Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(गुड फ्रायडे)
  • तिथि- चैत्र कृष्ण चतुर्थी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-सर्वार्थसिद्धि योग, गुड फ्रायडे
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

17 अप्रैल को ईस्टर संडे है, जानिए 10 काम की बातें

हमें फॉलो करें 17 अप्रैल को ईस्टर संडे है, जानिए 10 काम की बातें
Easter Sunday 2022
 
वर्ष 2022 में 17 अप्रैल को ईस्टर संडे (Easter Sunday)आ रहा है। दुनियाभर में ईसाई समुदाय के लोग प्रभु यीशु के जी उठने की याद में ईस्टर संडे मनाते हैं। अत: ईस्टर खुशी का दिन होता है। यह दिन भाईचारा, स्नेह, क्षमा और प्यार का प्रतीक माना जाता है। 
 
आइए जानें ईस्टर संडे यानी रविवार की 10 खास बातें...
   
1. ईसाई धर्म में गुड फ्रायडे से तीसरा दिन रविवार अधिक महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन प्रभु यीशु पुन: जीवित हो गए थे।
 
2. ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार ईस्टर शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है।
 
3. शुरुआती समय में ईसाई धर्म को मानने वाले अधिकांश यहूदी थे। जिन्होंने प्रभु यीशु के जी उठने को ईस्टर घोषित कर दिया। 
 
4. ईस्टर पर्व नव जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस पवित्र रविवार को खजूर इतवार भी कहा जाता है। इसे सनराइज सर्विस कहते हैं।
 
5. धर्म विशेषज्ञों के अनुसार पुराने समय में किश्चियन चर्च ईस्टर रविवार को ही पवित्र दिन के रूप में मानते थे, किंतु चौथी सदी से गुड फ्रायडे सहित ईस्टर के पूर्व आने वाले प्रत्येक दिन को पवित्र घोषित किया गया।
 
6. ईस्टर रविवार के पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण तथा अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती है।

 
7. असंख्य मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपने विश्वास प्रकट करते हैं। यही कारण है कि ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बांटना एक प्रचलित परंपरा है। 
 
8. ईस्टर की आराधना उषाकाल में महिलाओं द्वारा की जाती है क्योंकि इसी वक्त यीशु का पुनरुत्थान हुआ था और उन्हें सबसे पहले मरियम मगदलीनी नामक महिला ने देख अन्य महिलाओं को इस बारे में बताया था।

 
9. ईसाई धर्म के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि पुन: जीवित होने के बाद चालीस दिन तक प्रभु यीशु शिष्यों और मित्रों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गए। 
 
10. ईस्टर के दिन उषाकाल में होने वाली प्रार्थना के बाद दोपहर 12 बजे से पूर्व में भी आराधना होती है। इसमें पुनरुत्थान प्रवचन व प्रार्थना होती है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Pradosh Vrat : प्रदोष व्रत की 10 पौराणिक बातें आपको पता होना चाहिए...