Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चीन पर निशाना! सेना प्रमुख बोले- कुछ देशों ने 'निराधार भय' बढ़ाने के लिए QUAD को सैन्य गठबंधन के तौर पर प्रस्तुत किया

हमें फॉलो करें चीन पर निशाना! सेना प्रमुख बोले- कुछ देशों ने 'निराधार भय' बढ़ाने के लिए QUAD को सैन्य गठबंधन के तौर पर प्रस्तुत किया
, रविवार, 30 मई 2021 (19:22 IST)
नई दिल्ली। थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि कुछ देशों ने क्वाड या 4 देशों के गठबंधन को सैन्य गठबंधन के तौर पर प्रस्तुत किया है, ताकि 'निराधार भय' को बढ़ावा दिया जा सके, लेकिन अपने दावों को साबित करने के लिए उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं। क्वाड (QUAD) की मंशा सैन्य गठबंधन बनने की नहीं है, इस बात पर जोर देते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि यह बहुपक्षीय समूह है जो केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मुद्दों तक सीमित है।

क्वाड समूह में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर विश्व भर में उभरी चिंता के मद्देनजर मुक्त, स्वतंत्र एवं समावेशी क्षेत्र तथा साझा लोकतांत्रिक विचारधाराओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है। सेना प्रमुख ने क्वाड की मंशा या प्रयास सैन्य गठबंधन बनाने की नहीं है। यह बहुपक्षीय समूह है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।

उन्होंने कहा कि कुछ देशों ने क्वाड को सैन्य गठबंधन दर्शाने की कोशिश की है ताकि निराधार भय को बढ़ावा दिया जा सके जबकि उनके पास यह साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य नहीं हैं। चीन क्वाड की अत्यधिक आलोचना करता है और दावा करता है कि समूह का मकसद हिंद-प्रशांत में उसे रोकना है। रूस भी क्वाड की आलोचना करता रहा है और उसने कहा है कि यह क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए समावेशी संवाद के लिए नुकसानदेह है।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले महीने एशिया में उभरते गठबंधनों के संदर्भ में ‘एशियन नाटो’ शब्द का इस्तेमाल किया था जिसे क्वाड के अप्रत्यक्ष उल्लेख के रूप में देखा गया। जनरल नरवणे ने मार्च में हुए पहले क्वाड शिखर सम्मेलन का भी संदर्भ दिया जिसने मौजूदा चुनातियों से निपटने के लिए सहयोग मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई थी जो सैन्य एवं रक्षा सहयोग तक सीमित नहीं होंगे बल्कि क्षेत्र की सभी सुरक्षा चुनौतियां इसमें शामिल होंगी।

उन्होंने कहा कि क्वाड मुक्त एवं स्वतंत्र हिंद-प्रशांत में यकीन रखता है और कई मुद्दे इसके संचालन का आधार हैं जैसे कोविड-19 का स्वास्थ्य एवं आर्थिक प्रभाव, जलवायु परिवर्तन, साइबर क्षेत्र, ढांचागत विकास, आतंकवाद से निपटना और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत।

जनरल नरवणे ने अपनी हालिया टिप्पणियों पर भी विस्तार से बताया जिनमें उन्होंने कहा था कि क्वाड नाटो जैसा गठबंधन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नाटो की सैन्य गठबंधन के तौर पर उत्पत्ति द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और सोवियत संघ के विघटन के बीच के दौर में टकराव वाली द्विध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था में निहित है। साथ ही कहा कि क्वाड का लक्ष्य सैन्य गठबंधन बनना नहीं है। भारत का हमेशा से रुख रहा है कि क्वाड का गठन किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया गया है।

ज्यादा खर्च की जरूरत नहीं : भारतीय सेना का आधुनिकीकरण सही तरीके से चल रहा है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने यह जानकारी दी। उन्होंने उन आशंकाओं को भी खारिज कर दिया कि चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के चलते वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अधिक संसाधन खर्च करने की जरूरत है जिससे सेना के लिए नए हथियार आदि खरीदने के लिए धन की कमी हो सकती है।

