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हाउसफुल 4 : फिल्म समीक्षा

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हमें फॉलो करें हाउसफुल 4 : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

, शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019 (15:21 IST)
हाउसफुल और गोलमाल लोकप्रिय और हास्य फिल्म सीरिज़ हैं, लेकिन दिनों-दिन इन फिल्मों का स्तर नीचे आते जा रहा है और केवल नाम का फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। हाउसफुल का चौथा भाग पिछले तीन भागों में सबसे कमजोर है। 
 
माना कि हाउसफुल जैसी फिल्मों को देखने के लिए बहुत ज्यादा उम्मीद लेकर नहीं जाना चाहिए क्योंकि ये दिमाग घर पर रख कर मजा उठाने के लिए बनाई जाती है, लेकिन मनोरंजन तो होना चाहिए। हंसी तो आनी चाहिए। हाउसफुल 4 ज्यादातर समय हर डिपार्टमेंट में लड़खड़ाती नजर आती है चाहे वो कहानी हो, संवाद हो, निर्देशन हो या अभिनय हो। 
 
हाउसफुल 4 में पुनर्जन्म और कन्फ्यूजन का तड़का लगाया गया है। कहानी 600 वर्षों में फैली हुई है। एक 1419 के जमाने की कहानी है और दूसरी 2019 की।
 
1419 में सितमगढ़ में तीन जोड़े एक-दूसरे की मोहब्बत में खोए हुए रहते हैं, लेकिन जमाने को यह बात पसंद नहीं आती। षड्यंत्र रचा जाता है और शादी होने के पहले वे बिछड़ जाते हैं। 
 
अब कहानी शिफ्ट होती है 2019 में। तीनों लड़कों और तीनों लड़कियों का फिर से जन्म होता है। फिर वे प्यार में पड़ जाते हैं, पर इसमें पेंच है।
 
इस बार अदला-बदली हो जाती है। यानी कि जो लड़का 1419 में जिस लड़की से प्यार कर रहा था वो 2019 में दूसरी लड़की को दिल दे बैठता है और इस तरह से सभी जोड़ियों में गड़बड़ हो जाती है।
 
भाग्य को शायद ये मंजूर नहीं था। किस्मत सभी को फिर से सितमगढ़ ले जाती है। यहां आकर उन्हें पता चलता है कि पार्टनर्स बदल गए हैं। अब ये उलझी कड़ी किस तरह सुलझती है, कैसे पुरानी बातें उन्हें याद आती हैं, ये फिल्म में दिखाया गया है।
 
फिल्म की कहानी निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने लिखी है और उन्होंने पुरानी हाउसफुल फिल्मों की खास बातें घुमा-फिरा कर फिर पेश कर दी है। तेरी बीवी, उसकी बीवी, उसकी बीवी मेरी बीवी और लड़कियों को देख रंजीत का खास अदा में आवाज निकालना जैसी बातें हम पिछली हाउसफुल में भी सुन चुके हैं, इन्हें यहां भी दोहरा दिया गया है। 
 
कमजोर कहानी पर जो स्क्रीनप्ले लिखा गया है वो भी कमजोर है। कन्फ्यूजन में जो मजा आना चाहिए वो नदारद है। हंसाने के लिए जो उतार-चढ़ाव दिए गए हैं वो ज्यादा मजा नहीं देते। 
 
लेखक ने हर चीज बहुत आसान कर दी है, चाहे वो पिछले जन्म की याद लौटना क्यों न हो? ये सब बातें तब दब जाती हैं जब स्क्रीन पर जबरदस्त कॉमेडी हो रही हो, लेकिन हाउसफुल 4 में ऐसा नहीं हो पाता।  
 
हां, इस बात के लिए फिल्म की तारीफ की जा सकती है कि कॉमेडी के नाम पर मेकर्स ने खुद को ज्यादा सीरियस नहीं लिया है और हर सिचुएशन को फनी बनाने की कोशिश की है। 1419 में भी आप किरदारों को पास्ता खाते या 'गिफ्ट' बोलते हुए सुन सकते हैं। 
 
अक्षय कुमार का तेज आवाज सुन याददाश्त खो बैठना, कुर्ते के नीचे से रितेश का तलवार निकालना, अक्षय कुमार के पिछवाड़े में चाकू लगना, बाला के रूप में अक्षय कुमार की हरकत वाले कुछ सीन ऐसे जरूर हैं जहां पर आप ठहाके लगा सकते हैं, लेकिन इतनी बड़ी स्टार कास्ट और लागत से फिल्म बनाई जा रही हो तो उम्मीद बढ़ना स्वाभाविक है। कॉमेडी फिल्मों की संवाद जान होते हैं, लेकिन फिल्म यहां पर खाली है।
 
फिल्म का निर्देशन फरहाद सामजी ने किया है जो कि मूलत: लेखक हैं। फिल्म का निर्देशन पहले साजिद खान कर रहे थे जिन पर मीटू के आरोप लगने के कारण फिल्म छोड़ना पड़ी और दूसरे साजिद ने कमान संभाली। 
 
फरहाद सामजी का लेखक, निर्देशक पर हावी है। वे लिखे हुए को फिल्मा देते हैं और निर्देशक के रूप में उनकी इमेजिनेशन नजर नहीं आती। 
 
फिल्म में कई कलाकार हैं, लेकिन सारा भार अक्षय कुमार पर ही डाला गया है। 1419 के बाला के रूप में वे अच्छे लगे हैं और दर्शकों को हंसाने में सफल रहे हैं। रितेश देशमुख और बॉबी देओल, अक्षय के तले दब गए हैं और फिल्म उन्हें उभरने का मौका नहीं देती। 
 
हीरोइनें तो महज शो-पीस हैं। कृति सेनन को तो फिर भी दो-तीन दमदार सीन मिले हैं, लेकिन कृति खरबंदा और पूजा हेगड़े को तो यह भी नहीं मिला। 
 
रंजीत, चंकी पांडे अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। जॉनी लीवर भी हंसाने में कामयाब रहे हैं। राणा दग्गुबाती के भी डबल रोल हैं और कव्वाल के रूप में उनका काम बेहतर है। कैमियो में नवाजुद्दीन सिद्दीकी अच्छे लगते हैं। 
 
'शैतान का साला' गाना अच्छा है और 'बदला' भी फिल्म में अच्छा लगता है। तकनीकी मामले में फिल्म औसत है और एक बड़े बजट की फिल्म का अहसास देखने में महसूस नहीं होता। 
 
कुल मिलाकर 'हाउसफुल 4' का पसंद आना इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां तक दिमाग का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं।  
 
निर्माता : फॉक्स स्टार स्टूडियोज़, नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट
निर्देशक : फरहाद सामजी
संगीत : सोहेल सेन
कलाकार : अक्षय कुमार, बॉबी देओल, रितेश देशमुख, कृति सेनॉन, पूजा हेगड़े, कृति खरबंदा, चंकी पांडे, राणा दग्गुबाती, रंजीत, जॉनी लीवर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 26 मिनट 
रेटिंग : 2/5 

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