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कैसे मनाया जाता है बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव, जानिए 16 खास बातें

हमें फॉलो करें कैसे मनाया जाता है बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव, जानिए 16 खास बातें
माना जाता है कि हिन्दू कैलेंडर अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान भी प्राप्त हुआ था। बुद्ध जयंती को हिन्दू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के अनुयायी मनाते हैं। भारत और विश्व में ऐसे कई संयुक्त मंदिर है जो भगवान बुद्ध और विष्णु को समर्पित हैं। विश्‍वभर में बुद्ध पूर्णिमा मनाने के अलग अलग तरीके हैं। आओ जानते हैं उत्सव की सामान्य परंपरा।
 
 
1. इस पूर्णिमा के दिन घर घर में खीर बनाई जाती है और भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त के बाद खीर पीकर ही अपना व्रत खोला था।
 
2. इन दिन बौद्ध मंदिरों के बहुत ही अच्छे से सजाया जाता है और वहां पर बौद्ध प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता है। 
 
3. सूर्योदय होने से पहले पूजा स्थल पर इकट्ठा होकर प्रार्थना और नृत्य किया जाता है। कुछ जगह पर परेड और शारीरिक व्यायाम करके भी बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है।
 
4. बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद मंदिर और धार्मिक स्थलों पर बौद्ध झंडा फहराया जाता है। यह झंडा नीले, लाल, सफ़ेद, पीले और नारंगी रंग का होता है। लाल रंग आशीर्वाद, सफेद रंग धर्म की शुद्धता का, नारंगी रंग को बुद्धिमत्ता का, और पीले रंग को कठिन स्थितियों से बचने का प्रतीक माना जाता है।
 
5. बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर दान देने का भी विशेष महत्व है। कई बौद्ध मंदिर इस उत्सव का आयोजन लोगों को मुफ्त सुविधा प्रदान करके मनाते हैं।
 
6. बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुछ लोग पिंजरे में कैद पक्षियों और अन्य जानवरों को आजाद करके भी मनाते हैं।
 
7. श्रीलंकाई इस दिन को 'वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है।
 
8. इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है।
 
9. दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं।
 
10. बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है।
 
11. मंदिरों व घरों में अगरबत्ती लगाई जाती है। मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीपक जलाकर पूजा की जाती है।
 
12. गया के बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं।
 
13. इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे।
 
14. इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। अत: लोग अपने अपने तरीके से कोई भी एक पुण्य कार्य करते हैं।
 
15. गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं। 
 
16. दिल्ली संग्रहालय इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर निकालता है जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहां आकर प्रार्थना कर सकें।

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