जनरल नरवणे ने अपनी राय पर जोर देते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष से अब तक 21 हजार करोड़ रुपये के ठेकों की पूर्ति हो चुकी है जबकि ढांचागत विकास के लिए कई अन्य खरीद प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं। सेना का आधुनिकीकरण बिना किसी परेशानी के हो रहा है और इसके लिए जरूरी संसाधन सरकार मुहैया करा रही है।

जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना का आधुनिकीकरण ठीक ढंग से चल रहा है। हाल में सामान्य खरीद योजना के तहत 16 हजार करोड़ रू से अधिक लागत के ठेके पूरे किए गए जबकि पांच हजार करोड़ रुपए के 44 ठेके वित्तवर्ष 2020-21 में आपात खरीद योजना के तहत पूरे किए गए थे। थल सेनाध्यक्ष ने कहा, कई पूंजीगत खरीद प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं।
ALSO READ: क्या गलवान घाटी में एक बार फिर हुई भारत और चीन के बीच झड़प? भारतीय सेना का बड़ा बयान
जनरल नरवणे ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही जिसमें पूछा गया था कि क्या सेना के लिए अति आवश्यक आधुनिकीकरण पर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ करीब एक साल से जारी गतिरोध का असर पड़ेगा क्योंकि वहां बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात करने की वजह से अधिक संसाधन आवंटित करने की जरूरत है।
ALSO READ: क्या चीन की लैब में पैदा हुआ कोरोना; जांच पर भारत भी आया सामने
आधुनिकीकरण का संदर्भ देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि हम किसी समस्या का सामना नहीं कर रहे हैं। बता दें कि सरकार ने फरवरी में वित्तवर्ष 2021-22 के लिए पेश बजट में रक्षा के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए थे जिसमें से 1,35,060 करोड़ रुपये का प्रावधान पूंजीगत व्यय के लिए अलग से किया था इसमें नए हथियारों, लड़ाकू विमानों, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजो सामान की खरीद शामिल है।
ALSO READ: डोनाल्ड ट्रंप के बाद चीन के निशाने पर हैं नरेन्द्र मोदी-विजयवर्गीय
बजट के मुताबिक वित्तवर्ष 2021-22 के लिए रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय में पिछले साल के 1,13,734 करोड़ रुपये के मुकाबले 18.75 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। चीन की बढ़ती आक्रमकता का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के लिए रक्षा विशेषज्ञ गत कुछ सालों से भारतीय सेना का तेजी से आधुनिकीकरण करने पर जोर दे रहे हैं।

पूर्वी लद्दाख में गत वर्ष पांच मई को 45 सालों में पहली बार भारतीय सेना और चीनी सेना में हिंसक झड़प हुई है और तब से अब तक तक दोनों पक्षों के बीच वहां गतिरोध बना हुआ है। पैंगोंग झील के पास सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर सीमित प्रगति हुई है जबकि बाकी स्थानों पर इसी तरह के कदम उठाने के लिए होने वाली वार्ता में गतिरोध बना हुआ है।

जनरल नरवणे ने कहा कि इस समय भारतीय सेना की ऊंचाई वाले इलाकों में सभी अहम स्थानों पर पकड़ है और वहां पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में ‘आरक्षित’ जवान मौजूद हैं। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के संवेदनशील इलाकों में मौजूदा समय में करीब 50 से 60 हजार जवान तैनात हैं। भारत और चीन के संबंधों में गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प के बाद तनाव आ गया था और दोनों पक्षों ने इसके बाद इलाके में हजारों की संख्या में सैनिकों की टैंक और बड़े हथियारों के साथ तैनाती की।

सैन्य गतिरोध के नौ महीने के बाद सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से पीछे हटी। गतिरोध वाले स्थानों पर तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी के लिए दोनों पक्षों में 11 दौर की सैन्य वार्ता हुई। अब दोनों पक्ष गतिरोध के अन्य स्थानों पर सैनिकों को पीछे हटाने के लिए वार्ता कर रहे हैं।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नौसेना ने गंभीर रोगियों को ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर को एंबुलेंस में बदला