मीनल मुरली फिल्म समीक्षा: अमेरिकी लोग सुपरहीरो की फिल्में बहुत पसंद करते हैं। इस तरह की फिल्में आमतौर पर 10 से 15 वर्ष के दर्शक वर्ग के लिए बनाई जाती है, लेकिन ज्यादातर उम्रदराज लोगों को भी यह अच्छी लगती हैं। ये सुपरहीरो बेहद फिट, हैंडसम और फुर्तीले होते हैं। इनकी विशेष प्रकार की ड्रेस होती है और सुपर पॉवर से ये लैस होते हैं।
इसी तरह के सुपरहीरो नजर आते हैं मलयालम फिल्म 'मीनल मुरली' में जो हिंदी में नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है। इनके पास सुपर पॉवर तो है, लेकिन ये हम जैसे साधारण हैं। शिबू अधेड़ उम्र का है। बाल सफेद हो रहे हैं। दुबला-पतला है और दिखने में औसत सा है। जैसन जवान है, लेकिन ऐसे लड़के आसपास ही मिल जाते हैं।
एक रात दोनों पर बिजली गिर जाती है और कुछ शक्तियां हासिल हो जाती है। ताकत दोनों के पास है, लेकिन उसका अच्छा या बुरा इस्तेमाल करना व्यक्ति के विवेक पर निर्भर करता है। एक तबाही मचाता है और दूसरा जान बचाता है।
इन दोनों की अपनी कहानी है जो बेहद मजबूत है। दोनों किसी को प्यार करते हैं और इनकी प्रेम कहानी आकर्षित करती है। बुरा व्यक्ति फिल्म के अंतिम मिनटों में बुरा लगता है वरना वह एक सीधा-सादा संकोची किस्म का इंसान है। कहानी केरल के एक गांव में सेट है और यह गांव फिल्म में खूब निखर कर दिखाई दिया है। गांव का जीवन, वहां के लोगों की सोच और संघर्ष फिल्म की हर फ्रेम में दिखाई देता है।
अरुण अनिरुद्ध और जस्टिम मैथ्यू ने इसे मिल कर लिखा है। बासिल जोसेफ ने इसे निर्देशित किया है। लेखक और निर्देशक के काम में हड़बड़ी नजर नहीं आती। सीन दर सीन वे माहौल बनाते हुए कहानी को आगे बढ़ाते हैं। फिल्म की शुरुआत में जैसन और शीबू के संघर्ष को दिखाया गया है।
जैसन टेलर है और अमेरिका जाकर नाम और दाम कमाना चाहता है। हालांकि इसके लिए उसके पास कोई ठोस प्लान नहीं है। उसके हवाई सपनों को देख उसकी गर्लफ्रेंड भी उसका साथ छोड़ देती है। दूसरी शिबू एक टूटे-फूटे मकान में रहता है। बचपन से ही वह एक लड़की को चाहता है जो अब अधेड़ होकर किसी और से शादी कर मां भी बन चकी है।
शिबू और जैसन दोनों गरीब हैं और कदम-कदम पर संघर्ष है। गरीबी की मार उनकी सोच पर भी पड़ी है और सुपर पॉवर हासिल करने के बाद भी वे अमीर होने के बारे में नहीं सोचते बल्कि अपने छोटे-छोटे सपनों को ही पूरा करने में लगे रहते हैं।
उनके कैरेक्टर को अच्छी तरह से सैटल होने के बाद उनका अपने आप में शक्ति होने का अहसास जागने वाले कुछ सीन रखे गए हैं जो कि बहुत ही मजेदार हैं। सुपर पॉवर हासिल करने के बाद वे किस तरह से इसका उपयोग करते हैं और किस तरह से आगे बढ़ते हैं इसे दर्शाया गया है।
सुपर हीरो के जो कारनामे दिखाए गए हैं वो भी मनोरंजक हैं। कार से तेज भागना, खाई के मुहाने पर अटकी बच से सवारियों को बचाना, भ्रष्ट पुलिस ऑफिसर्स को मजा चखाना ऐसे कई सीन हैं जो हर उम्र के दर्शकों को अच्छे लगते हैं। फिल्म की खूबसूरती इस बात में है कि एक तरफ यह काल्पनिक है तो दूसरी तरफ रियल। इसको लेकर जो संतुलन बनाया गया है वही दर्शकों को फिल्म से जोड़े रखता है। सुपरहीरो होते हुए भी ये किरदार आम लगते हैं।
सुपर हीरो पर भी अच्छे तंज सुनने को मिलते हैं। जैसे जैसन का भतीजा पूछता है कि आपने स्पाइडरमैन, बैटमैन के नाम सुने है तो उसका जवाब नहीं होता है। इस पर भतीजा बोलता है कि अमेरिका इनके कारण ही अब तक बचा हुआ है।
बासिल जोसेफ का निर्देशन सधा हुआ है। उनका तकनीकी पक्ष मजबूत है और कहानी कहने की शैली भी उम्दा है। बात कहने में उन्होंने वक्त लिया है इसलिए कहीं-कहीं फिल्म अटकी हुई भी लगती है। उन्होंने अपने कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है और मनोरंजन का स्तर पूरी फिल्म में बनाए रखा है।
एक्टिंग डिपार्टमेंट फिल्म का मजबूत पाइंट है। टोविनो थॉमस ने जैसन के रूप में अपने किरदार को सही पकड़ा है। शिबू के रूप में गुरु सोमसुंदरम ने कमाल का काम किया है। उनके चेहरे पर इतनी जल्दी भाव बदलते हैं जिसके कारण इमोशनल सीन देखने लायक बन पड़े हैं। खासतौर पर फिल्म के अंतिम मिनटों में वे चौंका देते हैं। फेमिना जॉर्ज, वशिष्ठ उमेश
, अजू वर्गीस सहित सारी सपोर्टिंग कास्ट का काम तारीफ के लायक है।
सिनेमाटोग्राफर समीर ताहिर ने फिल्म को खूबसूरती के साथ शूट किया है। हर फ्रेम खूबसूरत लगती है। लाइट्स और कलर का बेहतरीन इस्तेमाल है। वीएफएक्स के काम में सफाई है।
कुल मिलाकर 'मीनल मुरली' में पसंद करने योग्य सुपरहीरो और खलनायक है।
निर्माता : सोफिया पॉल
निर्देशक : बासिल जोसेफ
कलाकार : टोविनो थॉमस, गुरु सोमसुंदरम, फेमिन जॉर्ज, वशिष्ठ उमेश
ओटीटी प्लेटफॉर्म : नेटफ्लिक्स
रेटिंग : 3.25/5