नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज मायापुरी ऑक्सीजन सिलेंडर डिपो का दौरा कर चीन से आयात किए गए सिलेंडर का निरीक्षण किया। वैक्सीन को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने फाइजर और मॉडर्ना से बात की है। दोनों ने सीधे वैक्सीन देने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार से बात करने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने कहा, अगर सरकार आदेश दे और 16 कंपनियां तत्काल वैक्सीन का उत्पादन शुरू करें तो 25 करोड़ वैक्सीन की डोज हर महीने बनाई जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर हमारी तैयारियां जारी हैं। हम दिल्ली में 3 जगह 2-2 हजार सिलेंडर के डिपो बना रहे हैं। अगर केस बढ़ते हैं, तो इससे हम 3 हजार ऑक्सीजन बेड तैयार कर पाएंगे। यह 6 हजार ऑक्सीजन सिलेंडर चीन से आयात किए हैं। मैं समझता हूं कि इस कोरोना काल में शायद ही कोई इतनी बड़ी खेप भारत में लाई गई है।
वैक्सीन को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने फाइजर और मॉडर्ना से बात की है। दोनों ने सीधे वैक्सीन देने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार से बात करने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने कहा, अगर सरकार आदेश दे और 16 कंपनियां तत्काल वैक्सीन का उत्पादन शुरू करें तो 25 करोड़ वैक्सीन की डोज हर महीने बनाई जा सकती है। मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि हम लोग पहले ही काफी समय बर्बाद कर चुके हैं।
हमारी तैयारियों में किसी तरह की कमी नहीं आई है : मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में कोरोना के केस अब काफी कम हो रहे हैं। देश के लिए यह दूसरी लहर है, लेकिन दिल्ली वालों के लिए तो यह चौथी लहर है। इस बार अप्रैल के अंतिम सप्ताह में सबसे अधिक लगभग 28 हजार केस आए थे, जो अब यह घटकर 1500 के करीब केस रह गए हैं।
दिल्ली के अंदर अप्रैल के अंतिम सप्ताह में संक्रमण दर भी 36 फीसदी तक पहुंच गई थी, जो अब घटकर लगभग 2.5 फीसदी हो गई है। ऐसा लगता है कि शायद अब यह लहर कमजोर होती जा रही है, लेकिन दिल्ली सरकार के प्रयासों में किसी भी तरह की कमी नहीं आई है। संभावित अगली लहर, जो तीसरी लहर कही जा रही है, उसके लिए दिल्ली सरकार ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है।
चीन से 4400 सिलेंडर आ चुके हैं और 1600 आने वाले हैं : मुख्यमंत्री ने ऑक्सीजन सिलेंडर डिपो में रखे गए सिलेंडर को दिखाते हुए कहा कि यह सिलेंडर हम लोगों ने चीन से आयात किए हैं। अभी तक 4400 सिलेंडर आ चुके हैं और दो-तीन दिनों के अंदर 1600 ऑक्सीजन सिलेंडर अभी और आ जाएंगे। इन 6 हजार ऑक्सीजन सिलेंडर से हम लोग दिल्ली में तीन जगह 2-2 हजार सिलेंडर के डिपो तैयार कर रहे हैं।
अगर किसी को व्यक्तिगत रूप से सिलेंडर की जरूरत होगी, तो उसको भी दिया जाएगा और अगर दोबारा कोरोना की लहर आती है और दिल्ली में केस बढ़ते हैं, तो इन 6 हजार सिलेंडर की मदद से हम दिल्ली में करीब 3 हजार ऑक्सीजन बेड तैयार कर पाएंगे। एक बेड पर दो सिलेंडर की जरूरत पड़ती है। इस तरह से सरकार के प्रयासों में किसी भी प्रकार की कमी नहीं है।
