नई दिल्ली। केंद्र ने देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों का हवाला देते हुए बुधवार को चिकित्सा क्षेत्र में मान्यता प्राप्त योग्यता वाले अपने कर्मचारियों को चिकित्सकीय कार्य करने या फोन पर उपचार संबंधी सलाह देने की अनुमति दे दी है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से जारी किए गए एक आदेश में किया गया कि ये कार्य खाली समय में और विशुद्ध रूप से धर्मार्थ कार्य के रूप में किए जाएं।
गृह मंत्रालय के 57 साल पुराने आदेश का हवाला देते हुए डीओपीटी ने कहा कि मौजूदा वैश्विक महामारी के दौरान केंद्र सरकार के कई कर्मचारी फोन पर उपचार संबंधी सलाह देने का अनुरोध कर रहे हैं।
उसने कहा कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर संक्रमण से निपटने के लिए सरकार के भीतर मौजूद क्षमताओं का इस्तेमाल करने और जनता की सहायता के लिए यह फैसला किया गया है कि केंद्र सरकार के वे कर्मचारी, जिनके पास चिकित्सा की किसी भी प्रणाली में मान्यता प्राप्त योग्यता हो, उन्हें चिकित्सकीय कार्य करने या फोन पर उपचार संबंधी सलाह देने के लिए विभाग के प्रमुख (एचओडी) से कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
केंद्र सरकार के सभी विभागों को जारी आदेश के अनुसार इसके लिए शर्त यह होगी ये कार्य खाली समय में और धर्मार्थ कार्य के रूप में किए जाएं और इससे सरकारी कर्मचारी के आधिकारिक काम किसी तरह बाधित ना हो।
उसने कहा कि हालांकि रिकॉर्ड के लिए सरकारी कर्मचारियों को अपने विभाग को इस संबंध में पूरी जानकारी देनी होगी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
डीओपीटी ने 29 फरवरी, 1964 के गृह मंत्रालय के उस आदेश का हवाला दिया जिसके तहत एचओडी को चिकित्सा की किसी भी प्रणाली में मान्यता प्राप्त योग्यता वाले सरकारी कर्मचारी को चिकित्सकीय कार्य शुरू करने की अनुमति देने को कहा गया था। (भाषा)