बाहुबली की सफलता से उन फिल्मकारों की हिम्मत बढ़ गई जो करोड़ों की लागत और दो-तीन पार्ट में फिल्म बनाने की सोचा करते थे। कल्कि कृष्णमूर्ति के उपन्यास पोन्नियिन सेल्वन पर फिल्म बनाने का सपना फिल्मकार मणिरत्नम लंबे समय से देख रहे थे, लेकिन बजट और तकनीक उनकी राह में रोड़ा थे। पिछले कुछ वर्ष में बड़े बजट और दो-तीन पार्ट में बनी फिल्मों की ऐतिहासिक कामयाबी के कारण ही वे पोन्नियिन सेल्वन नामक फिल्म लेकर आए हैं। यह फिल्म दो भागों में हैं जिसका पहला भाग रिलीज हुआ है।
कहानी सैकड़ों साल पुरानी है जब चोल साम्राज्य का वैभव था और सिंहासन के लिए लड़ाई थी। फिल्म की कहानी आपको महाभारत और फिल्म बाहुबली की याद दिलाएगी, लेकिन राजनीति की शतरंज यहां भी जोरदार है। मणिरत्म का ट्रीटमेंट फिल्म को देखने लायक बनाता है।
पोन्नियिन सेल्वन देखने का यदि आप मन बना रहे हैं तो आपको यह फिल्म पहली फ्रेम से ही देखना चाहिए और दिमाग का भी इस्तेमाल करना होगा। जगह और किरदारों के नाम जटिल हैं जिन्हें याद रखना होंगे। साथ ही इस फिल्म में ज्यादातर कलाकार ऐसे हैं जिनसे हिंदी भाषी दर्शक परिचित नहीं हैं और उन्हें भी याद रखने में कठिनाई होती है। लेकिन शुरू से यह कोशिश आप आरंभ कर देंगे तो काम आसान हो जाएगा और फिल्म का आप लुत्फ ले सकेंगे।
कहानी सिंहासन के इर्दगिर्द घूमती है। राजा सुंदर चोला (प्रकाश राज) के दो बेटे आदित्य (छिया विक्रम) और अरुणमोजी (जयम रवि) हैं। सेनापति पर्वतेश्वर (आर सरत कुमार) राजा और उसके दोनों बेटों को रास्ते से हटाने का षड्यंत्र बनाता है। सुंदर को पर्वतेश्वर की योजना पता चलती है तो वह अपने दोनों बेटों को तंजौर आने के लिए कहता है। आदित्य के कुछ कारण हैं जिसकी वजह से वह तंजौर नहीं आना चाहता। अरुणमोजी तंजौर आना चाहता है, लेकिन उस पर हमला हो जाता है।
इस मूल कहानी में कई किरदार और उनकी कहानियां हैं जो साथ-साथ चलती रहती है। जैसे बहादुर और साहसी योद्धा वानतीयथेवन (कार्ती) की कहानी जो एक राज्य से दूसरे राज्य भटकता रहता है और पहले भाग में सबसे ज्यादा फुटेज इस किरदार को ही मिला है। दरअसल यह किरदार सारी कड़ियों को जोड़ने के लिए रखा गया है।
पोन्नियिन सेल्वन एक बहुत लंबा उपन्यास है, जिसे फिल्म में समेटना आसान नहीं है, भले ही फिल्म दो भागों में बनाई गई हो। मणिरत्नम और उनकी टीम ने मुख्य घटनाओं को ही दर्शाया है। फिर भी फिल्म इतनी घटना प्रधान है कि दर्शकों के लिए फिल्म की गति के साथ चलना आसान नहीं है।
फिल्म लगातार नए किरदार आते रहते हैं। नई जगह दिखाई जाती है। इसलिए दर्शकों को लगातार अपडेट होते रहना पड़ता है। साथ ही यह भी याद रखना पड़ता है कि किस किरदार का किससे क्या संबंध है। फिल्म के लेखकों के लिए भी यह चुनौती थी कि वे फिल्म को आसान रखे। उनसे जितना बन पड़ा उन्होंने किया ताकि दर्शक ज्यादा कन्फ्यूज न हो। एक बार आपने किरदारों को पकड़ लिया तो फिल्म देखने में आसानी रहती है।
चोल साम्राज्य का दौर, शह-मात का खेल, राज परिवार में होने वाले षड्यंत्र, विश्वास-अविश्वास की लहर लगातार बहती रहती है। ड्रामा देखते समय कई सवाल भी दिमाग में कौंधते हैं, जिनमें से कई के जवाब दूसरे भाग में मिलेंगे जो 2023 में रिलीज होगा।
कहानी के साथ-साथ मणिरत्नम का प्रस्तुतिकरण दर्शकों को जकड़े रखता है। मणिरत्नम की तकनीकी डिपार्टमेंट पर पकड़ मजबूत है। हर डिपार्टमेंट में उनकी उपस्थिति नजर आती है। गीत तथा नृत्य का इस्तेमाल कहानी को आगे बढ़ाने में किया है। ड्रामे को उन्होंने हल्का-फुल्का रखा है और कुछ किरदार मजेदार भी हैं। नृत्य और शस्त्र कला का प्रदर्शन भी फिल्म को निखारता है। हर फ्रेम में उनकी क्रिएटिविटी भी दिखाई देती है।
फिल्म की लोकेशन्स और सेट शानदार है। आंखों को सुकून देते हैं। रवि वर्मन की सिनेमाटोग्राफी अद्भुत है। आउटडोर शूटिंग मणिरत्नम अल सुबह या शाम में करते हैं और यह बात इस फिल्म में भी नजर आती है। जंगल, पहाड़, नदी, समुंदर फिल्म में किरदार की तरह दिखाई देते हैं। एक्शन और स्टंट सीन अच्छे से फिल्माए गए हैं। श्रीकर प्रसाद की एडिटिंग शॉर्प है। डबिंग उम्दा है। गीत के बोल अनुवाद में कम मजा देते हैं। एआर रहमान का बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है।
खिलंदड़ के रोल में कार्ति ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है और उनका किरदार बहुत अच्छे से लिखा गया है। सुंदर स्त्रियों के साथ उनकी बातचीत मनोरंजक है। छिया विक्रम को ज्यादा फुटेज नहीं मिले हैं। संभव है कि दूसरे भाग में उनका रोल बड़ा हो। यही हाल जयम रवि का है। ऐश्वर्या राय बेहद खूबसूरत लगी हैं और राजसी हावभाव उनके अभिनय में नजर आता है। त्रिशा, शोभिता धुलीपाला, आर सरत कुमार, प्रकाश राज अपना प्रभाव छोड़ते हैं।
पोन्नियिन सेल्वन 1 'मणिरत्नम टच' के कारण देखने लायक है।
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बैनर : लाइका प्रोडक्शन्स, मद्रास टॉकीज
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निर्देशक : मणिरत्नम
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संगीत : एआर रहमान
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कलाकार : छिया विक्रम, ऐश्वर्या राय बच्चन, कार्ति, जयम रवि, त्रिशा
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तमिल फिल्म हिंदी में डब
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सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटा 47 मिनट 6 सेकंड
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रेटिंग : 3.5/5