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‘कोरोना’ के बाद ‘ब्‍लैक फंगस’… कैसे बचे इस नए रोग से?

हमें फॉलो करें ‘कोरोना’ के बाद ‘ब्‍लैक फंगस’… कैसे बचे इस नए रोग से?
, शुक्रवार, 21 मई 2021 (15:29 IST)
पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है, अभी उसके लिए वैक्‍सीन का बेसब्री से इंतजार है, लेकिन इसके पहले दुनिया के सामने एक नया और बेहद खतरनाक चैलेंज आ गया है। इसका नाम है ब्‍लैक फंगस।
  • दिसंबर के शुरुआत में दिल्‍ली में आए ब्‍लैक फंगस के मामले
  • उसके बाद गुजरात के अहमदाबाद में भी आए कुछ मामले
  • अब मध्‍यप्रदेश के इंदौर में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं
  • खतरनाक है क्‍योंकि इसके 54 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है

दरअसल, कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में यह नई बीमारी हो रही है। अगर सावधानी न रखी जाए तो किसी को भी हो सकता है। मीडि‍या रिपोर्ट के मुताबि‍क ब्‍लैक फंगस इतना ज्‍यादा खतरनाक है कि इसे जान बचाने के लिए मरीजों के अंग तक काटकर निकालने पड़ रहे हैं।

चौंकाने और चिंता वाली बात यह है कि दिसंबर महीने की शुरुआत में इसके मामले दिल्‍ली में आ चुके हैं। इसके बाद अहमदाबाद में भी इस तरह के मामले सामने आने के बाद सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। राजस्थान और पंजाब में भी मामले सामने आए हैं। इन जगहों पर कुछ शहरों में मरीजों की मौत हो गई हैं, जबकि कुछ मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्‍टरों को उनकी आंखें या दूसरे अंग निकालने पड़ रहे हैं। ऐसे परिणामों के साथ ब्‍लैक फंगस बेहद खतरनाक बताया जा रहा है।

क्या है ब्लैक फंगस?
ये एक फंगल बीमारी है। जो म्यूकरमायोसिस नाम के फंगाइल से होता है।

किसे होने की आशंका है?
इसकी उन लोगों में होने की आशंका ज्‍यादा है, जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं।
कोई ऐसी दवाई ले रहे हैं जो शरीर की इम्यूनिटी को कम करती है हों या शरीर के दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करती हों। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।

क्‍यों और कैसे खतरनाक है ब्‍लैक फंगस?
ब्‍लैक फंगस जो कि वातावरण में मौजूद हैं सांस के जरिए हमारे शरीर में पहुंचते हैं।
अगर शरीर में कोई घाव है या कहीं जला हुआ है तो वहां से भी ये संक्रमण शरीर में फैल जाता है।
अगर शुरुआती दौर में ही इसकी पहचान नहीं की गई तो आखों की रोशनी जा सकती है।
शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैले हैं, शरीर का वो हिस्सा सड़ सकता है।
यदि आप इस तरह से पेपिलोमा पाते हैं, तो सावधान रहें!
तुरंत पता लगाओ!

कहां पाया जाता है ब्लैक फंगस?
हालांकि यह एक रेअर संक्रमण है, लेकिन वातावरण में कहीं भी रह सकता है, यह जमीन और सड़ने वाले ऑर्गेनिक पदार्थों में, जैसे पत्तियों, सड़ी लकड़ी और कम्पोस्ट खाद में पाया जाता है।

क्‍या है ब्‍लैक फंगस के लक्षण?
चेहरे पर सूजन आ जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, छाती में दर्द होना, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपरी हिस्से में या नाक में काले घाव होना।

क्‍या है ब्‍लैक फंगस से कोरोना का कनेक्‍शन?
वैसे तो यह उन लोगों को होता है जिन्‍हें डायबिटिज, कैंसर है और जिनका कोई अंग ट्रांसप्लांट हुआ हो, जो लंबे वक्‍त से स्टेरॉयड ले रहे हों या जिन्‍हें कोई स्किन इंजरी हो, प्रिमेच्योर बेबी को भी ये हो सकता है।
वहीं जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उनका भी इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। अगर किसी हाई डायबिटिक मरीज को कोरोना हो जाता है तो उसका इम्यून सिस्टम और ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन फैलने की आशंका और ज्यादा हो जाती है। कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड दिया जाता है। ऐसे में मरीज की इम्यूनिटी कम हो जाती है।

ये फंगस कितना खतरनाक है?
विशेषज्ञ इसे संक्रामक नहीं मानते हैं, यानी ये फंगस एक मरीज से दूसरे मरीज में नहीं फैलता है। लेकिन ये इतना खतरनाक है कि इसके 54 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है।
यह शरीर के जिस भी भाग में होता है, उसे खत्म कर देता है। ऐसे में अगर इसका असर सिर में हो जाए तो ब्रेन ट्यूमर समेत कई तरह के रोग हो जाते हैं।

कैसे बच सकते हैं ब्‍लैक फंगस से?
कंस्ट्रक्शन साइट से दूर रहें, डस्ट वाले एरिया में न जाएं, गार्डनिंग या खेती करते वक्त फुल स्लीव्स के ग्लव्ज पहनें, मास्क पहनें, उन जगहों पर जाने बचें जहां पानी का लीकेज हो, जहां ड्रेनेज का पानी इकट्ठा हो वहां न जाएं।

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