आगरा में एक अस्पताल को आक्सीजन संकट के दौरान मॉकड्रिल करना महंगा पड़ गया। भगवान टॉकीज स्थित पारस अस्पताल प्रबंधन ने 26 अप्रैल 2021 को सुबह सात बजे एक कथित मॉक ड्रिल की। इस दौरान कोरोना का कहर अपने चरम पर था और पारस अस्पताल ने ऑक्सीजन बंद करने की मॉकड्रिल की। अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे। मॉक ड्रिल के बाद 22 मरीज अस्पताल से छंट गए।
सोशल मीडिया पर अस्पताल में 22 मरीजों की मौत से हर कोई सकते में है, हालांकि अधिकारिक तौर अस्पताल में तीन मौत दर्ज है।
सोशल मीडिया पर चार वीडियो वायरल हो रहे है, इन वीडियो के वायरल होने के बाद आगर से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया है। वायरल वीडियो में पारस अस्पताल के संचालक डॉ. अरिन्जय जैन अपने स्टाफ को बता रहे है कि उन्होंने आक्सीजन संकट के समय कैसे काम किया।
डॉ. अरिन्जय के मुताबिक इस मॉकड्रिल में मरीजों की आक्सीजन बंद कर दी गई जिसके चलते 22 मरीजों छटपटाने लगे और नीले पड़ गये और पांच मिनट में छंट गए, जबकि शेष 74 मरीजों के तीमारदारों से ऑक्सीजन सिलिंडर मंगाए गए।
इस संबंध में आगरा प्रशासन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच बैठा दी है, जिसे दो दिन में अपनी रिपोर्ट देनी होगी। पूरे देश में अप्रैल माह मे कोरोना चरम पर था, इसी दौरन पारस अस्पताल में सबसे अधिक मौत भी हुई है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने मॉक ड्रिल वाले दिन सिर्फ तीन मौतें होना स्वीकार किया है।
पारस हॉस्पिटल के संचालक अरिंजय जैन ने पहले मरीजों का बिल बनाया उसके बाद आक्सीजन किल्लत बताते हुए मरीजों के तीमारदारों से ऑक्सीजन व्यवस्था खुद करने का लेटर जारी कर दिया गया था, और फिर ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी गई।
इतना ही नहीं डॉ. अरिंजय जैन ने स्टाफ को बताया कि खुद मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं कर सकते हैं, हमने मोदीनगर से कमीशन देकर ऑक्सीजन की व्यवस्था की है।
कोविड 19 संक्रमण की पहली लहर के दौरान भी पारस हॉस्पिटल चर्चाओं में रहा था। इसी अस्पताल से प्रदेश के अन्य 10 जिलों में कोरोना फैल गया था। महामारी अधिनियम के तहत पहला मुकदमा अस्पताल पर दर्ज हुआ था।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियो के संदर्भ में अस्पताल संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने बताया है कि यह अप्रैल का वीडियो है। मैं अपने स्टाफ को आक्सीजन किल्लत के समय किये गये प्रयोग के विषय में बता रहा था, उनको समझा रहा था कि कोरोना संकट में आक्सीजन की कमी से कैसे मुकाबला किया।
मॉक ड्रिल से मतलब मरीजों के ऑक्सीजन फ्लो को नापना था। हालांकि 22 छंट गए... के सवाल पर उन्होंने बताया कि कोविड हाईरिस्क पेशेंट की पहचान करना से था, ताकि उनको सुचारू रूप से आक्सीजन उपलब्ध कराया जा सकें। उन्होंने कहा कि हमें सभी जगह और प्रशासन से आक्सीजन के लिए पूरा सहयोग मिला है।
वही पारस अस्पताल के संचालक ने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग आगरा डीएम और स्वास्थ्य विभाग से की है। उनके मुताबिक ये अस्पताल को बदनाम करने की साजिश है।
पारस अस्पताल वीडियो का मजमून इस प्रकार है... अस्पताल संचालक के पास कुछ लोग बैठे हैं। तभी वह किसी का नाम लेकर कहता है- "बोले बॉस कि आप समझाओ, डिस्चार्ज करना शुरू करो। ऑक्सीजन कहीं नहीं है। मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन नहीं मंगा सकता। मोदीनगर ड्राइ हो गया है। मेरे तो हाथ-पांव फूल गए। कुछ लोगों (मरीजों के तीमारदारों को) को व्यक्तिगत समझाना शुरू किया। कहा, समझो बात को। कुछ पेंडुलम बने थे कि कहीं नहीं जाएंगे... नहीं जाएंगे। कोई नहीं जा रहा है। फिर हमनें कहा कि उनको छांटो जिनकी ऑक्सीजन बंद हो सकती है। एक ट्राई मार दो। पता चला जाएगा कि कौन मरेगा कौन नहीं।
मॉक ड्रिल सुबह 7 बजे की। सुन्न कर दिए 22 मरीज। छंट गए 22 मरीज। नीले पड़ने लगे। छटपटाने लगे थे। तुरंत खोल दिए। तभी दूसरे शख्स की आवाज आई। उसने पूछा- कितने देर की मॉक ड्रिल थी। डॉक्टर ने कहा, 5 मिनट में 22 मर गए। इसके बाद तीमारदारों से कहा कि अपना अपना सिलेंडर लेकर आओ। यह सबसे बड़ा प्रयोग रहा।
अब देखना होगा की प्रशासन की जांच का ऊंट किस करवट बैठता है। अस्पताल पर कार्रवाई होती है या क्लीन चिट मिलती है।