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रिवर्स गियर में वाहन उद्योग, बजट से उम्मीद

हमें फॉलो करें रिवर्स गियर में वाहन उद्योग, बजट से उम्मीद
, बुधवार, 11 जनवरी 2017 (17:05 IST)
नई दिल्ली। नोटबंदी की मार ने गत दिसंबर महीने में वाहन उद्योग की कमर बुरी तरह तोड़ दी और घरेलू बाजार में वाहनों की बिक्री में सदी की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। 
वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में सभी श्रेणी के सभी वाहनों की कुल बिक्री 18.66 प्रतिशत घटकर 12,21,929 इकाई रह गई। दिसंबर 2015 में यह आंकड़ा 15,02,314 इकाई था। यह दिसंबर 2000 के बाद की सबसे तेज गिरावट है।
नोटबंदी के कारण पिछले साल नवंबर में भी वाहनों की बिक्री 5.48 प्रतिशत गिरी थी।
 
सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने आँकड़े जारी करते हुए कहा कि ऑटो उद्योग पर (नोटबंदी की) बुरी मार पड़ी है। यदि बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने, उपभोग तथा लोगों की व्यय योग्य आय बढ़ाने के उपाय नहीं किए गए तो हम चालू वित्त वर्ष के अपने बिक्री के पूर्वानुमान को हासिल नहीं कर पाएंगे। 
 
गत दिसंबर में सभी श्रेणियों में गिरावट देखी गई। यात्री कारों की बिक्री 8.14 प्रतिशत घटी जो अप्रैल 2014 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। यह दिसंबर 2015 के 1,72,671 से घटकर 1,58,817 इकाई रह गई। कारों, उपयोगी वाहनों तथा वैनों समेत यात्री वाहनों की कुल बिक्री में 1.36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई जो अक्टूबर 2014 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। इसमें उपयोगी वाहनों की बिक्री में हालांकि 29.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 58,309 इकाई रही। 
 
दुपहिया वाहनों की बिक्री में अब तक की रिकॉर्ड गिरावट देखी गई। यह 22.04 प्रतिशत घटकर 9,10,235 इकाई रह गई। सियाम ने वित्त वर्ष 1997-98 से वाहनों की बिक्री के आंकड़े रखने शुरू किए हैं और तब से इतनी बड़ी गिरावट पहले कभी नहीं देखी गई। स्कूटरों की बिक्री में मार्च 2001 के बाद की सबसे बड़ी 26.38 प्रतिशत की गिरावट रही और यह घटकर 2,84,384 इकाई पर आ गई। मोटर साइकिलों की बिक्री भी 22.50 प्रतिशत घटकर 5,61,690 इकाई रह गई जो दिसंबर 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। 
 
माथुर ने बताया कि कंपनियों के पास और डीलरशिप में काफी ज्यादा इनवेंटरी तैयार हो गई है। कारों और यात्री वाहनों की एक महीने की इनवेंटरी तैयार हो गई है। वाणिज्यिक वाहनों की इनवेंटरी कुछ कम है, लेकिन यदि जल्दी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
 
उन्होंने कहा कि बढ़ती इनवेंटरी के मद्देनजर कंपनियों ने दिसंबर में उत्पादन में भी कटौती की। सिर्फ यात्री वाहनों का उत्पादन 2.13 प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन वह भी उपयोगी वाहनों के कारण। वाणिज्यिक वाहनों का उत्पादन 19.33 प्रतिशत, तिपहिया वाहनों का 43.28 प्रतिशत तथा दुपहिया वाहनों का 25.18 प्रतिशत कम हुआ है। इस प्रकार सभी श्रेणी के वाहनों को मिलाकर कुल उत्पादन 21.76 प्रतिशत घटकर 12,37,347 इकाई रह गया है। उन्होंने कहा कि अब कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाले तीन महीने में इस इनवेंटरी को बेचने की होगी। 
 
माथुर ने कहा कि वह आने वाले बजट में सरकार से लोगों पर आयकर का बोझ कम करने की उम्मीद करते हैं ताकि लोगों की खर्च करने योग्य आमदनी बढ़े जिससे वाहन उद्योग के साथ पूरी अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी। उन्होंने रिजर्व बैंक से बैंकों ऋण की ब्याज दर कम करने के उपाय करने की भी उम्मीद जताई। साथ ही कहा कि सरकार को वाहन उद्योग के लिए प्रोत्साहन पैकेज लेकर आना चाहिए।
 
उन्होंने उम्मीद जताई कि नवंबर और दिसंबर में कमजोर रही ग्राहक धारणा अस्थायी है यदि बजट में इसमें सुधार के उपाय किए जाते हैं तो आने वाले समय में बिक्री बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कमजोर ग्राहक धारणा के कारण लोग अभी खरीददारी टाल रहे हैं, लेकिन मांग कम नहीं हुई है। यदि स्थिति सुधरती है तो हो सकता है एकाएक बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जाए। उन्होंने बताया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में खुदरा बिक्री में कुछ सुधार के संकेत दिखे हैं। (एजेंसी) 

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