नई दिल्ली। दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त एक समिति की रिपोर्ट से विवाद के बाद आगे बढ़ने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हर किसी से साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया, ताकि कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 की अगली लहर में ऑक्सीजन की किल्लत न हो।
केजरीवाल ने ट्वीट किया कि आपस में लड़ेंगे तो कोरोनावायरस जीत जाएगा। एक दिन पहले आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच उस रिपोर्ट को लेकर जमकर जुबानी जंग हुई, जिसमें कहा गया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग चार गुना अधिक बताई गई।
केजरीवाल ने ट्वीट किया, ऑक्सीजन पर आपका झगड़ा खत्म हो गया हो तो थोड़ा काम कर लें? आइए, मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाते हैं कि तीसरी लहर में किसी को ऑक्सीजन की कमी न हो। दूसरी लहर में लोगों को ऑक्सीजन की भीषण कमी हुई। अब तीसरी लहर में ऐसा न हो। आपस में लड़ेंगे तो कोरोना जीत जाएगा। मिलकर लड़ेंगे तो देश जीतेगा।
आप के नेताओं ने भाजपा पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट गढ़ने का आरोप लगाया, वहीं भगवा पार्टी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने आपराधिक लापरवाही की। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यालय में भ्रामक और फर्जी रिपोर्ट तैयार की गई और इसे केंद्र ने शीर्ष अदालत में पेश किया।
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एक उप-समूह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की खपत बढ़ा-चढ़ाकर बताई और 1140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का दावा किया, जो 289 मीट्रिक टन की आवश्यकता से चार गुना अधिक थी।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने गलत फॉर्मूले का इस्तेमाल करते हुए 30 अप्रैल को 700 मीट्रिक टन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के आवंटन के लिए दावा किया। दो सदस्यों दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) बीएस भल्ला और मैक्स हेल्थकेयर के क्लीनिकल डायरेक्टर संदीप बुद्धिराजा ने नतीजे पर सवाल उठाए।
भल्ला ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और 30 मई को उनसे साझा की गई 23 पन्ने की अंतरिम रिपोर्ट पर टिप्पणी की। रिपोर्ट में 31 मई को भल्ला द्वारा भेजे गए पत्र का एक अनुलग्नक है, जिसमें उन्होंने कहा कि मसौदा अंतरिम रिपोर्ट को पढ़ने से यह दुखद रूप से स्पष्ट होता है कि उप-समूह कार्य पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय छह मई के उच्चतम न्यायालय के आदेश की शर्तों का पालन नहीं कर पाया।
उन्होंने कहा कि उप समूह ने जिस तरह कार्यवाही की इससे संकेत मिलता है कि कार्यवाही का उद्देश्य पहले से सुनियोजित और तय निष्कर्ष तक पहुंचना और दिल्ली को चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कम मात्रा की सिफारिश करना था।
भल्ला ने कहा कि यह भी दिखाने का प्रयास किया गया कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के समक्ष दिल्ली सरकार का आकलन वास्तविक नहीं था और बढ़ा-चढ़ाकर मांग दिखाई गई। उन्होंने अपने नोट में कहा कि यह कहने का कोई फायदा नहीं है कि इस तरह की कवायद शीर्ष अदालत के उस आदेश की भावना, मंशा और उद्देश्य को आगे नहीं बढ़ाती है, जिसके तहत उप-समूह का गठन किया गया था।
भल्ला ने उप-समूह के इस निष्कर्ष पर भी आपत्ति जताई कि अप्रैल के अंत में भर्ती मरीजों के हिसाब से चिकित्सकीय ऑक्सीजन की खपत 250 टन, मई के पहले सप्ताह में 470-490 मीट्रिक टन और 10 मई को दावा के अनुसार 900 मीट्रिक टन थी।
उन्होंने कहा, इस पैरा को हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह न तो सही है और न ही सत्यापित आंकड़े पर आधारित है। मई के पहले सप्ताह में संक्रमण के नए मामलों की संख्या बढ़ने के साथ, और उसके बाद भी अस्पताल में बिस्तरों की संख्या में वृद्धि जारी रहने पर अप्रैल के अंत में ऑक्सीजन की आवश्यकता लगभग 625 मीट्रिक टन और मई के पहले सप्ताह में 700 मीट्रिक टन थी।
दिल्ली सरकार द्वारा मांग को बढ़ाकर दिखाने के निष्कर्ष के संबंध में भल्ला ने कहा कि दिल्ली सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग केंद्र सरकार और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वर्णित मानक ऑक्सीजन की जरूरत के आधार पर थी, जो कि सघन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) बेड के लिए 24 लीटर प्रति मिनट और गैर आईसीयू बेड के लिए 10 लीटर प्रति मिनट है।
उन्होंने कहा, गैर-आईसीयू बेड को ऑक्सीजन की आवश्यकता पर संदेह केवल अस्पतालों के वास्तविक ऑडिट के माध्यम से हल किया जा सकता है, जो ऑडिट उप-समूह को करना बाकी है। विवाद बढ़ने के बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, मेरा अपराध-मैं अपनी दो करोड़ जनता को सांसें देने के लिए लड़ा।
उन्होंने कहा, जब आप चुनाव रैली कर रहे थे, मैं पूरी रात जागकर ऑक्सीजन की व्यवस्था कर रहा था। उन्होंने एक और ट्वीट में कहा, लोगों ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से अपनों को खोया है। उन्हें झूठा मत कहिए, उन्हें बहुत बुरा लग रहा है।(भाषा)