नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि भारत बायोटेक ने दिल्ली सरकार को सूचित किया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी को कोवैक्सीन की 'अतिरिक्त' खुराकें उपलब्ध नहीं करा सकता है। इस कारण से 18-44 वर्ष समूह के लोगों के लिए चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। केंद्र और राज्य के बीच एक बार फिर वैक्सीन को लेकर तकरार हो रही है।
सिसोदिया ने यहां ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि दिल्ली में कोवैक्सीन का भंडार समाप्त हो गया है और नतीजतन 17 स्कूलों में बनाए गए करीब 100 टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है।
सिसोदिया ने कहा कि कोवैक्सीन निर्माता ने एक पत्र में कहा कि वह अनुपलब्धता के चलते दिल्ली सरकार को संबंधित सरकारी अधिकारी के निर्देश के तहत खुराकें उपलब्ध नहीं करा सकता है। इसका मतलब केंद्र सरकार टीके की आपूर्ति को नियंत्रित कर रही है।
बहरहाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को इस बात से इंकार किया है कि राज्य द्वारा टीके की खरीद में केंद्र सरकार की कोई भूमिका है। सिसोदिया ने केंद्र पर टीके के कुप्रबंधन का आरोप लगाया और दोहराया कि टीके की 6.5 करोड़ खुराकें विदेश निर्यात करना सबसे बड़ी गलती थी।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार ने 26 अप्रैल को कोविशील्ड और कोवैक्सीन की 67-67 लाख खुराकों का ऑर्डर दिया है। दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक उसे 18-44 वर्ष के आयु वर्ग के टीकाकरण के लिए कोवैक्सीन की 1.5 लाख खुराकें और कोविशील्ड की चार लाख खुराकें मिली हैं।
सिसोदिया ने कहा कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि टीके की 6.5 करोड़ खुराकें विदेश निर्यात करना सबसे बड़ी गलती थी। यह दिल्ली और मुंबई में सबको टीके की दोनों खुराकें लगाने के लिए पर्याप्त होतीं।
दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता हरिश खुराना ने कहा कि सिसोदिया ने भारत बायोटेक के जिस पत्र का हवाला दिया है वह उनके इस दावे की पोल खोलता है कि सरकार ने 26 अप्रैल को कौवैक्सीन की 67 लाख खुराकों का ऑर्डर दिया था।
उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र को टीके का निर्यात बंद करना चाहिए और इन दोनों टीकों के फॉर्मूले के देश की अन्य कंपनियों के साथ साझा करना चाहिए ताकि बड़े पैमाने पर टीके का उत्पादन हो सके। (भाषा)