नई दिल्ली। सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में ऊंचाई पर स्थित विभिन्न अग्रिम चौकियों का दौरा किया और गत 7 महीने से इलाके में चीन के साथ जारी गतिरोध के मद्देनजर भारत की सैन्य तैयारियों की समीक्षा की। सेना के आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सेना ने बताया कि जनरल नरवणे ने रेचिन ला सहित अग्रिम चौकियों का दौरा किया और लद्दाख से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के हालात का स्वयं आकलन किया। अधिकारियों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के विभिन्न पर्वतीय ठिकानों जहां पर तापमान शून्य डिग्री से भी नीचे है, करीब 50 हजार जवानों को लड़ाई की स्थिति के लिए तैयार अवस्था में तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया कि चीन ने भी इतनी ही संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती इन इलाकों में की है। लेह स्थित 14वीं कोर कमान जिसे आमतौर पर 'फायर एंड फरी' कोर भी कहा जाता है, के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने सेनाध्यक्ष को पूर्वी लद्दाख के हालात और विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि कड़ाके की सर्दी वाले इलाके के जमीनी हालात की समीक्षा करने के उद्देश्य से जनरल नरवणे 1 दिन के दौरे पर सुबह करीब 8 बजकर 30 मिनट पर लद्दाख पहुंचे।
सेना ने ट्वीट कर बताया कि थलसेना अध्यक्ष जनरल नरवणे ने रेचिन ला सहित फायर एंड फरी कोर के अधिकार क्षेत्र वाले अग्रिम इलाके का दौरा किया और स्वयं एलएसी के हालात का आकलन किया। उन्हें फायर एंड फरी कोर के कमांडर और अन्य स्थानीय कमांडरों ने हमारी सैन्य तैयारी से अवगत कराया। सेना के मुताबिक जनरल नरवणे ने अग्रिम इलाकों में तैनात जवानों से संवाद किया और इसी जोश और जज्बे के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। सेना प्रमुख ने क्रिसमस करीब होने के मद्देनजर मिठाई और केक बांटे।
उल्लेखनीय है कि करीब साढ़े 3 महीने पहले भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में पेगोंग झील के दक्षिण किनारे पर रणनीतिक रूप से अहम मुखपरी, रेचिन ला और मगर हिल इलाके के कई ऊंचाई वाले स्थानों पर काबिज हो गए थे। भारतीय सेना ने यह कार्रवाई 29-30 अगस्त की दरमियानी रात को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा उन्हें धमकाने की कोशिश करने के बाद की।
सेना ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि जनरल एमएम नरवणे ने रेचिन ला स्थित अग्रिम चौकियों पर सैनिकों के रहने के लिए अधुनिक निवास का दौरा किया। उन्होंने एलएसी पर जवानों को रहने के लिए आरामदायक सुविधा स्थापित करने के कदम की प्रशंसा की। सेना ने बताया कि सेनाध्यक्ष ने अग्रिम ठिकाने तारा का भी दौरा किया और स्थानीय कमांडर एवं जवानों से बातचीत की। सेना के मुताबिक उन्होंने उनके उच्च मनोबल और सैन्य तैयारी की प्रशंसा की।
उल्लेखनीय है कि 5 मई को पेंगोंग झील इलाके में भारतीय सेना और पीएलए के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद सैन्य गतिरोध पैदा हो गया। इसी तरह की झड़प उत्तरी सिक्किम में भी 9 मई को हुई। पिछले हफ्ते चीन और भारत के बीच एक और दौर की राजनयिक स्तर पर वार्ता हुई और इस दौरान पूर्वी लद्दाख में एलएसी के करीब तनाव वाले सभी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे ले जाने की प्रक्रिया 'यथाशीघ्र' पूरी करने पर सहमति बनी।
इस बैठक में सहमति बनी कि अगले दौर की सैन्य वार्ता यथाशीघ्र तय तारीख पर होनी चाहिए ताकि दोनों पक्ष मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉल के सैनिकों को पीछे करने की प्रक्रिया जल्द पूरी करने के लिए काम कर सकें। भारत और चीन ने इस गतिरोध को दूर करने के लिए गत महीनों में राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की वार्ता की है, लेकिन इसका समाधान नहीं निकल सका है। (भाषा)