ईसा मसीह के जन्मदिन 25 दिसंबर को क्रिसमय के दौरान जिंगल बेल का आपने गाना सुना ही होगा। जिस तरह क्रिसमस पर्व से सांता क्लॉज की कहानी को जोड़ा गया था उसी तरह इस गीत के भी क्रिसमस पर्व से जुड़ने की रोचक कहानी है। जिंगल बेल का सॉन्ग क्रिसमस के त्योहार में चार चांद लगा देता है। सैंटा क्लॉज, क्रिसमस ट्री और जिंगल बेल के बगैर क्रिसमस पर्व अधूरा है। क्या आप जानते हैं कि किस तरह यह गाना क्रिसमस से जुड़ा?
1. पहले नहीं था यह क्रिसमय गीत : जिंगल बेल एक बहुत ही प्यारा-सा गाना है। ऐसी मान्यता है कि पहले यह क्रिसमस सॉग्न नहीं हुआ करता था। कालांतर में इसकी लोकप्रियता के चलते इसे क्रिसमस गीत बना दिया गया।
2. थैंक्सगिविंग सॉग्न : यह थैंक्सगिविंग सॉग्न है जिसे 1850 में जेम्स पियरपॉन्ट ने 'वन हॉर्स ओपन स्लेई' शीर्षक से लिखा था। पियरपॉन्ट जार्जिया के सवाना में म्यूजिक डायरेक्टर थे।
3. जेम्स पियरपॉन्ट ने लिखा था यह गाना : जेम्स पियरपॉन्ट ने यह गीत ऑर्डवे के संगीत ग्रुप के लिए लिखा गया था और सन 1857 में इसे पहली बार आम दर्शकों के सामने गाया गया था।
4. क्रिसमय का हिट गीत बन गया : पियरपॉन्ट की मौत से 3 साल पहले यानी 1890 तक यह क्रिसमस का हिट गीत बन गया था। अब यह गीत क्रिसमस से इतना जुड़ गया है कि इसके बगैर तो क्रिसमस को अधूरा ही माना जाएगा।
5. वन हॉर्स ओपन स्लेई का नाम बदला किया जिंगलबेल : 'वन हॉर्स ओपन स्लेई' के क्रिसमय सॉन्ग बन जाने के बाद रिलीज के दो साल बाद इसका शीर्षक बदलकर 'जिंगल बेल्स' कर दिया गया।
6. गीत में नहीं है क्रिसमय का उल्लेख : इस क्रिसमय गीत में कभी भी क्रिसमस का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन संयोगवश यह गाना क्रिसमस गाने के रूप में मशहूर हो गया। हालांकि अब तो जिंगल बेल के ऐसे भी गीत सुनने को मिलते हैं जिसमें क्रिसमस का उल्लेख भी किया गया है।
7. सांता की घंटी और जिंगल बेल : सैंटा क्लॉज और जिंगल बेल के बगैर अब क्रिसमस पर्व की कल्पना नहीं की जा सकती। ऐसी मान्यता है कि अब तो सैंटा क्लॉज के हाथों में भी उपहार के साथ एक बेल (घंटी) नजर आती है। अब इस गाने को सैंटा क्लॉज से भी जोड़ दिया गया है।
8. जिंगल बेल के कई वर्जन : जिंगल बेल की ही थीम पर कई और भी गाने बने और इस पर कई पैरोडियां भी बन गई हैं। भारत में इस क्रिसमस गीत के अब मराठी, भोजपुरी आदि कई भाषाओं में इसके कई लोकल वर्जन भी सुनने को मिलते हैं। बॉलीवुड गानों में भी इसका खूब इस्तेमाल किया गया है।
9. विश्वयापी है यह गीत : आजकल हर चर्च, गली मोहल्ले या शॉपिंग मॉल में आपको क्रिसमस पर जिंगल बेल जिंगल बेल सांग सुनाई देगा। उपभोक्तावाद या बाजारवाद के चलते अब क्रिसमस का यह त्योहार पहले की अपेक्षा और व्यापक एवं मजेदार हो चला है जिसके चलते गैर-ईसाई भी इस त्योहार में शामिल होने लगे हैं।