बर्मिंघम: मौजूदा विश्व चैम्पियन मुक्केबाज निकहत जरीन, अमित पंघाल और नीतू गंघास ने शनिवार को यहां राष्ट्रमंडल खेलों की अपनी स्पर्धाओं के फाइनल में पहुंचकर भारत के लिये रजत पदक पक्के कर लिये जबकि जैसमीन ने लाइटवेट सेमीफाइनल में हारकर कांस्य पदक जीता।
जैसमीन लाइटवेट (57-60 किग्रा) स्पर्धा के सेमीफाइनल में इंग्लैंड की जेमा पेज रिचर्डसन से 2-3 से हार गयी जिससे उन्होंने कांस्य पदक से संतोष किया।
निकहत ने लाइट फ्लाईवेट (48-50 किग्रा) के एकतरफा सेमीफाइनल में इंग्लैंड स्टबले अलफिया सवानाह को 5-0 के सर्वसम्मत फैसले से पराजित किया। 26 साल की इस मुक्केबाज ने अपना दबदबा जारी रखते हुए तीनों दौर में सर्वाधिक अंक जुटाये। वह फाइनल में उत्तरी आयरलैंड की कार्ले मैकनाॉल के सामने हाोंगी।
अमित पंघाल ने पुरूषों की फ्लाईवेट (48-51 किग्रा) स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन के बूते राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार फाइनल में प्रवेश किया। पिछली बार उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था जिससे इस बार वह पदक का रंग बदलना चाहेंगे।
उन्होंने सेमीफाइनल में जिम्बाब्वे के पैट्रिक चिनयेम्बा को सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से पराजित किया। सात अगस्त को फाइनल में उनका सामना इंग्लैंड के मैकडोनल्ड कियारान से होगा।
पंघाल ने पीटीआई से कहा, मैं जानता हूं कि अगला मुकाबला मुश्किल होगा क्योंकि मेजबान मुक्केबाज के लिये ज्यादा उत्साहवर्धन होगा लेकिन मैं ध्यान लगाये हूं। इस बार हाथ से नहीं जाने दे सकता।
सबसे पहले रिंग में उतरी नीतू (45-48 किग्रा) अपने पहले ही राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक मुकाबले में पहुंच गयी जिसमें वह इंग्लैंड के रेश्जटान डेमी जेड के सामने होंगी।
उन्होंने मिनिममवेट वर्ग के सेमीफाइनल में कनाडा की प्रियंका ढिल्लों को आरएससी (रैफरी द्वरा मुकाबला रोकना) से पराजित कर अपना रजत पदक पक्का किया।
पदार्पण कर रही 21 साल की नीतू के चेहरे पर आत्मविश्वास साफ झलक रहा था, वह ओपन गार्ड खेल रही थी ताकि प्रतिद्वंद्वी को मुक्के मारने के लिये उकसा सकें और वह अपने सीधे मुक्केबाजें का बखूबी इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने लगातार एक-दो मुक्कों से दबदबा बनाया जिससे रैफरी को मुकाबला रोकने के लिये बाध्य होना पड़ा।
वहीं 26 साल के पंघाल पर उनके आक्रामक प्रतिद्वंद्वी ने शुरू में ही मुक्कों की बरसात कर दी जिससे विश्व चैम्पियनशिप का रजत पदक मुक्केबाज शुरूआती राउंड में 2-3 से पिछड़ गया था।
लेकिन तोक्यो ओलंपिक के निराशाजनक प्रदर्शन को पीछे छोड़ने की कोशिश में जुटे पंघाल ने अपने अनुभव का फायदा उठाकर अपनी मर्जी के मुताबिक हुक्स और जैब्स लगाने के बाद प्रतिद्वंद्वी को हावी होने का मौका नहीं दिया और जजों ने भारतीय मुक्केबाज के पक्ष में फैसला दिया। (भाषा)