Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

लूटकेस : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें लूटकेस : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

, मंगलवार, 4 अगस्त 2020 (16:16 IST)
पिछले कुछ समय में ऐसी फिल्में लगातार देखने को मिल रही है जब आर्थिक संकट से जूझ रहे इंसान को अचानक करोड़ों रुपये मिल जाते हैं। लूटकेस भी इस कड़ी को आगे बढ़ाती है। 
 
प्रिटिंग प्रेस में काम करने वाला नंदन कुमार (कुणाल खेमू) अपने बच्चे और पत्नी की फरमाइश पैसों के अभाव में पूरी नहीं कर पाता, लेकिन उसकी खुशी का जब ठिकाना नहीं होता जब रात को ऑफिस से लौटते समय उसके हाथ एक सूटकेस लगता है जिसमें 10 करोड़ रुपये हैं। 
 
इस बारे में वह किसी को नहीं बताता और खर्च करना शुरू कर देता है। इस सूटकेस में पैसों के अलावा एक फाइल भी है जिसमें एमएलए पाटिल (गजराज राव) और राजनतिज्ञ त्रिपाठी के बीच हुए गैरकानूनी लेनदेन का ब्यौरा है। 
 
इस सूटकेस के लापता होने से पाटिल परेशान हो जाता है और इंसपेक्टर कोल्टे (रणवीर शौरी) को ढूंढने की जवाबदारी सौंपता है। बाला राठौर (विजय राज) एक डॉन है और वो भी सूटकेस के पीछे है। 
 
सूटकेस तक पहुंचने की यह लुकाछिपी मजेदार है। कौन सूटकेस तक पहुंचता है? क्या नंदन इसे बचा पाता है या नहीं? ये फिल्म के अंत में दिखाया गया है। 
 
कपिल सावंत और राजेश कृष्णन द्वारा लिखी गई कहानी में कुछ नई बात नहीं है और इस तरह की फिल्में पहले भी आ चुकी हैं, लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले मनोरंजन से इतना भरपूर है कि कहानी में नई बात नहीं होने के बावजूद फिल्म अच्छी लगती है। स्क्रीनप्ले कुछ इस तरह लिखा गया है कि एक के बाद एक मनोरंजक सीन आते रहते हैं।  
 
फिल्म के किरदार बेहद मजेदार हैं। नंदन और उसकी पत्नी लता का पैसों को लेकर झगड़ा, उनका सीधा-सादा पड़ोसी, जानवरों के साइंटिफिक नाम लेने वाला राठौर, सही बात को गलत तरीके से बोलने वाला पाटिल, खूंखार इंसपेक्टर कोल्टे, ये सारे किरदार बेहद मजेदार हैं। इनके जरिये भरपूर मनोरंजन होता है। थ्रिल और कॉमेडी साथ-साथ चलते हैं। सूटकेस मिलने के बाद नंदन के जीवन में आए बदलाव को भी अच्छे तरीके से दिखाया गया है। 
 
फिल्म की कास्टिंग जोरदार है। छोटे-छोटे से रोल के लिए भी बिलकुल सही कलाकार चुना गया है। इन कलाकारों ने अपना-अपना रोल कुशलता से निभाया है। 
 
जहां तक कमियों का सवाल है तो कुछ जगह फिल्म के नाम पर ज्यादा ही छूट ली गई है। कई जगह लेखकों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से सीन लिख लिए हैं जो कि विश्वसनीय नहीं कहे जा सकते। गाने फिल्म देखते समय व्यवधान उत्पन्न करते हैं क्योंकि न तो ये हिट हैं और न ही इनका फिल्मांकन खास है। फिल्म का अंत और बेहतर हो सकता था। 
 
राजेश कृष्णन का निर्देशन अच्छा है। कॉमेडी और थ्रिल का उन्होंने अच्छा संतुलन बनाया है। एक चिर-परिचित कहानी को भी उन्होंने इस अंदाज से कहा गया है कि यह देखते समय अच्छी लगती है। फिल्म की गति को तेज रखा है ताकि दर्शकों को सोचने का मौका नहीं मिले। साथ ही कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है। 
 
कुणाल खेमू ने अपने किरदार को शानदार तरीके से जिया है। एक मिडिल क्लास आदमी के चेहरे के भाव, बॉडी लैंग्वेज को उन्होंने अच्‍छे से दर्शाया है। 
 
रसिका दुग्गल ने भी पत्नी के रूप में कुणाल का अच्छा साथ निभाया है और कुछ सीन में तो उनकी अदाकारी देखने लायक है। एक शतिर राजनेता के रूप में गजराज राव अपनी छाप छोड़ते हैं। रणवीर शौरी जमे हैं। विजय राज अपनी संवाद अदायगी के बल पर खूब हंसाते हैं। 
छोटे-छोटे रोल में भी सारे कलाकारों का काम उम्दा है। लूटकेस एक हल्की-फुल्की फिल्म है जो मनोरंजन के लिए देखी जा सकती है। 
 
बैनर : फॉक्स स्टार स्टूडियोज़, सोडा फिल्म्स 
निर्देशक : राजेश कृष्णन 
संगीत : अमर मंगरुलकर, रोहन-विनायक
कलाकार : कुणाल खेमू, रसिका दुग्गल, विजय राज, रणवीर शौरी, गजराज राव
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर उपलब्ध 
रेटिंग : 3/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सुशांत के अकाउंट से निकाले गए 50 करोड़ रुपये, फिर भी चुप है मुंबई पुलिस: बिहार डीजीपी