अमेरिकी डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने चीन से मांगा वायरस में सहयोग, इसके साथ ही 'कोविड-26' और 'कोविड-32' की दी चेतावनी
दुनिया भर में कई विशेषज्ञ लैब से कोरोना वायरस के निकलने की थ्योरी के साथ अधिक सावधानी बरतने का आग्रह कर रहे हैं, लेकिन कई विशेषज्ञों ने आगे जांच की मांग की है कि आखिर यह वायरस कैसे सामने आया। मार्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जारी रिपोर्ट में वायरस के स्रोत का पूरी तरह खुलासा नहीं हो सका था।
कोरोना वायरस के पैदा होने को लेकर रहस्य गहराता जा रहा है। ये कब आया, कहां से आया और कैसे फैला, दुनिया के वैज्ञानिकों को अभी भी इन सवालों की तलाश है। अब तक दो तरह की थ्योरी पर सबसे ज्यादा बात होती रही है। पहला ये कि वायरस किसी जानवर से इंसानों तक पहुंचा और दूसरा ये कि वायरस चीन के वुहान की लैब से निकला।
कोरोना वायरस के स्रोत का सवाल एक बार फिर चर्चा में आ गया। अमेरिका के दो वरिष्ठ रोग विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति के सिलसिले में चीन से दुनिया के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है।
ट्रंप प्रशासन में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के कमिश्नर और अब फाइबर के बोर्ड सदस्य स्कॉट गोटलिब ने कहा कि धारणा का समर्थन करने के लिए ज्यादा सबूत नहीं हैं कि कोरोना वायरस चीन के वुहान में लैब से बच निकला हो। सीबीसी न्यूज से बात करते हुए गोटलिब ने दावा किया कि चीन ने लैब लीक थ्योरी को खारिज करने के लिए डेटा उपलब्ध नहीं कराया है, और वन्य जीव के बीच वायरस के मूल की तलाश का कोई नतीजा नहीं निकल सका है।
एक अलग टीवी इंटरव्यू में टेक्सास चिल्ड्रेन हॉस्पीटल सेंटर फोर वैक्सीन डेवलपमेंट के सह निदेशक पीटर होटेज ने दलील दी कि जानकारी का नहीं होना कि कैसे महामारी की शुरुआत हुई, दुनिया को भविष्य की महामारियों के खतरे में डाल सकता है। एनबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि जब तक हम पूरी तरह कोरोना वायरस के मूल को न समझ लें, कोविड-26 और कोविड-32 के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता।
होटेज का मानना है कि वैज्ञानिकों को चीन में लंबे समय तक रिसर्च, इंसानों और जानवरों के ब्लड सैंपल इकट्ठा करने की इजाजत दी जानी चाहिए। अमेरिका को संभावित जुर्माने समत चीन पर दबाव डालना चाहिए, ताकि जांच की अनुमति देने पर मजबूर हो सके। उन्होंने कहा, "हमें हुबेई प्रांत में वैज्ञानिकों, महामारी रोग विशेषज्ञों, वायरस वैज्ञानिकों, चमगादड़ के पारिस्थितिकी वैज्ञानिकों की टीम की जरूरत छह महीने, साल भर की अवधि के लिए जरूरत होगी"
पिछले साल अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि कोरोना वायरस चीन की लैब से निकला है। हालांकि, अपने दावे के समर्थन में उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया। लेकिन, वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जांच एजेसियों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए 90 दिनों का समय दिया है। उनका कहना है कि मार्च महीने में रिपोर्ट देखने के बाद ही उन्होंने जांच कराने का फैसला किया है। हालांकि, वुहान की लैब से कोरोना वायरस के निकलने को चीनी अधिकारियों ने खारिज किया है।