मध्य प्रदेश बोर्ड के 10वीं और 12वीं का परिणाम (MP Board Result 2023) जल्द ही घोषित होने वाले हैं। रिजल्ट के समय स्ट्रेस और नर्वस होना एक आम ह्यूमन बिहैवियर है। कई स्टूडेंट रिजल्ट आने के समय काफी नर्वस हो जाते हैं। नर्वस होने के कारण स्टूडेंट में एंग्जायटी और स्ट्रेस भी काफी बढ़ जाता है। अपने बच्चों को स्ट्रेस में देखकर पेरेंट्स भी टेंशन में आ जाते हैं। रिजल्ट आने से पहले आप इन कुछ ज़रूरी टिप्स के ज़रिए अपने बच्चे की मेंटल हेल्थ को मेंटेन रख सकते हैं। साथ ही आप अपने बच्चे को अत्यधिक स्ट्रेस से भी बचा सकते हैं। चलिए जानते हैं कि कैसे करें बच्चों का स्ट्रेस मैनेज.........
रिजल्ट के समय कैसे करें बच्चों का स्ट्रेस मैनेज
1. बच्चों से उनके स्ट्रेस के बारे में बात करें : रिजल्ट के समय स्टूडेंट के दिमाग में कई सवाल होते हैं। अधिकतर स्टूडेंट इन सवालों के बारे में सिर्फ अपने दोस्तों से ही बात करते हैं। रिजल्ट के समय आप अपने बच्चे से उसके डाउट और स्ट्रेस का कारण पूछें। बच्चों को कम मार्क्स आने के लिए डांटे न और उसकी समस्या सुने। उसे प्रेरित करें कि सिर्फ बोर्ड का रिजल्ट आपका भविष्य निर्धारित नहीं करता है।
2. बच्चों को ट्रीट दें : रिजल्ट के समय बच्चे काफी ज़्यादा परेशान होते हैं। साथ ही एग्जाम में कम मार्क्स आने के कारण हताश भी हो जाते हैं। ऐसे में बच्चों का मनोवल बढ़ाने के लिए उन्हें ट्रीट दें। आप बच्चे की फेवरेट डिश बना सकते हैं। चॉकलेट ट्रीट देने से बच्चे के दिमाग का डोपामाइन बढ़ेगा जिससे स्ट्रेस रिलीफ होगा।
3. रिजल्ट आने के बाद बच्चों को डाटें न : अगर बच्चा आपकी उमीदों के अनुसार स्कोर नहीं कर पाया है तो आप हताश न हो। कम मार्क्स देखकर बच्चे भी हताश होते हैं। आप उन्हें डाटें न और उनका मनोवल बढ़ाएं। डाटने से बच्चे का स्ट्रेस और अधिक बढ़ सकता है और वो अपना आत्म-विश्वास खो सकते हैं।
4. गाइड करें : रिजल्ट आने के बाद बच्चों को सही स्ट्रीम या 12वीं के बाद सही फील्ड का गाइडेंस दें। बच्चे से उसकी मर्ज़ी पूछें और उसके फ्यूचर प्लान को समझने की कोशिश करें। अगर बच्चा 10वीं में हैं तो आप उसे 11वीं क्लास की स्ट्रीम का गाइडेंस दें। साथ ही अगर बच्चा 12वीं में है तो उससे उसकी करियर चॉइस के बारे में पूछें।
5. स्ट्रेस के साइन को समझें : फिजिकल हेल्थ के साइन को समझना काफी आसान है पर मेंटल हेल्थ आपके लिए समझना थोड़ा मुश्किल होता है। रिजल्ट के समय बच्चे में अत्यधिक स्ट्रेस, कम नींद, भूक न लगना, चीड़ चिड़ापन होना, मूड ख़राब होना, किसी एक्टिविटी में मन न लगना, अपने फ्यूचर के लिए नेगेटिव फील करने जैसे साइन आपको देखने को मिल सकते हैं।