नई दिल्ली। देश में कोरोना के बढ़ते कहर और लॉकडाउन की आशंका से परेशान प्रवासी मजदूर एक बार फिर पलायन को मजबूर है। कांग्रेस ने मोदी सरकार ने उनके बैंक खातों में तत्काल छह हजार रुपए जमा कराने की मांग की है।
क्या है स्टेशनों का हाल : सरकार ने इस बार मजूदरों के लिए कोई विशेष ट्रेन नहीं चलाई है क्योंकि इस बार पहले से ही ट्रेनें चल रही है। लोगों को टिकट लेने से लेकर घर पहुंचने तक कड़ी मशक्कत करना पड़ रही है। ट्रेनें खचाखच भरी हुई है। लखनऊ, पटना समेत कई शहरों में बाहर से आने वालों की जांच की जा रही है।
बसों की कमी : प्रवासी मजदूरों को बसें कम होने की वजह से भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले लॉकडाउन की तरह भले ही इस बार सड़कों पर उतनी भीड़ नहीं दिखाई दे रही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पलायन कम हो रहा है। जिसे जो साधन मिल रहा है उसी से लोग निकल रहे हैं।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लॉकडाउन के कारण घर वापसी को मजबूर प्रवासी श्रमिकों के साथ सरकार को जिम्मेदारी से पेश आने की सलाह देते हुए मंगलवार को कहा कि उन्हें आर्थिक दिक्कत नहीं हो इसलिए उनके बैंक खातों में तत्काल छह हजार रुपए जमा कराए जाने चाहिए।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, प्रवासी श्रमिक एक बार फिर पलायन कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि उनके बैंक खातों में रुपए डाले। लेकिन कोरोना फैलाने के लिए जनता को दोष देने वाली सरकार क्या ऐसा जन सहायक क़दम उठाएगी।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सरकार विपक्ष के नेताओ की बात नहीं सुनती और उनके सुझाव का मज़ाक उड़ाती है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष फ़रवरी में जब राहुल गांधी ने कोरोना महामारी के बारे में चेताया तो सरकार ने पहले मज़ाक़ उड़ाया और नमस्ते ट्रम्प मना कर मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को जबरन गिराया। फिर बग़ैर बताए घातक लॉकडाउन लगाया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने फिर चेताया कि बगैर इंतजाम लॉकडाउन से गरीब मज़दूरों का क्या होगा..सरकार ने फिर से एक न सुनी और इसका नतीजा यह रहा कि देश को आजादी के बाद की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी का मंजर देखने को मिला।
प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि पिछले एक साल में कोरोना टैक्स के नाम पर जनता को लूटा गया लेकिन न अस्पताल, न डॉक्टर, न वेंटिलेटर, न वैक्सीन और न दवाई उपलब्ध करवाई और न ही 6,000 रुपए की राशि खाते में जमा कराई।