस बेहद शक्तिशाली और दुनिया को खत्म करने की क्षमता रखने वाले इंसान को रोकने का मिशन था, उसे अंत में खुद लड़ते हुए देखना कुछ हजम नहीं होता। यह उस विलेन के बड़े कद के साथ न्याय नहीं करता जो पूरी सीरीज़ में बेहद खतरनाक दिखाया गया है। 
 
इसके अलावा, हिम्मत सिंह और उनकी टीम जिस आसानी से मिशन को फिनिश करती है, वह भी थोड़ा अटपटा लगता है। इससे रोमांच का स्तर गिर जाता है और दर्शकों को वो 'वाह' वाला पल नहीं मिलता जिसकी उम्मीद 'स्पेशल ऑप्स' जैसी सीरीज़ से की जाती है। कहीं-कहीं लगता है कि टीम को बहुत कम संघर्ष में बड़ी सफलता मिल गई, जिससे कहानी में अपेक्षित तनाव पैदा नहीं होता।
 
हाँ, यह सीरीज़ एक बात बहुत अच्छे से दर्शाती है कि किस तरह से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल दुश्मन अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए कर रहे हैं। यह दिखाता है कि युद्ध लड़ने के नए तरीके इजाद हो गए हैं और भविष्य में हमें किस तरह के अप्रत्याशित खतरों का सामना करना पड़ सकता है। यह एक महत्वपूर्ण संदेश है जो सीरीज़ प्रभावी ढंग से देती है।
 
अभिनय की बात करें तो केके मेनन (हिम्मत सिंह) हमेशा की तरह उम्दा रहे हैं। उन्होंने अपने शांत, गंभीर और प्रभावशाली किरदार को पूरी सीरीज़ में बारीकी से पकड़ा है। उनकी संवाद अदायगी और बॉडी लैंग्वेज एक अनुभवी व्यक्ति की भूमिका में पूरी तरह फिट बैठती है।
 
करण टैकर उतने प्रभावी नहीं रहे। विनय पाठक को और ज्यादा अवसर मिलना था। सैयामी खेर तो साइडलाइन में खड़ी नजर आती है। प्रकाश राज कम सीन के बावजूद अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। 
 
अन्य कलाकार भी अपने-अपने किरदारों में ठीक-ठाक रहे हैं, लेकिन केके मेनन की मौजूदगी उन्हें अक्सर फीका कर देती है। टीम के सदस्यों ने अपनी भूमिकाएं निभाई हैं, पर कोई भी किरदार हिम्मत सिंह की तरह प्रभावशाली ढंग से उभर नहीं पाता। शायद कम एपिसोड की वजह से उन्हें अपने किरदारों को गहराई से दिखाने का मौका नहीं मिला।
 
निर्देशन के लिहाज़ से नीरज पांडे और शिवम नायर ने शुरुआती एपिसोड्स में बेहतरीन काम किया है, जिसमें उन्होंने माहौल और सस्पेंस बनाया है। हालाँकि, अंत तक आते-आते वे कहानी को समेटने की जल्दी में दिखे, जिससे प्लॉट थोड़ा जल्दबाजी वाला लगने लगता है। बड़े बजट और अंतर्राष्ट्रीय लोकेशंस का इस्तेमाल उन्होंने बखूबी किया है, पर कहानी को खींचने और क्लाइमैक्स को और दमदार बनाने की गुंजाइश जरूर थी।
 
कुल मिलाकर, 'स्पेशल ऑप्स 2' एक दिलचस्प कॉन्सेप्ट और केके मेनन के दमदार अभिनय के लिए देखी जा सकती है, लेकिन इसका जल्दबाजी वाला अंत और कुछ हद तक रोमांच की कमी इसे पहली सीरीज जितना प्रभावशाली नहीं बना पाती।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

लाफ्टर शेफ सीजन 2 के विनर बने करण कुंद्रा-एल्विश यादव, ये जोड़ी रही रनरअप