नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि 16 मार्च तक कोविड टीकाकरण किए जाने के बाद 89 लोगों की मौत हो गई, लेकिन अभी तक वर्तमान साक्ष्य के अनुसार इस टीके को किसी भी मृत्यु के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि टीके के प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) की निगरानी एक सुव्यवस्थित और मजबूत निगरानी प्रणाली के जरिए की जाती है।
चौबे ने कहा कि 16 मार्च 2021 तक की स्थिति के अनुसार, कोविड-19 टीकाकरण के बाद कुल 89 लोगों की मौत की सूचना है। अभी तक मौजूद साक्ष्य के अनुसार कोविड टीकाकरण को किसी भी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।
उन्होंने कहा कि एईएफआई की व्यवस्था के लिए उचित उपाय किए गए हैं। इनमें टीकाकरण स्थलों पर जरूरी किट की उपलब्घता, तुरंत रेफरल और 30 मिनट की देखरेख शामिल हैं।
गृह मंत्रालय ने कहा टीकाकरण में तेजी लाएं : केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने देश के कुछ हिस्सों में कोरोना महामारी के बढते मामलों के मद्देनजर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट यानी कोरोना संक्रमण की जांच, रोगी के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने तथा रोगियों के उपचार की तीन स्तरीय नीति पर तेजी तथा पूरी सख्ती से काम करने को कहा है।
मंत्रालय ने कोरोना महामारी के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए मंगलवार को जारी दिशा निर्देशों में तीन स्तरीय नीति के साथ साथ कोरोना से संबंधित प्रोटोकोल को पूरी तरह लागू करने और टीकाकरण अभियान को तेज करने की भी बात कही है। इसके साथ ही विभिन्न गतिविधियों के लिए पहले से जारी मानक संचालन प्रक्रिया को भी सख्ती से लागू करने की केन्द्र और राज्य सरकारों को हिदायत दी गई है। आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या बढ़ाए जाने पर भी विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
दिशा-निर्देशों में इस बात पर जोर दिया गया है कि कोरोना के खिलाफ अभियान में अब तक देश ने जो कामयाबी हासिल की है उसे बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास और उपाय किये जाने चाहिए। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कंटेनमेंट जोन के बाहर सभी गतिविधियां पहले से ही खोली जा चुकी हैं और इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया भी लागू हैं लेकिन उन्हें पूरी तरह तथा सख्ती से लागू किये जाने की जरूरत है। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से आरटीपीसीआर की जांच को 70 प्रतिशत तक पहुंचाने को कहा गया है। संक्रमित लोगों का पता चलने पर उन्हें अलग करने तथा संपर्कों का पता लगाने तथा रोगियों का उपचार करने पर भी जोर दिया गया है।
राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से जरूरत पड़ने पर छोटे तथा बड़े स्तर पर कंटेनमेंट जोन बनाने तथा उनकी निगरानी करने के लिए कहा गया है। कंटेनमेंट जोन में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा निर्देशों तथा उपायों को पूरी तरह लागू करने पर भी जोर दिया गया है।
देशभर में कोरोना महामारी से बचाव के लिए मास्क के इस्तेमाल, सामाजिक दूरी बनाए रखने तथा साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने पर भी बल दिया गया है। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को पहले की तरह स्थिति के आकलन के आधार पर स्थानीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति भी दी गयी है। हालाकि राज्यों के भीतर तथा एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच लोगों तथा सामान और वाहनों के आवागमन पर किसी तरह की रोक नहीं लगायी गई है। कुछ राज्यों में कोरोना टीकारण की धीमी गति पर चिंता व्यक्त करते हुए इसमें तेजी लाने की बात कही गई है।