औरंगाबाद। कोविड-19 के चलते महाराष्ट्र में वार्षिक गणपति महोत्सव से पहले भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने वाले कारीगरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इन मुश्किलों में कच्चा माल मिलने में कठिनाई और 4 फुट से ऊंची मूर्ति पर प्रतिबंध शामिल हैं।
औरंगाबाद और जालना के कारीगरों का कहना है कि कच्चे माल की कमी के कारण लागत बढ़ने और परिवहन का खर्च अधिक होने से उनकी समस्याएं बढ़ गई हैं। महाराष्ट्र में गणेशोत्सव सबसे लोकप्रिय पर्व है। राज्यभर में विभिन्न मंडलों द्वारा स्थापित किए जाने वाले पंडाल 10 दिवसीय पर्व के दौरान हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
गणेशोत्सव का आरंभ 'गणेश चतुर्थी' पर्व से होता है, जो इस साल शनिवार, 22 अगस्त से मनाया जाएगा। कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण पिछले महीने राज्य सरकार ने गणपति मंडलों द्वारा स्थापित की जाने वाली मूर्तियों की ऊंचाई 4 फुट तक ही रखने का आदेश दिया था। आदेश में कहा गया था कि घर पर स्थापित मूर्तियों की ऊंचाई 2 फुट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
औरंगाबाद स्थित बेगमपुरा क्षेत्र के मूर्तिकार गणेश जोबले ने कहा कि इस बार व्यापार बहुत कम हुआ। प्रतिमा बनाने के लिए कच्चा माल गुजरात से लाया जाता है। इस साल कच्चे माल का परिवहन बाधित हुआ जिससे हमारा काम प्रभावित हुआ।
उन्होंने कहा कि हम बड़ी गणेश प्रतिमा बनाने के लिए सालभर काम करते हैं। लेकिन इस साल 4 फुट से अधिक ऊंचाई की प्रतिमा नहीं बेची जा सकती जिससे हमारा नुकसान हो रहा है। अब हमें इन बड़ी प्रतिमाओं को अगले साल के लिए रखना होगा। एक अन्य कारीगर मनोज राखे ने कहा कि लॉकडाउन के कारण कच्चा माल मिलने में मुश्किल हुई जिससे व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ा। (भाषा)