हमें यह 6 हजार ऑक्सीजन सिलेंडर चीन से आयात करने में काफी दिक्कतें आईं, जिसमें भारतीय दूतावास ने हमारी काफी मदद की। इस पूरे कोरोना काल में इतने बड़े स्तर पर बाहर से शायद ही कोई इस तरह की बड़ी खेप भारत में लाई गई है। एचसीएल और गिव इंडिया फाउंडेशन ने मिलकर यह सिलेंडर दिल्ली सरकार को दान दिए है।। मैं इन्हें दिल से धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने इस महामारी के दौर में देश के लोगों के लिए इतना कुछ किया। साथ ही, इसके लिए मैं केंद्र सरकार, खासतौर से जो बीजिंग में हमारा भारतीय दूतावास है, उन्होंने हमारी बहुत ज्यादा मदद की।
इसके अलावा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बहुत बड़े स्तर पर हम लोग खरीद रहे हैं। काफी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे भी जा चुके हैं। सभी को पता है कि दिल्ली में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बैंक खोला गया है। यह बैंक दिल्ली के सभी जिलों के अंदर बनाए गए हैं। जिसको भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की जरूरत पड़ती है, उसे यहां से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचाए जाते हैं। साथ ही, हम लोग ऑक्सीजन टैंकर भी खरीदने वाले हैं। हम लोग ऑक्सीजन को स्टोर करने की जगह भी विकसित कर रहे हैं। इस लहर में जो-जो दिक्कतें आई थीं, खासकर ऑक्सीजन की हम लोगों को कमी हो गई थी। अब हम उन सारी कमियों को दूर कर रहे हैं।
होम आइसोलेशन के मरीजों के साथ अस्पतालों को भी सिलेंडर दिए जाएंगे : मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस ऑक्सीजन डिपो से होम आइसोलेशन के मरीजों को मदद मिलेगी। जैसे अभी हम उनको ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दे रहे हैं। अभी हम लोग मरीजों को 5 लीटर का ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दे रहे हैं, लेकिन जरूरत पड़ेगी तो हम 10 लीटर का ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी देंगे। हम 10 लीटर की क्षमता के 5 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद रहे हैं।
यह सिलेंडर 25 लीटर क्षमता तक काम करते हैं। लेकिन सामान्य तौर पर अगर आपको 25 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, तो बेहतर है कि आप अस्पताल में भर्ती हो जाएं। वहीं, अगर अस्पतालों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी, तो हम यहां से उनको भी देंगे। हमें अपने एलएनजेपी और जीटीबी अस्पताल में नए बेड बनाने हैं। जैसे बुराड़ी और छतरपुर में स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, वहां पर भी हमें और नए ऑक्सीजन बेड बनाने हैं।
केंद्र सरकार सारी कंपनियों से बात कर वैक्सीन आयात करे और राज्यों को दे : वैक्सीन के संबंध में विदेशी कंपनियों से चल रही बातचीत के संबंध में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि हमारी फाइजर से बात हुई, उनका कहना है कि हम आपको वैक्सीन नहीं देंगे, हम केंद्र सरकार से बात करेंगे। हमारी मॉडर्ना से बात हुई, मॉडर्ना वालों का भी कहना है कि हम आपको वैक्सीन नहीं देंगे, हम केंद्र सरकार से बात करेंगे।
