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Chhath puja date 2025: छठ पूजा: सूर्य और छठी मैया की आराधना के 4 दिन

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025 (13:38 IST)
Chhath puja date 2025: छठ पूजा का व्रत संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि इस महापर्व पर छठी मैया नि:संतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और सप्तमी तिथि को समाप्त होता है। इस दौरान सूर्यदेव और छठी मैया की विशेष पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। इस बार छठ पूजा का पर्व 25 अक्टूबर 2025 को प्रारंभ होकर 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। 25 अक्टूबर को नयाय खाय, 26 को खरना, 27 को संध्या अर्घ्य और 28 को उषा अर्घ्य और पारण होगा।
 
छठ पूजा के 4 दिनों में क्या-क्या होता है:
 
1. पहला दिन: नहाय खाय (चतुर्थी तिथि)
क्या करते हैं: यह छठ पर्व का पहला दिन होता है, जिसका अर्थ है 'स्नान करके भोजन करना'।
परंपरा: इस दिन घर की साफ-सफाई की जाती है और व्रत करने वाली महिलाएं (व्रती) पवित्र स्नान करती हैं।
शुद्धिकरण: इस दिन से शरीर और घर को भीतर व बाहर से शुद्ध किया जाता है, और किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांसाहार) नहीं किया जाता है। सभी शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं।
 
2. दूसरा दिन: खरना (पंचमी तिथि)
क्या करते हैं: खरना का अर्थ है दिन भर का उपवास और शाम को विशेष प्रसाद ग्रहण करना।
परंपरा: व्रती पूरे दिन निर्जल (बिना पानी) उपवास रखती हैं।
प्रसाद: शाम के समय, गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन किया जाता है।
वितरण: इस प्रसाद को घर के अन्य सदस्यों को भी दिया जाता है।
 
3. तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (षष्ठी तिथि)
क्या करते हैं: छठ पूजा का यह मुख्य दिन होता है, जब डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
पूजा की तैयारी: शाम को बांस की टोकरी या सूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू (कसार) और विभिन्न प्रकार के फल सजाए जाते हैं।
संध्या अर्घ्य: व्रती घाट पर पहुँचकर खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य में सूर्य को जल और दूध चढ़ाया जाता है।
आराधना: इसी दौरान प्रसाद से भरे सूप से छठी मैया की पूजा भी की जाती है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: रात में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।
 
4. चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पारण (सप्तमी तिथि)
क्या करते हैं: यह छठ पर्व का अंतिम दिन होता है, जब उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और व्रत का समापन होता है।
उषा अर्घ्य: व्रती सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुँचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
पारण/परना: पूजा समाप्त होने के बाद, व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद (ठेकुआ आदि) खाकर व्रत को पूरा करती हैं। इस क्रिया को पारण या परना कहते हैं।
समापन: यह छठ महापर्व का औपचारिक समापन दिन होता है।

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