मेरी केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर अपील है कि हम लोग पहले ही काफी समय बर्बाद कर चुके हैं। अब हमें और समय नहीं गंवाना चाहिए। अब तो अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जॉनसन एंड जॉनसन, मॉडर्ना और फाइजर समेत कई सारी वैक्सीन आ चुकी है। इन सभी कंपनियों से केंद्र सरकार बात करे, इनसे सारी वैक्सीन आयात करें और राज्यों में बांट दें।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी हमारे पास वैक्सीन ही नहीं है, तो हम और बूथ बना कर क्या करेंगे? जो अभी बुथ बनाए थे, वैक्सीन की कमी के चलते उन्हें भी बंद करने पड़े। मैंने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है कि अगर हमें 8 लाख वैक्सीन मिलती है, तो इसके हिसाब से हमें पूरी दिल्ली का वैक्सीनेशन करने में 30 महीने का समय लग जाएगा।
केंद्र सरकार आदेश दे तो हर महीने 25 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन किया जा सकता है : मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि वैक्सीन को लेकर हमें युद्ध स्तर पर काम करना चाहिए। जैसे हमने मॉडर्ना से बात की। दो-तीन दिन में हमारी कंपनी से बात हो गई। हमने फाइजर से भी बात की, उससे भी दो-तीन दिन में हमारी बात हो गई, तो ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि केंद्र सरकार इन सारी कंपनियों को बुलाए और उनसे बात कर ले। मुझे लगता है कि तीन-चार दिन के अंदर सारी कंपनियों के साथ बात कर एग्रीमेंट किए जा सकते हैं। उसी तरह से भारतीय बायोटिक जो कोवैक्सीन बना रही है।
मुझे बेहद खुशी है कि भारतीय बायोटेक वैक्सीन बनाने का अपना फॉर्मूला दूसरी कंपनियों के साथ साझा करने के लिए तैयार है। एक राष्ट्रीय अखबार के अंदर खबर छपी थी कि 16 कंपनियां ऐसी हैं, जो भारतीय बायोटेक की कोवैक्सीन बना सकती हैं। अभी चार-पांच दिन पहले खबर छपी थी कि भारतीय बायोटेक के साथ इनमें से शायद दो कंपनियों के साथ करार हुआ है। अगर केंद्र सरकार इन सभी 16 कंपनियों को बुला ले और उनसे अनुरोध नहीं करना है, बल्कि उनको आदेश देना है और एक औपचारिक आदेश पास करना है कि यह सभी 16 कंपनियां अगले कुछ दिन के अंदर अपना उत्पादन शुरू करेंगी।
उस खबर के मुताबिक, अगर यह 16 कंपनियां तत्काल वैक्सीन का उत्पादन शुरू करें, तो 25 करोड़ वैक्सीन की डोज हर महीने बनाई जा सकती है। फिर भी हम क्यों नहीं बना रहे हैं? हमें अभी यूएसए और यूके का अनुभव देखने को मिला है। अब यूएसए में 18 हजार से भी कम केस रह गए हैं। इनका अनुभव यह दिखाता है कि वैक्सीन ही एक ऐसी चीज है, जो इसका समाधान है। ब्लैक फंगस की दवा की भी भारी कमी है, इसका उत्पादन भी बढ़ाना होगा।
मुख्यमंत्री ने ब्लैक फंगस के संबंध में कहा कि दिल्ली सरकार ने ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए अपने सेंटर बना दिए हैं। हमने एलएनजेपी, जीटीबी और राजीव गांधी अस्पताल के अंदर सेंटर बना दिए हैं, लेकिन दवाई नहीं है। जैसे कल भी हमारे पास दवाई नहीं आई, तो हम बिना दवाई के मरीजों का इलाज कैसे करें? एक मरीज को एक-एक दिन में चार से पांच इंजेक्शन लगते हैं। जब तक इंजेक्शन नहीं मिलेंगे, तब तक हम मरीजों का इलाज कैसे कर सकते हैं?
केंद्र सरकार के पास जितने इंजेक्शन हैं, उसे देती रहती है, लेकिन यह बीमारी अचानक आ गई है और इस बीमारी की दवा की मार्केट में बहुत कमी है। केंद्र सरकार के पास जितनी दवा है, वह सारे राज्यों में बांट रही है। लेकिन ब्लैक फंगस की दवाई की बहुत ज्यादा कमी है और इसके उत्पादन को भी बढ़ाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि एक मरीज को प्रतिदिन करीब 4 से 5 इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। दिल्ली में अभी करीब 500 मरीज हैं। इसलिए अभी दिल्ली को प्रतिदिन करीब 2 हजार इंजेक्शन चाहिए।